सेक्स के दौरान किया ये काम, तो जाना होगा आपको जेल

आज-कल रेप के मामले काफी बढ़ गए हैं। आए दिन कुछ न कुछ रेप को लेकर सुनाई देता ही है, लेकिन इससे जुड़ी अब एक नई खबर आ रही है।

Update:2019-12-24 15:50 IST

नई दिल्ली: आज-कल रेप के मामले काफी बढ़ गए हैं। आए दिन कुछ न कुछ रेप को लेकर सुनाई देता ही है, लेकिन इससे जुड़ी अब एक नई खबर आ रही है। ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड में रेप से जुड़े कानून में सुधार करने के लिए एक प्रस्ताव लाने की तैयारी की जा रही है। इस कानून के प्रस्ताव पर लोगों से उनकी राय मांगी जा रही है। इस कानून के विरोध और प्रस्ताव के समर्थन में कई महिलाएं खुलकर सामने आ रही हैं।

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क्वींसलैंड में रेप से जुड़े मौजूदा कानून में कई खामियां हैं जिसका फायदा उठाकर दोषी खुद को आसानी से निर्दोष साबित कर सकता है। इस प्रस्ताव में लोगों से पूछा गया है कि क्या शारीरिक संबंध बनाने के दौरान कॉन्डोम से छेड़छाड़ करना या उसे निकालना क्या अपराध की श्रेणी में आ सकता है?

क्वींसलैंड में ये भी कानून है कि अगर कोई महिला रेप के वक्त चिल्लाती या रोती नहीं है तो उसे रेप ही नहीं माना जाता है और जिस वजह से दोषियों को कोई सजा नहीं हो पाती है। इस कानून की खामियों को सबसे पहले अटॉर्नी जनरल यवेटे डीथ ने उजागर किया था। इसके बाद क्वींसलैंड के कानून सुधार आयोग ने कानून की खामियों को लेकर परामर्श पत्र जारी किया है।

कानून की खामियों पर कोई ठोस कदम न उठाने के खिलाफ क्वींसलैंड के वकीलों और कई महिला संगठनों ने सालों तक इसके खिलाफ अभियान चलाया। कानून की इस गलती का फायदा उठाकर दोषी ये तर्क देता है कि संबंध बनाने के दौरान पीड़िता ने विरोध जाहिर नहीं किया और उसे लगा कि इसमें महिला की सहमति शामिल है।

कानून की खामियों के अंदर ही किंग्स क्रॉस नाइट क्लब के मालिक के बेटे ल्यूक लाजर को भी बरी कर दिया गया था। ल्यूक लाजर को 2013 में एक महिला से रेप का दोषी ठहराया गया था। 11 महीने जेल में रहने के बाद सुनवाई के दौरान जज ने माना कि भले ही महिला मानसिक तौर पर इसके लिए तैयार नहीं थी, लेकिन उसने अपनी सहमति से ही लाजर के साथ संबंध बनाए थे।

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जज रोबिन तुपमैन ने पाया कि पूरे मामले में लाजर निर्दोष है क्योंकि सेक्स के टाइम महिला ने भागने की कोशिश नहीं की और ना ही अपने बचाव में कोई कदम उठाया इसलिए ये माना जाता है कि इस पूरे मामले में महिला की सहमति भी शामिल थी।

वैसे तो, पीड़िता ने मीडिया के सामने आकर इस फैसले पर सवाल उठाए और बोला कि 'न' नहीं बोलने का मतलब 'हां' नहीं है और संबंध बनाने के दौरान किसी को धक्का मारकर नहीं हटाने का मतलब ये बिल्कुल नहीं है कि इसमें महिला की सहमति शामिल है।

कानून की खामियों के खिलाफ जारी कंसल्टेशन पेपर में क्वींसलैंड के लोगों से पूछा जा रहा है क्या वे मानते हैं कि जब महिला होश में न हो या वो सहमति देने की स्थिति में न हो तो उस टाइम उसके साथ शारीरिक संबंध बनाना क्रिमिनल कोड में आना चाहिए?

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कंसल्टेशन पेपर में इस बात का भी जिक्र है कि सेक्स के टाइम अगर कोई व्यक्ति कॉन्डोम से छेड़छाड़ करता है या कॉन्डोम निकाल देता है तो इसे भी अपराध की श्रेणी में रखा जाए। इस कानून के प्रस्ताव पर विचार रखने की डेडलाइन 31 जनवरी है और जबकि कमीशन को सरकार को इस पर फाइनल रिपोर्ट 17 अप्रैल तक देनी होगी।

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