चीन के इशारे पर नेपाल: रोटी-बेटी के रिश्ते को मारी ठोकर, लिया ये फैसला

दोनों देशों के बीच सैकड़ों सालों से चल रहे रोटी-बेटी के रिश्ते को अब किसी की नज़र लग गई है जिसका असर अब दिखने लगा है। इस रिश्ते को भारत अपनी तरफ से हर तरह से निभाता आया है। लेकिन नेपाल, इस रोटी-बेटी के रिश्ते के बीच नक्शा विवाद को लाकर खुद एक दिवार खड़ा कर रहा है।

Update:2020-06-20 20:15 IST

नई दिल्ली: दक्षिण एशिया में नेपाल और भारत की मित्रता एक मिशाल थी। दोनों देशों के बीच सैकड़ों सालों से चल रहे रोटी-बेटी के रिश्ते को अब किसी की नज़र लग गई है जिसका असर अब दिखने लगा है। इस रिश्ते को भारत अपनी तरफ से हर तरह से निभाता आया है। लेकिन नेपाल, इस रोटी-बेटी के रिश्ते के बीच नक्शा विवाद को लाकर खुद एक दिवार खड़ा कर रहा है।

नेपाल, भारत-नेपाल मैत्री संधि के भी खिलाफ कर रहा है काम

बता दें कि नेपाल में भारतीय महिलाओं को राजनीतिक और सामाजिक अधिकार से दूर रखने की साज़िश के तहत नेपाल सरकार ऐसा फैसला ले रही है जो दोनों देशों के बीच हुए मैत्री संधि के भी खिलाफ है।

राजनीतिक और कूटनीतिक संबंध में नेपाल ने डाला दरार

नेपाल सरकार ने भारत के साथ राजनीतिक और कूटनीतिक संबंध में तो दरार ला ही दिया है अब दोनों देशों के बीच होने वाले वैवाहिक संबंध ‌और पारिवारिक संबंध को भी खत्म करने की रणनीति के तहत एक और कदम आगे बढ़ाने का फैसला कर लिया है।

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भारतीय महिलाओं को नागरिकता प्राप्त करने के लिए 7 साल का इंतज़ार

नेपाल के नागरिक से शादी करके वहां जाने वाली भारतीय महिलाओं को अब नेपाल की नागरिकता प्राप्त करने के लिए 7 सालों तक इंतजार करना होगा। ऐसे में सात वर्षों तक नेपाल में भारतीय विवाहित महिलाओं को सभी प्रकार के राजनीतिक अधिकार से वंचित रहना होगा।

नागरिकता संबंधी संशोधित कानून

शनिवार सुबह प्रधानमंत्री निवास में हुई नेपाल कम्युनिष्ट पार्टी की बैठक में नागरिकता संबंधी संशोधित कानून को संसद से पास कराने का फैसला किया गया है। चूंकि सत्तारूढ़ कम्यूनिस्ट पार्टी के पास लगभग दो तिहाई बहुमत है इसलिए संसद से यह कानून आसानी से पास हो जाएगा।

कूटनीतिक रिश्ते खत्म करने पर उतारू ओली सरकार

इस कानून को बनाने के पीछे ओली सरकार की एक ही नीयत है कि नेपाल और भारत के बीच में जो पारिवारिक संबंध है, जो खून का रिश्ता है उसे भी खत्म कर दिया जाए। भारत से राजनीतिक और कूटनीतिक रिश्ते खत्म करने पर उतारू ओली सरकार अब दोनों देशों के बीच रहे पारिवारिक संबंध को खत्म करने की तरफ बढ़ रही है।

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नेपाल के गृह मंत्री को भारत में नागरिकता अधूरी जानकारी

नेपाल के गृह मंत्री राम बहादुर थापा जैसे जिम्मेवार पद पर बैठे लोग भी यह भ्रम फैलाते हैं कि भारत में विदेशी महिलाओं को 7 साल के बाद नागरिकता दी जाती है और हमारे देश में शादी के तुरन्त बाद नागरिकता देने का प्रावधान है। हालांकि, ऐसा लगता है नेपाल के गृह मंत्री को यह जानकारी नहीं है कि 7 साल वाला नियम भारत में नेपाल के लिए नहीं बल्कि दूसरे देशों के लिए है।

7 वर्षों तक इंतजार करती हैं लड़कियां

नेपाल में यह झूठ कम्युनिस्ट पार्टी की तरफ से वर्षों से फैलाया जा रहा है। सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के नेता और पूर्व गृहमंत्री भीम रावल इस पर कटाक्ष करते हुए कहते हैं कि हमारे यहां की लड़कियां जब शादी करके जाती है तो उनको 7 वर्षों तक इंतजार करना होता है। भारतीय लड़कियां नेपाल में शादी करके आती हैं तो उसे एक हाथ से मांग में सिंदूर और एक हाथ से नेपाल की नागरिकता दिया जाता है और खुश करने के लिए कभी कभी मंत्री पद भी दिया जाता है।

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नेपाल और भारत के बीच 1950 में हुई मैत्री संधि

नेपाल और भारत के बीच जो 1950 की मैत्री संधि हुई है उसके मुताबिक दोनों देश एक दूसरे के नागरिकों को अपने ही देश के नागरिक के समान व्यवहार और अधिकार देंगे। लेकिन नेपाल सरकार अब इसके उलट नया कानून बनाने जा रही है।

7 वर्षों के लिए एक वैवाहिक परिचय पत्र

इन सात वर्षों के भीतर उसकी पहचान के लिए एक वैवाहिक परिचय पत्र देने की योजना है। संसद की राज्य व्यवस्था समिति की अध्यक्ष और कम्युनिस्ट पार्टी की नेता शशि श्रेष्ठ के मुताबिक नये कानून के तहत भारत से शादी कर के आने वाली महिला को सामाजिक पहचान के लिए 7 वर्षों के लिए एक वैवाहिक परिचय पत्र दिया जाएगा।

सीमावर्ती इलाकों में होने वाली शादियों पर प्रतिबंध

नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी की योजना इससे भी खतरनाक है। उसके एक सांसद तथा पार्टी की प्रवक्ता पम्फा भुसाल ने तो संसदीय समिति की बैठक में यहां तक कहा कि नेपाल के सीमावर्ती इलाकों में जो भी शादियां सरहद पार होती है उस पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए।

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चुनिंदा पदों पर जाने के लिए योग्य नहीं हो सकती

सात वर्षों बाद भी भारतीय महिलाओं को उसी शर्त पर नेपाल की नागरिकता दी जाएगी जब वह भारत की नागरिकता त्यागने का प्रमाण पत्र लेकर आएगी। अगर वह 7 वर्षों बाद भी नेपाल की नागरिकता का प्रमाण पत्र हासिल कर लेती है तब भी वह नेपाल के कुछ चुनिंदा पदों पर जाने के लिए योग्य नहीं हो सकती हैं।

चीन के इशारे पर नेपाल

नेपाल में नया संविधान‌ जारी होने के समय ही यहां की कम्युनिस्ट पार्टी इसको संविधान में शामिल करना चाहती थी लेकिन उस वक्त मधेशी आन्दोलन के चरम पर होने के कारण इसका समावेश नहीं किया गया था। अब चीन के इशारे पर नेपाल सरकार ऐसा करने के लिए तैयार हो गई है।

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