पनामा लीक केसः पाक PM नवाज शरीफ की बढ़ीं मुश्किलें, SC ने भेजा नोटिस

Update:2016-10-20 14:57 IST

इस्लामाबादः पनामा पेपर्स लीक मामले में पाकिस्तानी पीएम नवाज शरीफ फंसते नजर आ रहे हैं। पाक मीडिया की माने तो सुप्रीम कोर्ट ने पनामा लीक मामले में प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को नोटिस भेजा है। इतना ही नहीं उनकी बेटी मरियम नवाज उनके रिश्तेदार हसन नवाज, हुसैन नवाज, पूर्व कैप्टन सफदर, वित्त मंत्री ईशाक डार, डायरेक्टर जेनरल फेडरल जांच एजेंसी, आयकर विभाग के फेडरल बोर्ड के चेयरमैन और अटॉर्नी जनरल को भी नोटिस जारी की है।

पाकिस्तान के चीफ जस्टिस अनवर जहीर जमाली की अध्यक्षता में तीन जजों की बेंच ने एक याचिका पर ये नोटिस जारी की है। इसमें नवाज शरीफ को पनामा पेपर लीक मामले की वजह से अयोग्य घोषित करने की मांग की गई है। हालांकि मामले की सुनवाई को 2 हफ्ते के लिए टाल दिया गया है।

तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के प्रेसिडेंट इमरान खान ने सुप्रीम कोर्ट में नवाज शरीफ पर याचिका दायर की थी इमरान ने मीडिया से बातचीत में कहा कि, 'प्रधानमंत्री नवाज शरीफ भी कानून से ऊपर नहीं है और अदालत की सुनवाई देश के प्रति जवाबदेही की प्रकिया में पहला कदम है।'

इमरान खान ने कहा कि उन्होंने अदालत से मामले की स्पीडी ट्रायल करने की भी अपील की है। 'खान ने कहा, 'तीन साल से न्याय के लिए वो लड़ रहे हैं और न्याय मिलने में देरी होना न्याय नहीं मिलने जैसा ही होता है।'

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आईसीआईजे ने किया था खुलासा

इंटरनैशनल कन्सॉर्टियम ऑफ इन्वैस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (आई.सी.आई.जे.) नाम के एन.जी.ओ. ने पनामा पेपर्स के नाम से यह बड़ा ख़ुलासा किया था। पनामा (उत्तरी व दक्षिणी अमरीका को भूमार्ग से जोडऩे वाला देश) की एक कानूनी फर्म ‘मोसेक फोंसेका’ के सर्वर को 2013 में हैक करने के बाद अब यह खुलासा किया गया था। पत्रकारों के इस समूह ने करीब 1 करोड़ 10 लाख दस्तावेजों का खुलासा क्रमवार किया है। इसमें 100 मीडिया ग्रुप्स के पत्रकारों को दिखाए गए दस्तावेज हैं।

70 देशों के 370 रिपोर्टरों ने इनकी जांच की है और यह जांच करीब 8 महीने तक की गई। दुनिया भर के 190 खोजी पत्रकार इस समूह से जुड़े हैं। इसमें 76 देशों के 109 मीडिया संस्थान शामिल रहे।

खुलासे में है क्या?

कागजात बताते हैं कि किस तरह से पैसे वाले लोग ऐसी जगह पर अपना पैसा लगाते हैं जहां टैक्स का कोई चक्कर ही नहीं हो। यानी ‘टैक्स चोरी का स्वर्ग’। जिन 143 राजनेताओं के बारे में इसमें जिक्र किया गया है उनमें से 12 तो अपने देशों के राष्ट्राध्यक्ष हैं। उनके परिवार व नजदीकी लोग इससे जुड़े हैं।

रुस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के खास दोस्त सर्जेई रोल्दुगिन का भी नाम इसमें आया है। इस पैसे को जिस रिजॉर्ट में लगाया गया था उसमें पुतिन की बेटी कैटरीना की शादी भी 2013 में हुई थी।

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कितना डाटा हुआ है लीक

इसमें बहुत डाटा लीक हुआ। यह विकीलीक्स के 2010 के खुलासे से भी बड़ा था। इसे 2013 में एडवर्ड स्नोडेन द्वारा लीक किए गए खुफिया दस्तावेजों से भी बड़ा खुलासा कहा जा रहा है। 2.6 जी.बी. डाटा मोसेक फोंसेका के डाटाबेस से उड़ाया गया है।

क्या है मोसेक फोंसेका

पनामा की यह लॉ कंपनी आपके पैसे का मैनेजमैंट करने का काम करती है। यदि आपके पास बहुत-सा पैसा है और आप उसे सुरक्षित रूप से ठिकाने लगाना चाहते हैं तो यह आपकी मदद करती है। यह आपके नाम से फर्जी कंपनी खोलती है और कागजों का हिसाब रखती है। इस कंपनी द्वारा दुनिया भर में किए जा रहे कारोबार पर ही पनामा देश की अर्थव्यवस्था भी निर्भर करती है।

धन का स्थानांतरण

पनामा पेपर्स की जांच कर रहे पत्रकारों ने पाया कि मोसेक फोंसेका कंपनी पूरी दुनिया में कम से कम दो लाख कंपनियों से जुड़ी हुई है जो इसके लिए एजैंट का काम करते हैं और पैसा एकत्र करते हैं। कंपनियों से सीधे सौदेबाजी करने की बजाय यह उन्हें सलाह देती है। कई स्थान पर यह दलाली भी करती है। तमाम कोशिशों के बाद भी यह साफ नहीं हो पाया है कि इन कंपनियों के छिपे हुए मालिक कौन हैं। ज्यादातर में लोगों ने किसी दूसरे को नामांकित किया हुआ है। इस मामले में सबसे ज्यादा कंपनियां चीन व हांगकांग की पाई गई हैं। पैसा जमा करने के लिए सबसे सुरक्षित देश स्विट्जरलैंड व हांगकांग माने गए। इसके बाद पनामा का नंबर आता है।

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