अमेरिका ने चीन के खिलाफ किया ये बड़ा एलान, आगबबूला हुआ बीजिंग

चीन की विस्तारवादी सोच को तगड़ा झटका लगा है। अमेरिका ने उसके मंसूबों पर पानी फेर दिया है। चीन के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए अमेरिका ने दक्षिण चीन सागर के तमाम इलाकों पर उसके दावे को खारिज कर दिया है।

Update: 2020-07-14 04:11 GMT

वाशिंगटन: चीन की विस्तारवादी सोच को तगड़ा झटका लगा है। अमेरिका ने उसके मंसूबों पर पानी फेर दिया है। चीन के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए अमेरिका ने दक्षिण चीन सागर के तमाम इलाकों पर उसके दावे को खारिज कर दिया है।

ट्रंप प्रशासन ने सोमवार को एक बड़ा नीतिगत फैसला लेते हुए कहा कि दक्षिण चीन सागर में चीन के दावे का कोई कानूनी आधार नहीं है और वह एकतरफा तरीके से अपनी मर्जी इस इलाके में नहीं थोप सकता है।

ट्रंप प्रशासन ने चीन को उसी के अंदाज में जवाब देते हुए कहा कि 21वीं सदी में चीन के आक्रामक नजरिए के लिए कोई जगह नहीं है।

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चीन का दावा गैर-कानूनी: माइक पोम्पियो

इस मामले में अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा, हम एक बात साफ तौर पर कर रहे हैं कि दक्षिण चीन सागर में तमाम संसाधनों पर चीन का दावा उतना ही गैर-कानूनी है जितना इन इलाकों पर नियंत्रण करने के लिए देशों को डराने-धमकाने का उसका अभियान।

उन्होंने कहा कि अमेरिका अंतरराष्ट्रीय नियमों के दायरे में समुद्री क्षेत्र में बेरोक-टोक व्यापार जारी रखने के पक्ष में है और सैन्य बल या धमकी से विवादों के समाधान की किसी भी कोशिश को सही नहीं मानता है। बल्कि उसका विरोध करता है।

पोम्पियो ने आगे कहा कि दुनिया बीजिंग को दक्षिण चीन सागर को अपना समुद्री साम्राज्य नहीं बनाने देगी। अमेरिका अपने दक्षिण-पूर्व एशिया के सहयोगी देशों के साथ खड़ा है और अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत उनकी संप्रभुता व संसाधनों पर उनके अधिकारों की सुरक्षा करेगा।

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चीन ने दिया जवाब

उन्होंने ये भी कहा कि अमेरिका दक्षिण चीन सागर या किसी भी दूसरे बड़े इलाके में शक्ति के दम पर कब्जे की हर कोशिश को खारिज करता है और समुद्री इलाकों की सुरक्षा में अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ खड़ा है। अमेरिका के इस ऐलान पर चीन की भी प्रतिक्रिया आई है।

चीनी दूतावास के प्रवक्ता ने कहा, अमेरिका के दक्षिण चीन सागर पर दिए गए बयान में तथ्यों के साथ जानबूझकर छेड़छाड़ की गई है और इलाके की स्थिति को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है। ये चीन व अन्य देशों के बीच विवाद पैदा करने की कोशिश है और हम इसका कड़ा विरोध करते हैं।

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