Nepal Politics: नेपाल में उथलपुथल, ओली - देउबा बनाएंगे सरकार
Nepal Politics: नेपाली कांग्रेस और सीपीएन ने प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' को हटाने के लिए एक नई 'राष्ट्रीय आम सहमति सरकार' बनाने के लिए समझौता किया है।
Nepal: नेपाल में राजनीतिक उथलपुथल की स्थिति बन रही है। नेपाल की दो सबसे बड़ी पार्टियों- नेपाली कांग्रेस और सीपीएन (यूएमएल)- ने प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' को हटाने के लिए एक नई 'राष्ट्रीय आम सहमति सरकार' बनाने के लिए समझौता किया है। नेपाल में पिछले 16 वर्षों में 13 सरकारें बनी हैं, जो इस हिमालयी राष्ट्र की राजनीतिक व्यवस्था की नाजुक प्रकृति को दर्शाता है। समझौते पर 1 जुलाई की आधी रात को नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल-यूनिफाइड मार्क्सिस्ट लेनिनिस्ट (सीपीएन-यूएमएल) के अध्यक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने हस्ताक्षर किए।
देउबा और ओली ने की मुलाकात
78 वर्षीय देउबा और 72 वर्षीय ओली ने पिछले हफ्ते दोनों पार्टियों के बीच संभावित नए राजनीतिक गठबंधन की नींव रखने के लिए मुलाकात की थी, जिसके बाद ओली की सीपीएन-यूएमएल ने प्रचंड के नेतृत्व वाली सरकार को समर्थन देने के बमुश्किल चार महीने बाद ही उससे अपना नाता तोड़ लिया। मीडिया रिपोर्ट में दोनों दलों के कई वरिष्ठ नेताओं के हवाले से कहा गया है कि दोनों नेताओं ने नई सरकार बनाने, संविधान में संशोधन करने और सत्ता-साझाकरण के लिए एक फार्मूला तैयार करने पर सहमति जताई है, जिसे उन्होंने कथित तौर पर अपने कुछ विश्वासपात्रों के साथ साझा किया है।
क्या है समझौता
समझौते के तहत, ओली डेढ़ साल के लिए नई 'राष्ट्रीय आम सहमति वाली सरकार' का नेतृत्व करेंगे। नेपाली कांग्रेस के एक नेता के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि देउबा शेष कार्यकाल के लिए प्रधानमंत्री होंगे। ओली के कार्यकाल के दौरान सीपीएन (यूएमएल) प्रधानमंत्री पद और वित्त मंत्रालय सहित मंत्रालयों का नियंत्रण संभालेगी। इसी तरह, नेपाली कांग्रेस गृह मंत्रालय सहित दस मंत्रालयों की देखरेख करेगी। समझौते के अनुसार, सीपीएन-यूएमएल कोशी, लुम्बिनी और करनाली प्रांतों में प्रांतीय सरकारों का नेतृत्व करेगी, और नेपाली कांग्रेस बागमती, गंडकी और सुदूरपश्चिम प्रांतों की प्रांतीय सरकारों का नेतृत्व करेगी।
संवैधानिक संशोधनों की जताई प्रतिबद्धता
ओली और देउबा ने मधेश प्रांत का नेतृत्व करने में मधेश-आधारित दलों को शामिल करने पर भी सहमति व्यक्त की है और संवैधानिक संशोधनों के लिए प्रतिबद्धता जताई है।रिपोर्ट में कहा गया है कि मसौदा समझौते को चार सदस्यीय टास्क फोर्स ने तैयार किया है। टास्क फोर्स के एक सदस्य के अनुसार, इसमें सत्ता-साझाकरण व्यवस्था का विवरण होगा, संविधान में संशोधन का प्रस्ताव होगा, आनुपातिक प्रतिनिधित्व सहित चुनावी प्रणाली की समीक्षा होगी, राष्ट्रीय विधानसभा व्यवस्था में बदलाव होगा और प्रांतीय विधानसभाओं के आकार पर चर्चा होगी।