सिडनी। अडानी समूह को ऑस्ट्रेलिया में भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा है। भारत की बड़ी औद्योगिक कंपनी अडानी समूह के खिलाफ ऑस्ट्रेलिया के विभिन्न शहरों में जोरदार प्रदर्शनों की वजह से इस समूह की योजनाओं पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। अडानी की परियोजना का विरोध करने वाले लोगों का कहना है कि इससे देश के पर्यावरण को काफी नुकसान होगा और इसलिए इस समूह की खनन की योजना पर रोक लगनी चाहिए।
अडानी समूह ऑस्ट्रेलिया में कोयला खदान शुरू करना चाहता है। यह एक बड़ी परियोजना है और माना जा रहा है कि यह ऑस्ट्रेलिया की सबसे बड़ी खदान होगी। वैसे पर्यावरण और आर्थिक कारणों की वजह से यह परियोजना कई साल से लटकी हुई है।
बढ़ेगा ग्लोबल वार्मिंग का खतरा
लोगों ने अडानी की इस परियोजना के खिलाफ स्टॉप अडानी नाम से एक बड़ा अभियान छेड़ रखा है। इस अभियान से जुड़े लोगों व पर्यावरण समूहों का कहना है कि क्वींसलैंड में कोयला खदान शुरू होने से ग्लोबल वॉर्मिंग का खतरा बढ़ जाएगा। इसके साथ ही विश्व प्रसिद्ध ग्रेट बैरियर रीफ को भी भारी नुकसान पहुंचने की संभावना जताई जा रही है।
स्टॉप अडानी नामक अभियान के तहत ऑस्ट्रेलिया में विभिन्न स्थानों पर 45 विरोध प्रदर्शन आयोजित किए गए। अडानी की ऑस्ट्रेलिया में 16.5 अरब डॉलर की कारमाइकल कोयला खान परियोजना के खिलाफ आयोजित इन प्रदर्शनों में हजारों लोगों ने हिस्सा लिया। सिडनी, ब्रिसबेन, मेलबर्न, उत्तरी क्वींसलैंड के गोल्ड कोस्ट और पोर्ट डगलस में हजारों लोगों ने सड़कों पर उतरकर विरोध जताया।
पर्यावरण बचाने पर जोर
सिडनी के प्रदर्शन में हिस्सा लेने वाले साइमन फॉस्टरिंग ने कहा कि इस परियोजना पर रोक लगनी चाहिए क्योंकि यह परियोजना हमें खराब भविष्य की ओर ले जाएगी। वैसे ऑस्ट्रेलिया में अडानी की इस परियोजना का कितना प्रबल विरोध हो रहा है इसे ऑस्ट्रेलियाई मीडिया के इस आकलन से समझा जा सकता है कि ऑस्ट्रेलिया के आधे से ज्यादा लोग अडानी की खदान के विरोध में उतर आए हैं।
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सिडनी में एक आंदोलनकारी इसाक एस्टिल ने कहा कि इस खदान से पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचेगा। यह केवल ऑस्ट्रेलिया का ही नहीं बल्कि अन्तरराष्ट्रीय मुद्दा है। एस्टिल ने कहा कि आज हमारे पर्यावरणीय ढांचे को काफी नुकसान पहुंच रहा है। ऐसे में यह दक्षिणी गोलाद्र्ध की सबसे बड़ी कोयला खदान की परियोजना है। अपने पर्यावरण को बचाने के लिए हम इसके विरोध में उतरे हैं और ऑस्ट्रेलिया के साथ दुनिया भर में इसका विरोध हो रहा है। ऑस्ट्रेलिया के लोग अडानी को यहां आने देने के खिलाफ हैं।
स्थानीय लोगों को नौकरी का दावा
वैसे यह अडानी की महत्वाकांक्षी परियोजना है और इसकी लागत भी काफी ज्यादा है। इसकी शुरुआती लागत ही करीब 400 करोड़ डॉलर है। यही कारण है कि विश्लेषकों का इस बात संशय है कि अडानी इस खदान के लिए फंड भी दे पाएंगे या नहीं। वैसे अडानी समूह के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जयकुमार जनकराज का कहना है कि अगर कॉमर्शियल बैंक पूरा कर्ज उठा लेते हैं तो उन्हें एनएआईएफ से पैसा नहीं लेना पड़ेगा।
समूह का यह भी कहना है कि इस योजना से कई लोगों को नौकरियां मिलेंगी। उन्होंने दावा किया कि चूंकि इस योजना में ऑस्ट्रेलिया के लोगों को रोजगार मिलेगा, इस कारण योजना को स्थानीय लोगों का काफी समर्थन मिल रहा है। इससे भारत को कोयला निर्यात किया जाएगा जिससे ग्रामीण इलाकों को बिजली मिलेगी। अडानी ने इस योजना के लिए रेल लिंग शुरू करने की भी योजना बनाई है। इसके लिए समूह ने उत्तरी ऑस्ट्रेलिया इंफ्रास्ट्रक्टर फेसिलिटी (एनएआईएफ) से 70 करोड़ डॉलर से ज्यादा का ऋण लेना प्रस्ताव भी रखा है।
ऑस्ट्रेलियाई कंजर्वेशन फाउंडेशन के अध्यक्ष व देश के अग्रणी उद्योगपति ज्यॉफ कुजिंस ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि अडानी एनएआईएफ के ऋण के बिना इस परियोजना की दिशा में कदम आगे बढ़ा पाएंगे। हालांकि अडानी समूह कॉमर्शियल बैंकों से ऋण पाने की जीतोड़ कोशिश कर रहा है लेकिन मुझे नहीं लगता कि समूह इस काम में कामयाब हो पाएगा।