मंदिर पर भयानक हमला: पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हिंदू असुरक्षित, यहां नूपुर शर्मा पर मिल रहा भारत को ज्ञान

नूपुर शर्मा के हालिया बयान के बाद पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदाय हिंदू कट्टरपंथियों का सबसे आसान शिकार बन रहा है। वहीं, सिंध प्रांत की राजधानी कराची में कुछ लोगों ने एक हिंदू पुजारी पर हमला कर, उसे बुरी तरह से घायल कर दिया है।

Written By :  Krishna Chaudhary
Update:2022-06-10 07:20 IST

पाकिस्तान में मंदिरों पर हमला। (Social Media)

Pakistan Temple Attack: भारतीय जनता पार्टी (BJP) की निलंबित प्रवक्ता नूपुर शर्मा (Nupur Sharma) के हालिया बयान पर जमकर हायतौबा मचाने वाले पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों का क्या हाल है, ये किसी से छिपी नहीं है। पाकिस्तान का सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समुदाय हिंदू वहां के कट्टरपंथियों का सबसे आसान शिकार रहा है। पाकिस्तान के सिंध प्रांत में घटी ताजा घटना ने इसकी एकबार फिर तस्दीक की है। मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, सिंध प्रांत (Sindh Province) की राजधानी कराची (Karachi) में कुछ लोगों ने एक हिंदू पुजारी पर हमला कर, उसे बुरी तरह से घायल कर दिया है। इतना ही नहीं हमलावरों ने मंदिर में घुसकर जमकर तोड़फोड़ भी मचाई है।

रिपोर्टेस के अनुसार, बुधवार देर रात कराची (Karachi) के कोरांगी में श्री माता मंदिर पर हमलावरों ने धावा बोल दिया। वहां रह रहे पुजारी को पीटा और मंदिर में रखी मूर्तियों को क्षतिग्रस्त कर दिया। जिसके बाद से वहां रह रहे हिंदू समुदाय के लोग अपनी सुरक्षा को लेकर डरे हुए हैं। बता दें कि पाकिस्तान में सबसे अधिक सिंध प्रांत में ही हिंदू रहते हैं। हाल के दिनों में सिंधी हिंदू समुदाय के लोगों का भारत में पलायन बढ़ा है।

पुलिस के हाथ खाली

घटना के 24 घंटे बाद भी पुलिस के हाथ एक भी हमलावर नहीं लगा है। कोरंगी SHO फारूक संजरानी के मुताबिक. बुधावर रात पांच से छह अनजान लोग मंदिर में घुस गए और तोड़फोड़ कर फरार हो गए। इलाके की घेराबंदी कर हमलावरों की तलाश जारी है। संजरानी ने कहा कि यहां रह रहे लोगों को सुरक्षा मुहैया कराई गई है। वहीं स्थानीय लोगों ने बताया कि हमलावर बाइक से आए और घटना को अंजाम देकर फरार हो गए।

मंदिर पर होते रहे हैं हमले

इससे पहले बीते साल 2021 में पाकिस्तानी पंजाब की राजधानी लाहौर से 590 किलोमीटर दूर रहीमयार खान जिले के भोंग शहर पर सैंकड़ों ने मुस्लिम कट्टरपंथियों की भीड़ ने हमला कर दिया था और मंदिर को क्षतिग्रस्त कर दिया था। इस हमले के दोषियों को बीते माह यानि मई 2022 में पाकिस्तान की एक अदालत ने सजा सुनाई है। अदालत ने 22 लोगों को इस जुर्म के लिए 5 साल की सजा सुनाई।

मंदिरों पर कब्जा

दरअसल पाकिस्तान अल्पसंख्यकों पर बर्बरता के लिए कुख्यात है। आजादी के बाद से ही यहां चुन – चुन कर हिंदू समुदाय के लोगों को निशाना बनाया जाता रहा है और उनके धार्मिक स्थलों को हथियाने और नष्ट करने की कोशिशें की जाती रही है। पाकिस्तान में हिंदुओं की लगातार घटती आबादी इस बात की पुष्टि करती है। ऑल पाकिस्तान हिंदू राइट्स मूवमेंट के एक सर्वे के अनुसार, बंटवारे के बाद पाकिस्तान में 428 हिंदू मंदिर मौजूद थे। धीरे – धीरे इनकी संख्या सिमट कर काफी कम हो चुकी है। आज केवल वहां 20 बड़े मंदिर ही बचे हैं। रिपोर्टेस के मुताबिक, अधिकतर मंदिरों पर अवैध कब्जा कर उसपर होटल, दुकानें और सरकारी इमारतें खड़ी कर दी गई हैं। वहीं कई मंदिर तो देखभाल के अभाव में खंडहर में तब्दिल होते जा रहे हैं। ऐसे में नूपुर शर्मा के मसले पर भारत को धार्मिक कट्टरता पर ज्ञान देने वाली पाकिस्तान हुकूमत को सबसे पहले अपने गिरेबां में झांकना चाहिए, जहां अल्पसंख्यकों का जीवन नरक से भी बदतर हो चुका है।

Tags:    

Similar News