बेपर्दा हुआ पाकिस्तान: इनके साथ होते हैं ऐसे जुल्म, इस रिपोर्ट ने खोली पोल

पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ हो रहे अत्याचार अब पूरी दुनिया के सामने उजागर हो गए हैं। इसी के साथ पाकिस्तान की इमरान खान सरकार के सभी झूठों को बेपर्दा कर दिया है।

Update:2020-05-08 15:46 IST

इस्लामाबाद: पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ हो रहे अत्याचार अब पूरी दुनिया के सामने उजागर हो गए हैं। इसी के साथ पाकिस्तान की इमरान खान सरकार के सभी झूठों को बेपर्दा कर दिया है। दरअसल, पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग (एचआरसीपी) के मुताबिक साल 2019 में अल्पसंख्यकों खासकर हिंदुओं और ईसाईयों पर जुल्म बढ़े हैं और ये साल मानवाधिकार के मामले में भी काफी चिंताजनक रहा है।

यह भी पढ़ें: गुस्साएं मजदूरों का हंगामा: जमकर की तोड़फोड़, काबू करने में जुटी पुलिस

जबरन धर्मांतरण कर शादी करने के लिए करते हैं मजबूर

एचआरसीपी ने यह भी कहा है कि धार्मिक अल्पसंख्यकों खासकर हिंदू और ईसाई संविधान के तहत दी गई धार्मिक आजादी या मान्यता का पूरी तरह से लाभ उठाने में सक्षम नहीं है। HRCP की ओर से जारी की गई सालाना रिपोर्ट में यह कहा गया है कि सिंध और पंजाब प्रांत में हिंदू और ईसाई समुदाय जबरन धर्म परिवर्तन कराए जाने के मामलों की रिपोर्ट करते रहे हैं। पंजाब प्रांत में 14 साल से कम उम्र की लड़कियों का जबरन धर्मांतरण करके उन्हें जबरदस्ती शादी के लिए मजबूर किया जाता है।

इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने क्या सुनाया था फैसला?

इस रिपोर्ट के मुताबिक, सिंध प्रांत में दो हिंदू लड़कियों के परिजनों ने दावा किया है कि उनकी लड़कियों का शादी के लिए अपहरण किया गया और उनका जबरन धर्म परिवर्तन कराया गया। वहीं इस मामले में फैसला सुनाते हुए इस्लामाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि शादी के वक्त लड़कियां नाबालिग नहीं थीं। कोर्ट ने लड़कियों को उनके पति के घर लौट जाने को कहा।

यह भी पढ़ें: यहां बढ़ेगा लॉकडाउन: मई के अंत तक रहना होगा घरों में, CM ने दिए संकेत

समिति को सौंपा गया कानून बनाने का जिम्मा

HRCP द्वारा जारी की गई रिपोर्ट के मुताबिक, हाई कोर्ट ने जनवरी में धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए और धार्मिक व सामाजिक सहिष्णुता की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए साल 2014 के फैसले को लागू करने के लिए आयोग गठित की। अल्पसंख्यकों को जबरन धर्मांतरण से बचाने के लिए, 22 सदस्यीय संसदीय समिति बनाई गई थी। समिति को नवंबर में मामलों की सूचना दी गई और जबरन धर्मांतरण के खिलाफ कानून बनाने का जिम्मा सौंपा गया।

यह भी पढ़ें: नई स्टडी से टूटी उम्मीदें, अब गर्मी में भी कोरोना का कहर

देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।

Tags:    

Similar News