Taliban-Iran Tension: अफगानिस्तान – ईरान सीमा पर खूनी झड़प, 4 की मौत, तालिबान कमांडर ने दी शिया देश को जीतने की धमकी
Taliban-Iran Tension: अफगानिस्तान में चल रहा तालिबान राज लगातार सुर्खियों में बना हुआ है। कभी महिलाओं के खिलाफ सख्त फैसले को लेकर तो कभी बड़े धमाके को लेकर। लेकिन ताजा मामला पड़ोसी देश ईरान से विवाद को लेकर है।
Taliban- Iran: अफगानिस्तान में चल रहा तालिबान राज लगातार सुर्खियों में बना हुआ है। कभी महिलाओं के खिलाफ सख्त फैसले को लेकर तो कभी बड़े धमाके को लेकर। लेकिन ताजा मामला पड़ोसी देश ईरान से विवाद को लेकर है। दोनों देशो के बीच पानी को लेकर विवाद इतना गहरा गया कि इसने हिंसक रूख अख्तियार कर लिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अफगानिस्तान – ईरान सीमा पर दोनों देशों की सेनाएं आपस में भिड़ गईं, जिसमें 4 सैनिकों की मौत हुई है। इनमें तीन ईरानी आर्मी के जवान और एक तालिबान लड़ाका शामिल है।
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ईरान ने सीमा पर हुई इस घटना के लिए अफगानिस्तान की तालिबान हुकूमत को जिम्मेदार ठहराया है। दोनों देशों के बीच हेलमंद नदी के पानी को लेकर काफी समय से विवाद चल रहा है। तालिबान ने ईरान के आरोप को खारिज करते हुए गोलीबारी के लिए उसे जिम्मेदार ठहराया है। बताया जा रहा है कि इस घटना के कारण सीमा पर भारी तनाव उत्पन्न हो गया है।
ईरानी चौकी पर तालिबान का कब्जा
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तालिबान के लोगो द्वारा ईरान के साथ हुए संघर्ष का वीडियो इंटरनेट पर वायरल किया जा रहा है। इसी तरह एक वीडियो जारी दावा किया गया है कि ईरानी आर्मी के साथ झड़प के दौरान तालिबानी लड़ाकों ने उनकी एक चौकी को अपने कब्जे में ले लिया है। वायरल वीडियो में तालिबानी लड़ाकों को अमेरिकी हथियारों और गाड़ियों के साथ देखा जा सकता है। बताया जा रहा है कि तालिबान ने निमरोज प्रांत में ईरानी बॉर्डर गार्ड्स के साथ झड़प के दौरान उनकी एक चौकी पर कब्जा जमा लिया है। हालांकि, इस पर ईरान की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
किस इलाके में हुई झड़प ?
अफगानिस्तान के निमरोज प्रांत की सीमा और ईरान के सिस्तान बलूचिस्तान प्रांत की सीमा एक दूसरे से जुड़ती है। यहीं पर ईरानी बॉर्डर गार्ड्स और तालिबान लड़ाकों के बीच भीषण झड़प हो गई। ये झड़प हेलमंद नदी के पानी को लेकर हुआ, जो कि अफगानिस्तान होते हुए ईरान तक जाती है। जलवायु परिवर्तन के कारण नदी में जलस्तर लगातार कम हो रहा है, जिससे ईरान तक पानी कम पहुंच रही है।
1973 में दोनों देशो के बीच पानी के बंटवारे को लेकर एक जलसंधि हुई थी। इस संधि के मुताबिक, अफगानिस्तान को हर साल ईरान को 820 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी देना होता है। लेकिन हाल के वर्षों में इसमें कमी आई है। ईरान का आरोप है कि अफगानिस्तान उसे तय मानक से कम पानी सप्लाई कर रहा है। वहीं, अफगानिस्तान का इस पर जवाब है कि नदी का जलस्तर ही कम हो गया है। बता दें कि आर्थिक संकट का सामना कर रहे ईरान में पानी की जबरदस्त किल्लत है। बीते 30 सालों से वह सूखे का सामना कर रहा है।
तालिबान कमांडर ने ईरान को दी युद्ध की धमकी
दोनों देशों में तनाव इस हद तक बढ़ चुका है कि कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन तालिबान के एक कमांडर ने ईरान को जीतने तक की धमकी दे डाली। तालिबान कमांडर और पूर्व गवर्नर अब्दुल हामिद खोरासानी ने कहा कि जिस उत्साह के साथ हम अमेरिकियों के खिलाफ लड़े, इससे अधिक उत्साह के साथ हम ईरान के खिलाफ लड़ेंगे। ईरान को तालिबानी नेताओं के धैर्य का शुक्रगुजार होना चाहिए। अगर तालिबान के सीनियर नेता हमें इजाजत देते हैं तो हम ईरान पर जीत हासिल कर लेंगे।
ईरान का अफगानिस्तान पर पलटवार
ईरान ने अफगानिस्तान के तालिबानी सरकार पर पलटवार किया है। इस झड़प में उसे सबसे अधिक नुकसान हुआ है, ईरानी सेना के तीन जवान मारे गए हैं। ईरान ने कहा कि अफगानिस्तान को अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन करने का खामियाजा भुगतना पड़ेगा। उसे अपने एक्शन्स का जवाब देना होगा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, तालिबान ईरान के खिलाफ उन हथियारों का इस्तेमाल कर रहा है, जो साल 2021 में अमेरिकी सेना अफगानिस्तान छोड़ने की हड़बड़ी मे अपने पीछे छोड़ आई थी।
तालिबान और ईरान के रिश्ते नहीं रहे हैं सहज
अफगानिस्तान में दूसरी बार सत्ता संभालने वाला चरमपंथी संगठन तालिबान के रिश्ते शुरू से ही पड़ोसी देश ईरान के साथ सहज नहीं रहे हैं। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह ये है कि दोनों इस्लाम के दो अलग-अलग पंथों से आते हैं। तालिबान जहां कट्टर सुन्नी इस्लामिक संगठन है, वहीं ईरान को दुनिया में शियाओं का हार्टलैंड कहा जाता है। अफगानिस्तान में रह रहे अल्पसंख्यक शियाओं को तालिबान निशाना बनाते रहे हैं। जिसके कारण दोनों पक्षों के संबंध काफी कड़वे रहे हैं।
1998 में जब अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता थी, जब आठ ईरानी राजनयिकों और मजार-ए-शरीफ में पत्रकार की हत्या कर दी गई थी। इस घटना से दोनों देशों के बीच जंग के हालात बन गए थे। तालिबान ने इस घटना में अपने हाथ को नकारते हुए कहा था कि अन्य उपद्रवी संगठनों पर इसका ठीकरा फोड़ा था। जबकि ईरान का कहना था कि तालिबानी लड़ाकों ने ही हमले को अंजाम दिया।