वाशिंगटन : अमेरिकी अंतरिक्ष शोध एजेंसी नासा ने 60 साल पूरे कर लिए हैं। जानते हैं नासा से जुड़े कुछ दिलचस्प तथ्य :
- सोवियत संघ ने 1957 में अपना सैटेलाइट स्पूतनिक प्रक्षेपित किया, जिससे अंतरिक्ष में सोवियत संघ का दबदबा होने की आशंकाए पैदा होने लगीं। इसके अगले साल जनवरी में अमेरिका ने जवाबी कदम उठाते हुए एक्सप्लोरर वन सैटेलाइट अंतरिक्ष में रवाना किया।
- इसके लगभग छह महीने बाद अमेरिकी कांग्रेस ने नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन यानी नासा का गठन करने की मंजूरी दी। एक अक्टूबर 1958 को नासा के दरवाजे खुले और तभी से इसने अंतरिक्ष शोध की दुनिया में धूम मचा रखी है।
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- नासा ने अपनी स्थापना के सिर्फ 11 साल बाद इंसान को चांद की धरती पर उतारने में कामयाबी हासिल की। 20 जुलाई 1969 को अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रॉन्ग और एडविन एल्ड्रिन ने पहली बार चांद पर कदम रखा और वहां अमेरिकी झंडा गाड़ा।
- 14 अप्रैल 1970 को अंतरिक्ष यान अपोलो 13 का एक ऑक्सीजन टैंक फट गया, जोखिम भरे रिपेयरिंग ऑपरेशन के बाद चालक दल अपोलो 13 को वापस जमीन पर लाया। इस पूरी घटना पर 1995 में 'अपोलो 13 नाम से एक फिल्म भी बनी।
- चैलेंजर स्पेस शटल अपोलो 13 की तरह भाग्यशाली नहीं रहा। 28 जनवरी 1986 को उड़ान भरने के चंद मिनटों के भीतर इसमें धमाका हुआ और उस पर सवार सभी सात लोग मारे गए। इस क्रैश की वजह एक रबड़ सील रिंग थी, जो ठंडे तापमान में काम नहीं कर सकी।
- रूसी और अमेरिकी वैज्ञानिकों के बीच शीत युद्ध की दुश्मनी 14 दिसंबर 1998 को खत्म हुई जब अंतरिक्ष में अमेरिका निर्मित यूनिटी मॉड्यूल और रूस निर्मित जारिया मॉड्यूल एक दूसरे से मिले। इसी से अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) की बुनियाद पड़ी।
- भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला की मौत भी नासा के दर्दनाक अनुभवों में शामिल है। फरवरी 2003 में पृथ्वी पर लौटते हुए अंतरिक्ष यान कोलंबिया टुकड़े टुकड़े हो गया और उस सवार कल्पना समेत सभी सात लोग मारे गए।
- नासा ने 6 अगस्त 2012 को मंगल ग्रह पर अपने क्यूरोसिटी रोवर को उतारा। यह मोबाइल लेबोरेट्री अब भी लाल ग्रह से वैज्ञानिक खोजों से जुड़ी जानकारी भेज रही है। इतना ही नहीं, क्यूरोसिटी रोवर कभी कभी सेल्फी भी भेजता है और ट्वीट भी करता है।
- क्यूरोसिटी जो डाटा भेज रहा है, वह नासा के अगले मिशन के लिए बहुत अहम है और यह मिशन मंगल ग्रह पर इंसानों को उतारने का है। अभी के अनुमान के मुताबिक 2030 के दशक में ऐसा हो सकता है।