नेपाल में घिरी ओली सरकार, इस बड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया नोटिस

नेपाल में ओली सरकार के लिए मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। भारत से रिश्ते बिगड़ने के बाद अपने ही देश में जनता की नाराजगी का सामना कर रहे पीएम केपी शर्मा ओली की सरकार अब सुप्रीम कोर्ट से तगड़ा झटका लगा है।

Update: 2020-07-13 05:05 GMT

काठमांडू: नेपाल में ओली सरकार के लिए मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। भारत से रिश्ते बिगड़ने के बाद अपने ही देश में जनता की नाराजगी का सामना कर रहे पीएम केपी शर्मा ओली की सरकार अब सुप्रीम कोर्ट से तगड़ा झटका लगा है।

नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने ओली सरकार को भारत में काम कर रहे नेपालियों को लेकर 'कारण बताओ नोटिस' जारी किया है।

नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से जवाब तलब किया है कि भारत में काम कर रहे नागरिकों को विदेशी रोजगार की श्रेणी में क्यों नहीं रखा गया है और उन्हें दुनिया के बाकी देशों में काम कर रहे नागरिकों से अलग क्यों समझा जा रहा है।

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विदेश में काम करने के लिए जाने वाला हर नागरिक प्रवासी कामगार

बताते चलें की नेपाल के सुप्रीम कोर्ट में फोरम फॉर नेशन बिल्डिंग नेपाल की तरफ से निर्मल कुमार उप्रेती और दीपक राज जोशी ने याचिका दाखिल कर भारत में काम कर रहे नेपालियों के दर्जे को लेकर सवाल किया है। जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने नेपाल सरकार से जवाब तलब किया है।

उप्रेती ने मीडिया से बात करते हुए कहा, विदेश में काम करने के लिए जाने वाला हर नागरिक प्रवासी कामगार है। लेकिन भारत में नौकरी या काम कर रहे नेपालियों को विदेशी रोजगार में कभी नहीं रखा गया। सरकार उन नागरिकों का कोई रिकॉर्ड नहीं रखती है जो भारत में काम कर रहे हैं।"

जबकि "फॉरेन एंप्लायमेंट ऐक्ट, 2007 साफ तौर पर कहता है कि चाहे देश कोई भी हो, विदेश में काम करने के लिए जाने वाला हर नागरिक प्रवासी कामगार है।

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भारत में काम करने के लिए नेपालियों को परमिट दिखाने की जरूरत नहीं

बताते चलें कि जहां किसी तीसरे देश में काम करने के लिए नेपालियों को लेबर परमिट के लिए आवेदन करना पड़ता है वहीं भारत में काम करने के लिए ऐसे किसी परमिट की आवश्यकता नहीं पड़ती है। इससे माइग्रेशन से पहले वे इंश्योरेंस जैसी सुविधाओं का फायदा नहीं उठा पते हैं।

एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में करीब 30 से 40 लाख नेपाली काम करते हैं। पेटिशन दायर करने वाले व्यक्ति ने कहा, विदेशों में काम कर रहे नागरिकों में सबसे ज्यादा लोग भारत में ही है क्योंकि दोनों देशों की सीमाएं एक-दूसरे के लिए खुली हुई हैं।

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