Women Strike: महिलाओं के हक की खातिर महिला पीएम भी हड़ताल में हुईं शामिल
Iceland News: नई दिल्ली। किसी देश का प्रधानमंत्री हड़ताल में शामिल हो जाये, ऐसा शायद ही कभी सुना गया होगा। लेकिन आइसलैंड में यही हुआ जब महिलाओं के हक की खातिर देश की महिला प्रधानमंत्री भी हड़ताल में शामिल हो गईं।
Iceland News: किसी देश का प्रधानमंत्री हड़ताल में शामिल हो जाये, ऐसा शायद ही कभी सुना गया होगा। लेकिन आइसलैंड में यही हुआ जब महिलाओं के हक की खातिर देश की महिला प्रधानमंत्री भी हड़ताल में शामिल हो गईं।
ये हड़ताल असमान वेतन और महिलाओं के खिलाफ हिंसा को समाप्त करने के लिए आइसलैंड की महिलाओं ने 24 अक्टूबर को की। हड़ताल के चलते सभी टीवी चैनलों से महिला एंकर और प्रेजेंटर नदारद रहीं, स्कूल बंद हो गए, सार्वजनिक परिवहन में देरी हुई, अस्पतालों में कर्मचारियों की कमी हो गई, होटल के कमरे साफ नहीं हो पाए।
महिलाओं की हड़ताल में प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री कैटरीन जैकब्सडॉटिर ने कहा कि वह महिलाओं की हड़ताल के साथ एकजुटता दिखाते हुए घर पर रहेंगी। उन्होंने उम्मीद जताई कि उनके मंत्रिमंडल की अन्य महिलाएं भी ऐसा ही करेंगी।हड़ताल के मुख्य आयोजक, आइसलैंड की ट्रेड यूनियनों ने महिलाओं और गैर-बाइनरी (ट्रांसजेंडर) लोगों से दिन के लिए घरेलू कामकाज सहित भुगतान और अवैतनिक दोनों तरह के काम करने से इनकार करने का आह्वान किया। आइसलैंड के लगभग 90 फीसदी कर्मचारी एक यूनियन से संबंधित हैं।
स्कूलों और स्वास्थ्य प्रणाली, जिनमें महिला-प्रधान कार्यबल हैं, ने कहा कि वे वॉकआउट से भारी प्रभावित होंगे। राष्ट्रीय प्रसारक आरयूवी ने कहा कि वह दिन के लिए टेलीविजन और रेडियो प्रसारण कम कर रहा है।
24 घण्टे की यह हड़ताल 24 अक्टूबर 1975 को आइसलैंड की पहली ऐसी घटना के बाद सबसे बड़ी मानी जा रही है, जब 90 फीसदी महिलाओं ने कार्यस्थल पर भेदभाव पर गुस्सा व्यक्त करने के लिए काम करने, साफ-सफाई करने या बच्चों की देखभाल करने से इनकार कर दिया था। अगले ही साल यानी 1976 में आइसलैंड ने समान अधिकारों की गारंटी देने वाला एक कानून पारित किया। तब से कई आंशिक-दिवसीय हड़तालें हुई हैं, सबसे हाल ही में 2018 में हुई जब महिलाओं ने दोपहर में काम बंद कर दिया।
आइसलैंड में लैंगिक वेतन अंतर
आइसलैंड, आर्कटिक सर्कल के ठीक नीचे लगभग 380,000 लोगों का एक ऊबड़-खाबड़ द्वीप है। विश्व आर्थिक मंच द्वारा इसे लगातार 14 वर्षों तक दुनिया के सबसे अधिक लिंग-समान देश के रूप में स्थान दिया गया है, जो वेतन, शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और अन्य कारकों को मापता है। बता दें कि किसी भी देश ने पूर्ण समानता हासिल नहीं की है, और आइसलैंड में लैंगिक वेतन अंतर बना हुआ है।
आइसलैंड की 1975 की हड़ताल ने पोलैंड सहित अन्य देशों में इसी तरह के विरोध प्रदर्शन को प्रेरित किया, जहां महिलाओं ने प्रस्तावित गर्भपात प्रतिबंध के विरोध में 2016 में नौकरियों और कक्षाओं का बहिष्कार किया।
स्पेन में महिलाओं ने 2018 में 8 मार्च यानी अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर "अगर हम रुकें, तो दुनिया रुक जाएगी" थीम के तहत 24 घंटे की हड़ताल की। देश की प्रमुख यूनियनों का अनुमान है कि 5.3 मिलियन लोग हड़ताल में शामिल हुए।