Mars: वैज्ञानिकों को मिली बड़ी सफलता, अब ग्रह पर बच्चे पैदा कर सकेंगे इंसान, चूहों पर रिसर्च हुआ सफल
पृथ्वी के बाहरी ग्रहों पर जीवन को लेकर विश्व के पूरे वैज्ञानिक रिसर्च करने में लगे हुए हैं। अब दूसरे ग्रहों पर जीवन की तलाश में वैज्ञानिकों को बड़ी सफलता हासिल हुई है।
Mars: पृथ्वी के बाहरी ग्रहों पर जीवन को लेकर विश्व के पूरे वैज्ञानिक रिसर्च करने में लगे हुए हैं। अब दूसरे ग्रहों पर जीवन की तलाश में वैज्ञानिकों को बड़ी सफलता हासिल हुई है। वैज्ञानिकों ने दूसरे ग्रह पर जीवन को खेज दिया है। यह करिश्मा जापान के वैज्ञानिकों ( japan scientist) ने कर दिखाया है बता दें कि जापान के वैज्ञानिकों ने पृथ्वी के बाहरी ग्रह पर बच्चे पैदा होने की नई उम्मीद जताई है।
एक वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार वैज्ञानिकों (scientist) ने दावा किया है कि अब लाल ग्रह यानी मंगल पर इंसान के बच्चे पैदा किया जा सकता है। इसके लिए वैज्ञानिकों ने चूहों के स्पर्म को 6 साल तक अंतरिक्ष में रखे और उसके बाद उस स्पर्मा को पृथ्वी पर वापस लाए है। वहीं इस स्पर्मा से फिर से स्वास्थ्य चूहे के बच्चे पैदा हुए हैं। वहीं इस नए शोध के साथ कुछ वैज्ञानिकों ने अब दावा किया कि मंगल पर इंसान के बच्चे पैदा किया जा सकता है।
बता दें कि यह भी माना जाता है कि मंगल ग्रह पर रेडिएशन के कारण डीएनए खराब हो सकते हैं। जिससे प्रजनन की क्षमता भारी कम भी हो सकती है। लेकिन इस नए शोध ने इस धारणा को बदल दिया है। गौरतलब है कि जापान के वैज्ञानिकों ने चूहों पर किए गए शोध में उनका स्पर्म को फ्रीज करके तकरीबन 6 साल तक हाई रेडिएशन वाले इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में रखा, और अब इसे इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से पृथ्वी पर वापस लाया गया। और इससे चूहे का जन्म हुआ है जो बिल्कुल स्वस्थ है। इन चूहों में किसी तरह की कोई जेनेटिक कमी नहीं है। वहीं स्पर्म को स्पेस स्टेशन पर पर 5 साल 10 महीने के लिए माइनस 95 डिग्री के तापमान पर फ्रीज किया गया था। इस शोध के बारे में जापान के वैज्ञनिकों ने साइंस अडवांस में शुक्रवार को पब्लिश किया था।
क्या कहा तेरुहिको वाकायामा ने
बता दें कि इस शोद के मुख्य तेरुहिको वाकायामा के अनुसार, ये जो अंतरिक्ष में स्टोर किए गे स्पर्म से जो नस्ल के बच्चे पैदा हुए है वह पृथ्वी के चूहों के मुकाबले थोड़ा बहुत अंतर है। लेकिन इन बच्चों में की कमी नहीं हैं। वहीं साल 2013 में जापान की यूनिवर्सिटी ऑफ यामानाशी (University of Yamanashi, Japan) में वाकायामा और सहयोगियों ने स्पर्म के तीन बॉक्स ग्रह पर भेजे थे।
सभी बॉक्स में कम से कम स्पर्म की 48 शीशियां थी। वैज्ञानिक जानना चाहते थे कि इन स्पर्म पर रेडिएशन का क्या प्रभाव पड़ेगा। और छह साल के बाद इन सभी बॉक्स को तीन अलग अलग बैच में पृथ्वी पर लाया गया। और उसके बाद पृथ्वी पर इन्हें रिवाइज करके बच्चे पैदा कराए गए।
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