PM Modi: ईस्ट एशिया समिट में उद्घाटन के तुरंत बाद हुआ पीएम मोदी का संबोधन, जानें क्या कहीं मुख्य बातें

PM Modi: पीएम मोदी ने लाओस की राजधानी वियनतियाने में ईस्ट एशिया शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया।

Report :  Sonali kesarwani
Update:2024-10-11 13:17 IST

PM Modi

PM Modi: पीएम मोदी दो दिवसीय दौरे पर लाओस गए हुए हैं। जहाँ आज उनका दूसरा दिन है। उन्होंने आज वियनतियाने में ईस्ट एशिया शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया। यहाँ बैठक में शामिल होने के बाद उन्होंने अपना सम्बोधन दिया। सम्बोधन के दौरान उन्होंने कहा कि भारत हमेशा से ही आसियान देशों के बीच एकता को सपोर्ट करता रहा है। दुनिया भर में जारी अलग-अलग जंग का सबसे बुरा असर ग्लोबल साउथ के देशों पर पड़ रहा है ऐसे में दुनिया में शांति बहाल करना बेहद जरूरी है।

नौ बार पूर्वी एशिया शिखर सम्मलेन में ले चुके है हिस्सा

पीएम मोदी के ईस्ट एशिया शिखर सम्मलेन में हिस्से को लेकर सूत्रों से खबर आई है कि मौजूदा मेजबान और अगले सम्मेलन के मेजबान के बाद पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन को संबोधित करने के लिए आमंत्रित किए जाने वाले पहले नेता रहे हैं। यह उनकी बड़ी कामयाबी का एक रूप माना जा रहा है। आपको बता दें कि अब तक जितनी भी पूर्वी एशिया शिखर सम्मलेन हुए है उनमे से पीएम मोदी ने सबसे ज्यादा भाग लिया है। पीएम मोदी ने 19 शिखर सम्मेलनों में कुल नौ बार भाग लिया है।

पीएम ने सम्बोधन में क्या कहा

आज ईस्ट एशिया शिखर सम्मलेन में भाग लेने के बाद पीएम मोदी ने अपने सम्बोधन में कहा, “म्यांमार की स्थिति पर हम आसियान दृष्टिकोण का समर्थन करते हैं। हम Five-point कन्सेन्सस का भी समर्थन करते हैं। एक पड़ोसी देश के नाते, भारत अपना दायित्व निभाता रहेगा। इसके साथ उन्होंने कहा 'विश्व के अलग-अलग क्षेत्रों में चल रहे संघर्षों का सबसे नकारात्मक प्रभाव ग्लोबल साउथ के देशों पर हो रहा है। सभी चाहते हैं कि कि चाहे यूरेशिया हो या पश्चिम एशिया, जल्द से जल्द शांति और स्थिरता की बहाली हो।'

समस्याओं का समाधान रणभूमि से नहीं निकल सकता- पीएम

PM मोदी ने कहा, 'मैं बुद्ध की धरती से आता हूँ, और मैंने बार-बार कहा है कि यह युद्ध का युग नहीं है। समस्याओं का समाधान रणभूमि से नहीं निकल सकता। संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और अन्तर्राष्ट्रीय कानूनों का आदर करना आवश्यक है। मानवीय दृष्टिकोण रखते हुए, डायलॉग और diplomacy को प्रमुखता देनी होगी। विश्वबंधु के दायित्व को निभाते हुए, भारत इस दिशा में हर संभव योगदान करता रहेगा।'

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