बिडेन की जीत हानिकारक, इसलिए ट्रंप के लिए दुआ कर रहा भगवा खेमा

भारत में मोदी समर्थकों पर ट्रंप का असर दिखाई दे रहा है। वह ट्रंप को जीतते हुए देखना चाहते हैं। इसके पीछे हालांकि जो बाइडेन और उनकी सहयोगी कमला हैरिस जैसे नेताओं का रवैया भी है जो उन्‍हें भारत के बजाय पडोसी देश पाकिस्‍तान और चीन का करीबी बताता रहा है।

Update: 2020-11-05 13:51 GMT
यहां पर ये भी बता दें कि डेमोक्रेट जो बाइडन को चुनाव को विजेता घोषित किए जाने के एक हफ्ते बाद ट्रंप के समर्थन में अन्य शहरों में प्रदर्शन हुए।

लखनऊ। अमेरिका के राष्‍ट्रपति चुनाव में जीत –हार से वैसे तो भारत को कोई फर्क नहीं पडता है क्‍योंकि अब तक अमेरिका का भारत को लेकर न‍जरिया हमेशा एक जैसा ही बना रहा है। अमेरिका के लिए भारत एक बडा उपभोक्‍ता बाजार है जहां से उसकी कंपनियों को राजस्‍व की बडी कमाई होती है। भारत और पाकिस्‍तान दोनों ही अमेरिकी हथियारों के तलबगार हैं लेकिन अमेरिका में डेमोक्रेट प्रत्‍याशी जो बाइडेन और रिपब्लिकन पार्टी के प्रत्‍याशी व अमेरिका के मौजूदा राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप को लेकर भारत में लोगों की भावनाएं बदली हुई हैं।

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मोदी समर्थकों पर ट्रंप का असर

भारत में मोदी समर्थकों पर ट्रंप का असर दिखाई दे रहा है। वह ट्रंप को जीतते हुए देखना चाहते हैं। इसके पीछे हालांकि जो बाइडेन और उनकी सहयोगी कमला हैरिस जैसे नेताओं का रवैया भी है जो उन्‍हें भारत के बजाय पडोसी देश पाकिस्‍तान और चीन का करीबी बताता रहा है।

अमेरिका के राष्‍ट्रपति ट्रंप के साथ भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अच्‍छे रिश्‍ते होने की छाप मोदी समर्थकों के मन में गहरे तक पडी हुई है। यह अलग बात है कि इससे पहले कई बार ट्रंप ने भारत सरकार को दबाव में लेने की कई कोशिश की है और भारत के हितों की अनदेखी करते हुए मोदी सरकार को मजबूर किया कि वह अमेरिका के हित पूरा करने में सहयोगी बने।

जब कोरोना महामारी से अमेरिका के लडने का सवाल उठा है और अमेरिका को भारत से दवाओं की खेप मंगानी थी तो ट्रंप ने भारत को धमकाने में कोई गुरेज नहीं किया। इससे पहले अमेरिका की कंपनियों के लिए भारत का बाजार खोलने का दबाव भी उन्‍होंने इसी तरह बनाया था। भारत को महंगी गाडियों पर टैक्‍स कम करने के लिए मजबूर किया।

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अमेरिका में रिपब्लिकन पार्टी की जीत

इसी तरह कश्‍मीर मामले में पाकिस्‍तान के साथ बातचीत में मध्‍यस्‍थता की पेशकश कर उन्‍होंने मोदी सरकार को अपने लोगों के बीच संकट में डालने का काम किया इसके बावजूद मोदी समर्थक यही चाहते हैं कि अमेरिका में रिपब्लिकन पार्टी की जीत हो और ट्रंप को दोबारा राष्‍ट्रपति बनने का मौका मिला।

मोदी सम‍र्थक मानते हैं कि ट्रंप राष्‍ट्रवादी नेता हैं और मोदी भी असली राष्‍ट्रवादी हैं। दोनों मिलकर दुनिया में इस्‍लामी आतंकवाद को काबू में ला सकते हैं। ट्रंप अपने राष्‍ट्रहित में कडे फैसले लेने से नहीं हिचकते हैं।

फोटो-सोशल मीडिया

दूसरी ओर डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रपति पद के प्रत्‍याशी बिडेन और उनकी सहयोगी कमला हैरिस का रुख ट्रंप से बिल्‍कुल अलग है। यह दोनों ही नेता विदेश नीति में ट्रंप से अलग-थलग हैं। वह सभी देशों की बात सुनकर व्‍यवहार करने की शैली अपनाते हैं।

कश्‍मीर में भारत सरकार ने जब अनुच्‍छेद 370 को हटाया तो कमला हैरिस ही हैं जिन्‍होंने मानवाधिकार का सवाल उठाया और कश्‍मीरियों को भरोसा दिलाया कि वह यह न समझें कि वह अकेले पड गए हैं।

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भारत को बिडेन की जीत रास नहीं

फोटो-सोशल मीडिया

बिडेन के बारे में कहा जाता है कि उनके रिश्‍ते चीन से अच्‍छे रहने वाले हैं क्‍योंकि उनका बेटा चीन के सर्वाधिक अमीर उद्योगपतियों में शामिल हैं।ऐसे में अगर बिडेन के हाथ में सत्‍ता आती है तो वह चीन के लिए बाजार खोलने का दबाव दुनिया के अन्‍य देशों पर भी बनाएंगे क्‍योंकि वहां होने वाले उत्‍पादन और कारोबार का बडा फायदा उनके बेटे को भी मिलने वाला है।

ऐसे में मौजूदा वक्‍त में भारत को बिडेन की जीत रास नहीं आएगी। यही वजह है कि मोदी विरोधी पाकिस्‍तान भी अमेरिका के चुनाव में बिडेन के जीतने की तमन्‍ना कर रहा है। इससे सबसे अलग कुछ कूटनीति विशेषज्ञ यह मानते हैं कि व्‍यक्तियों के चुने जाने से किसी भी देश की विदेश नीति में ज्‍यादा अंतर नहीं आता है।

अमेरिका में डेमोक्रेटऔर रिपब्लिक बारी –बारी से जीतते रहे हैं लेकिन उनकी भारत के साथ दोस्‍ती एक ढर्रे पर चलती रही है। ऐसे में जीते कोई भी भारत का रिश्‍ता बरकरार रहेगा लेकिन मौजूदा आर्थिक व सामरिक असुरक्षा के माहौल में भारत के लोग क्‍या बदलाव के लिए तैयार होंगे।

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रिपोर्ट- अखिलेश तिवारी

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