Tibetan Democracy Day: तिब्बतियों के लिए बहुत खास है 2 सितंबर का दिन

Tibetan Democracy Day 2022: आज से छह दशक पहले तिब्बती लोकतंत्र दिवस 2 सितंबर को हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में निर्वासित तिब्बती सरकार के उद्घाटन के साथ चिह्नित किया गया था।

Written By :  Neel Mani Lal
Update:2022-09-02 13:49 IST

tibetan democracy day 2022 (Social Media)

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Tibetan Democracy Day 2022: 2 सितंबर के दिन पूरी दुनिया में रह रहे तिब्बतियों के लिए बेहद खास दिन होता है। आज से छह दशक पहले तिब्बती लोकतंत्र दिवस 2 सितंबर को हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में निर्वासित तिब्बती सरकार के उद्घाटन के साथ चिह्नित किया गया था।

आज 14वें दलाई लामा की तस्वीर के नीचे, दुनिया भर के तिब्बती शरणार्थी अपने पारंपरिक पोशाक, चुपा, तिब्बती लोकतंत्र दिवस की 62वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। ये दिन निर्वासन में तिब्बती लोकतांत्रिक व्यवस्था की शुरुआत का प्रतीक है। केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (सीटीए), धर्मशाला में निर्वासित तिब्बती सरकार है जो विश्व भर में फैले एक लाख से अधिक तिब्बती निर्वासितों को नियंत्रित करती है। लेकिन दुनिया की किसी भी सरकार से केंद्रीय तिब्बती प्रशासन को आधिकारिक मान्यता नहीं मिली है।

2 सितंबर,1960 को, निर्वासित तिब्बती संसद के पहले निर्वाचित प्रतिनिधियों ने तिब्बती लोकतांत्रिक व्यवस्था का उद्घाटन करने के लिए बोधगया में शपथ ली थी।1963 में, दलाई लामा ने लोकतंत्र और सार्वभौमिक मूल्यों के आदर्शों के आधार पर तिब्बती संविधान बनाया, जिसके बाद इसकी पहली महिला प्रतिनिधि चुनी गईं। 1975 में केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के शीर्ष निकाय, "कशग" ने 2 सितंबर को तिब्बती लोकतंत्र का स्थापना दिवस घोषित किया था।

1991 में, निर्वासन में तिब्बतियों के चार्टर को अपनाया गया और अगले वर्ष तिब्बती सर्वोच्च न्याय आयोग की स्थापना की गई, जिसने निर्वासित समुदाय को लोकतंत्र के तीन स्तंभों से परिचित कराया। तिब्बती लोगों के राजनीतिक और सांस्कृतिक परिदृश्य में एक बड़ा बदलाव तब हुआ जब दलाई लामा ने घोषणा की कि वह अर्ध-सेवानिवृत्ति ग्रहण करेंगे। इसके बाद उन्होंने सीटीए के कार्यकारी प्रमुख पद "कालोन ट्रिपा" के पहले प्रत्यक्ष चुनाव का आह्वान किया। एक दशक बाद 2011 में, दलाई लामा ने पहली बार अपनी सारी राजनीतिक और कार्यकारी शक्ति सिक्योंग पेनपा सेरिंग को सौंप दी, जिन्हें सीटीए के अध्यक्ष के रूप में भी जाना जाता है।

सीटीए का कार्यालय धर्मशाला में स्थित है, और भारत तथा विदेशों में फैली हर तिब्बती बस्ती में इसका एक शाखा कार्यालय है। अपने मौजूदा अध्यक्ष पेनपा सेरिंग के तहत, सीटीए सात विभाग चलाता है : धर्म और संस्कृति, गृह, वित्त, शिक्षा, सुरक्षा, सूचना और अंतर्राष्ट्रीय संबंध तथा स्वास्थ्य। राष्ट्रपति का प्रत्यक्ष चुनाव हर पांच साल में होता है।

सीटीए की सर्वोच्च विधायी निकाय यानी निर्वासित तिब्बती संसद में 45 सदस्य शामिल हैं। ये तिब्बत, तिब्बती बौद्ध धर्म के चार स्कूलों, उत्तरी अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और एशिया से होते हैं।

18 वर्ष से ऊपर के प्रत्येक तिब्बती को मतदाता सूची में पंजीकरण करने की अनुमति मिली है। हर तिब्बती को पहचान दस्तावेज के रूप में एक "ग्रीन बुक" मिली हुई होती है।

दुनिया भर में तिब्बती शरणार्थी सीटीए को अपनी वैध सरकार के रूप में मान्यता देते हैं। 20 जून 1959 को अपनी पहली प्रेस कांफ्रेंस में, दलाई लामा ने घोषणा की थी कि - "मैं जहाँ भी हूँ, मेरी सरकार के साथ, तिब्बती लोग हमें तिब्बत की सरकार के रूप में पहचानते हैं।"

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