सटीक बैठा समय से पहले चुनाव कराने का शिंजो आबे का दांव

Update:2017-10-28 13:20 IST

टोक्यो। जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने समय से पहले चुनाव कराने का बड़ा दांव खेला था। इस दांव का नतीजा उनके पक्ष में गया है। हालांकि आबे के गठबंधन को 2014 की अपेक्षा कम सीटें मिली हैं मगर आबे की लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (एलडीपी) के नेतृत्व वाले गठबंधन को संसद के निचले सदन में दो तिहाई बहुमत मिल गया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने जापानी समकक्ष आबे को फिर से प्रधानमंत्री चुने जाने पर बधाई दी और कहा कि वह दोनों देशों के बीच संबंधों को और अधिक मजबूत बनाने को लेकर बहुत उत्सुक हैं। जापान में मतदान के दिन तूफान लैन के प्रभाव काफी तेज हवाओं के साथ बारिश भी हो रही थी मगर इसकी परवाह न करते हुए लाखों लोगों ने मतदान में

हिस्सा लिया।

आबे ने विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने और उत्तर कोरिया के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने के लिए नया जनादेश पाने को तय समय से एक साल पहले चुनाव कराया। चुनाव में भारी जीत मिलने के बाद आबे ने अपनी प्राथमिकताएं बताईं। उन्होंने उत्तर कोरिया से सैन्य खतरे और जनसंख्या घटने एवं बुजुर्गों की संख्या बढऩे को जापान का दो राष्ट्रीय संकट बताते हुए इससे निपटने का संकल्प लिया। उन्होंने जापान के शांतिवादी संविधान में संशोधन का भी संकेत दिया।

आबे के गठबंधन को 312 सीटें

दो-तिहाई बहुमत मिलने से आबे संविधान में संशोधन का प्रस्ताव रख सकेंगे। इससे संविधान में युद्ध की बंदिश और सेना की आत्मरक्षा की भूमिका को खत्म किया जा सकेगा। जापान में सुबह सात बजे से रात बजे तक मतदान चला। पश्चिमी जापान के कोचि में भूस्खलन की वजह से 20 मिनट देरी से मतदान शुरू हुआ। तूफान के मार्ग में पडऩे वाले दक्षिणी द्वीप पर लोगों ने एक दिन पहले ही शनिवार को मतदान किया।

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घोषित चुनाव नतीजों के मुताबिक सत्तारूढ़ लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (एलडीपी)-कोमिटो गठबंधन को कुल 465 सीटों में 312 सीटें मिली हैं। इनमें आबे की एलडीपी की 283 सीटें हैं। विपक्षी कंस्टीट्यूशनल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ जापान (सीडीपीजे) को 54 और पार्टी ऑफ होप को 49 सीटें मिलीं। आबे ने जनता का आभार जताते हुए कहा कि चुनाव परिणाम उनके प्रति जोरदार समर्थन को दर्शाता है। उन्होंने स्थिरता और उनकी सरकार की नीतियों को समर्थन देने के लिए लिए जनता का धन्यवाद किया।

महत्वपूर्ण मानी जा रही आबे की जीत

आबे का प्रचंड बहुमत से जीतकर सत्ता में वापस लौटना पूरे एशियाई क्षेत्र के शक्ति समीकरण के लिहाज से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। जीत के तुरंत बाद आबे ने उत्तर कोरिया की ओर से आ रही चुनौतियों से सख्ती से निपटने की बात कहकर जो संकेत दिया है, उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। दरअसल जापानी समाज लंबे समय से एक दुविधा में जीता आ रहा है।

एक समय बेहद लड़ाकू तेवरों के साथ साम्राज्य विस्तार करने में जुटे इस समाज में दूसरे विश्वयुद्ध की विभीषिकाओं के बाद युद्ध और हिंसा को लेकर गहरी जुगुप्सा देखने को मिली। मोटे तौर पर दूसरे विश्वयुद्ध के सत्तर साल बाद तक जापान आॢथक विकास को ही अपना एकमात्र ध्येय मान कर चलता रहा। नतीजा यह हुआ कि जापान आर्थिक ताकत तो बन गया मगर सामरिक मामले में उसकी कहीं कोई गिनती नहीं थी।

प्राथमिकताओं में बदलाव की वकालत

अब पिछले कुछ सालों से जापानी समाज को यह बात बेचैन कर रही है कि असाधारण आॢथक विकास के बावजूद वह ढंग से अपनी रक्षा करने की स्थिति में भी नहीं है। उत्तर कोरिया जैसा छोटा और अल्प विकसित राज्य भी उसे आंखें दिखाने से बाज नहीं आता। जापानी समाज के मिजाज को समझते हुए ही आबे देश की प्राथमिकताओं में बदलाव की वकालत करते रहे हैं।

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वैसे द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद हुई संधि में बदलाव की राह आसान नहीं है। इसके लिए उन्हें संसद के अलावा जनमत संग्रह में भी जीत हासिल करनी होगी। इस अड़चन को पार करना आबे के लिए आसान नहीं होगा, क्योंकि सशस्त्रीकरण को लेकर जापानी समाज अब भी काफी बंटा हुआ है।

व्यापक पैकेज का वादा

चुनाव जीतने के बाद आबे ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि वह किसी भी आकस्मिक स्थिति से जापान के लोगों की खुशहाली और शांति की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं। वह उत्तर कोरिया की मिसाइल, परमाणु और जापानियों के अपहरण से निपटने के लिए निर्णायक और मजबूत कूटनीति का सहारा लेंगे।

उत्तर कोरिया पर अपनी नीति बदने के लिए और दबाव डालेंगे। उन्होंने इस साल के अंत तक जापान की जनसंख्या की चुनौतियों से निपटने के लिए व्यापक पैकेज का वादा किया। आबे ने दूसरे विश्वयुद्ध के बाद के जापान के शांतिवादी संविधान में संशोधन के अपने लंबे लक्ष्य को आगे बढ़ाने का भी इशारा किया। लेकिन इसके लिए उन्हें इस मामले में बंटे लोगों को राजी करने में सफल होना होगा। आबे समर्थन में अन्य सभी दलों को भी इसमें शामिल करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि संविधान संशोधन के मसले पर सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों के बीच व्यापक सहमति होना जरूरी है।

भारत से रिश्ते और मजबूत होने की उम्मीद

आबे भारत के साथ संबंधों को काफी तरजीह देते हैं। उनके कार्यकाल में भारत और जापान का संबंध मजबूत हुआ है। उनके फिर से सत्ता में आने पर इसमें और मजबूती आने की उम्मीद जताई जा रही है। प्रधानमंत्री मोदी और आबे की दोस्ती का नतीजा था कि मोदी उन्हें लेकर अपने संसदीय क्षेत्र काशी भी गए थे। आबे ने वहां मोदी के साथ मां गंगा की पूजा भी की थी।

जापान आॢथक और परमाणु क्षेत्र में भारत का प्रमुख सहयोगी है। उसके सहयोग से भारत की पहली बुलेट ट्रेन परियोजना शुरू की गई है। पिछले दिनों प्रधानमंत्री मोदी के साथ आबे ने इस परियोजना की नींव रखी थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव में भारी जीत पर अपने जापानी समकक्ष आबे को बधाई दी है। मोदी ने कहा कि वह दोनों देशों के बीच संबंधों को और अधिक मजबूत बनाने को लेकर बहुत उत्सुक हैं।

मोदी ने ट्वीट किया कि मेरे प्रिय मित्र शिंजो आबे को चुनाव में अभूतपूर्व जीत के लिए हाॢदक बधाई। मैं उनके साथ मिलकर भारत-जापान संबंधों को और मजबूत बनाने को उत्सुक हूं। पिछले करीब तीन वर्षों में मोदी और आबे के संबंध बहुत अच्छे रहे हैं और दोनों की कई बार मुलाकातें हुई हैं।

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