बांग्लादेश बवाल: शेख मुजीब से भी मोह नहीं
Bangladesh Violence: शेख मुजीबुर्रहमान की फोटो, उनकी प्रतिमा को तोड़ने फोड़ने के दृश्य ठीक वैसे ही हैं जैसे इराक में सद्दाम हुसैन की विशाल मूर्ति तोड़ने के थे। लेकिन शेख मुजीब और सद्दाम की तुलना करना ही गलत है।
Bangladesh Violence: बांग्लादेश के बवाल में राजधानी ढाका से जो दृश्य सामने आए हैं उनमें देश की आज़ादी के नायक शेख मुजीबुर्रहमान की विशालकाय प्रतिमा पर चढ़े युवक और कुल्हाड़ी से प्रतिमा को तोड़ने का मंजर महत्वपूर्ण है। यही नहीं, ढाका में बंगबंधु म्यूज़ियम को भी जला दिया गया है।
शेख मुजीबुर्रहमान की फोटो, उनकी प्रतिमा को तोड़ने फोड़ने के दृश्य ठीक वैसे ही हैं जैसे इराक में सद्दाम हुसैन की विशाल मूर्ति तोड़ने के थे। लेकिन शेख मुजीब और सद्दाम की तुलना करना ही गलत है। मुजीबुर्रहमान तो बांग्लादेश की स्थापना के वास्तुकार थे, इसीलिए उन्हें बंग बंधु कहा जाता है। फिर उनसे लगाव क्यों नहीं? उनके प्रति नफरत क्यों? इसके जवाब आसान नहीं हैं। फिर भी कुछ तर्क दिए जा सकते हैं।
- बांग्लादेश में आरक्षण विरोधी आंदोलन छात्रों और युवाओं का ही रहा है।
- बांग्लादेश 1971 में पाकिस्तान से टूट कर आज़ाद हुआ। शेख मुजीब के संघर्ष, मुक्ति वाहिनी की लड़ाई और आज़ादी की लड़ाई को ढाका की सड़कों पर उतरे उन लाखों छात्रों ने न देखा न महसूस किया। अगर वर्तमान प्रदर्शनकारियों की औसत उम्र 30 साल भी मानें तो उनमें कोई भी सन 71 क्या उसके दस साल बाद भी पैदा नहीं हुआ होगा। सो युवाओं की भावना शेख मुजीब के प्रति वैसी नहीं है जैसी 60 - 65 साल से ज्यादा के उम्र वालों की होगी।
- शेख मुजीब के प्रति नफरत इसलिए ज्यादा है क्योंकि वह शेख हसीना के पिता हैं। गुस्से का ये बड़ा कारण है।
- चूंकि वर्तमान असंतोष को विपक्षी दलों का सपोर्ट है जिसमें खालिदा ज़िया की बीएनपी अग्रणी है। खालिदा ज़िया के पति जनरल जियाउर्रहमान ने शेख मुजीब की हत्या के बाद देश की कमान संभाली थी।