फ्रांस में मस्जिदों को किया गया बंद, भड़के मुस्लिम देश, दे डाली ये बड़ी चेतावनी

कुवैत, जॉर्डन और कतर की कई दुकानों से फ्रांस के सामान हटा दिए गए हैं। बांग्लादेश के अलावा लीबिया, सीरिया और गजा पट्टी में फ्रांस के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किए गए।

Update: 2020-10-27 16:38 GMT
फ्रांस की सरकार ने बताया है कि अब तक 120 स्‍थानों और संगठनों की जांच की गई है। इन सभी पर कट्टरपंथी विचारधारा को फैलाने का आरोप है।

पेरिस: फ्रांस में एक टीचर की गला काटकर हत्या के बाद फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों द्वारा दिए बयान के बाद मुस्लिम देश भड़क हुए हैं। अब इस बीच फ्रांस में मस्जिदों को बंद किए जाने के बाद मुस्लिम देशों का गुस्सा और बढ़ गया है। तो वहीं तुर्की और फ्रांस के बीच पहले से ही तनाव चरम पर है।

मुस्लिम देशों की धमकी के बाद फ्रांस की सरकार ने इस्लामिक कट्टरपंथ के खिलाफ कड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है। फ्रांस ने कई मस्जिदों पर ताला लगा दिया है। इन मस्जिदों में पैन्टिन मस्जिद मुख्य है। इस मस्जिद पर एक नोटिस चिपका दिया गया है और उस पर लिखा है कि इस्‍लामिक गतिविधियों में शामिल होने के कारण इसे बंद कर दिया गया है। फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल मैक्रों ने कट्टरपंथी इस्लाम की कड़ी आलोचना की थी। शिक्षक की हत्या को उन्होंने इस्लामिक आतंकवादी हमला बताया था।

दुनियाभर में फ्रांस के राष्ट्रपति का विरोध

बांग्लादेश में मैक्रों के खिलाफ बड़ी रैली निकाली गई। राजधानी ढाका में करीब 10 हजार से अधिक इस रैली में हिस्सा लिए। कई अरब देशों ने फ्रांस के प्रोडक्ट्स के बहिष्कार का ऐलान किया है। कुवैत, जॉर्डन और कतर की कई दुकानों से फ्रांस के सामान हटा दिए गए हैं। बांग्लादेश के अलावा लीबिया, सीरिया और गजा पट्टी में फ्रांस के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किए गए। फ्रांस के विदेश मंत्रालय ने कहा कि 'बहिष्कार की बेबुनियाद बातें अल्पसंख्यक समुदाय का सिर्फ कट्टर तबका ही कर रहा है। सोशल मीडिया पर भी फ्रांस के राष्ट्रपति का विरोध किया जा रहा है और फ्रांस के सामान की बहिस्कार की अपील की जा रही है।

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सैंकड़ों संगठनों की तलाशी

फ्रांस की सरकार ने बताया है कि अब तक 120 स्‍थानों और संगठनों की जांच की गई है। इन सभी पर कट्टरपंथी विचारधारा को फैलाने का आरोप है। इसके साथ ही सरकार ने आतंकवादियों को मिलने वाले पैसे पर रोक लगाने की योजना तैयार की है। सरकार की तरफ सोशल मीडिया कंपनियों पर दबाव डाला जाएगा कि वह भड़काऊ पोस्ट पर रोक लगाएं। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि फ्रांस में मैक्रों सरकार के दौरान अ‍ब तक किसी आतंकी हमले के बाद ऐसी कड़ी कार्रवाई नहीं हुई थी।

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राष्ट्रपति मैक्रों ने दिया था ये बयान

टीचर की हत्या के बाद फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने इसको इस्लामिक आतंकवाद बताया था। उन्होंन अपने बयान में कहा था कि इस्लाम एक ऐसा धर्म है जिसकी वजह सेआज पूरी दुनिया में संकट में है। उन्होंने साथ ही कहा था कि डर है कि फ्रांस की करीब 60 लाख मुसलमान समाज की मुख्यधारा से अलग-थलग पड़ सकते हैं। इसी बयान के बाद मुस्लिम देशों ने फ्रांस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।

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