ट्रंप पर दूसरी बार चलाया गया महाभियोग, इस दिन होगा आखिरी फैसला
कैपिटल हिंसा मामले में अमेरिकी प्रतिनिधि सभा ने बुधवार को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पास किया है। ट्रंप अमेरिका के इतिहास में पहले ऐसे राष्ट्रपति बन गए हैं जिनके खिलाफ दो बार महाभियोग चलाया गया।
वॉशिंगटन: कैपिटल हिंसा मामले में अमेरिकी प्रतिनिधि सभा ने बुधवार को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पास किया है। ट्रंप अमेरिका के इतिहास में पहले ऐसे राष्ट्रपति बन गए हैं जिनके खिलाफ दो बार महाभियोग चलाया गया। अब महाभियोग प्रस्ताव पर सीनेट यानी ऊपरी सदन में चर्चा होगी।
पक्ष में पड़े 232 वोट
गौरतलब है कि ट्रंप पर देश के खिलाफ विद्रोह भड़काने का आरोप है। महाभियोग प्रस्ताव के दौरान पक्ष में 232 और विपक्ष में 197 वोट पड़े। इसमें डोनाल्ड ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी के 10 सांसदों ने भी उनके खिलाफ वोट किया है। अब 19 जनवरी को सीनेट में ये प्रस्ताव लाया जाएगा। ट्रंप दो बार महाभियोग का सामना करने वाले अमेरिका के इतिहास के पहले राष्ट्रपति हैं। वहीं, सीनेट में बहुमत के नेता मिच मैककोनेल के मुताबिक ट्रंप के खिलाफ महाभियोग 20 जनवरी से पहले नहीं चलेगा। इस दिन जो बाइडन को शपथ लेनी है।
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ट्रंप को दोषी ठहराया जाना चाहिए
बहस की शुरुआत करते हुए रूल्स कमेटी के चेयरमैन ने कहा कि हम उसी जगह खड़े होकर ऐतिहासिक कार्यवाही पर बहस कर रहे हैं, जहां अपराध हुआ था। यह हमारे देश के खिलाफ संगठित विद्रोह था और उसे डोनाल्ड ट्रंप ने भड़काया था। वहीं, हाउस स्पीकर नैंसी पेलोसी ने ने कहा कि हम जानते हैं कि डोनाल्ड ट्रंप ने देश के खिलाफ विद्रोह के लिए लोगों को उकसाया। उन्हें इसके लिए पद से हटाना होगा। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप ने नवंबर में हुए चुनाव के नतीजों के बारे में बार-बार झूठ बोला और लोकतंत्र पर शक किया। साथ ही कहा कि ट्रंप को सीनेट की ओर से दोषी ठहराया जाना चाहिए।
आगे क्या होगा?
आपको बता दें कि प्रतिनिधि सभा में प्रस्ताव पारित होने के बाद अब 19 जनवरी को सीनेट पेश किया जाएगा। यदि यहां भी प्रस्ताव को बहुमत मिलता है, तो डोनाल्ड ट्रंप को राष्ट्रपति पद से हटा दिया जाएगा। हालांकि, 20 जनवरी को ट्रंप का कार्यकाल समाप्त हो रहा है। यानी अगर उन्हें हटाया भी जाता है, तो वह एक तरह से अपना कार्यकाल पूरा कर लेंगे, लेकिन बतौर राष्ट्रपति दो बार महाभियोग का सामना करने और जबरन पद से हटाने जैसी शर्मिंदगी हमेशा उनके साथ रहेगी।
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ये है परेशानी की वजह
प्रतिनिधि सभा में डेमोक्रेट बहुमत में हैं, लिहाजा प्रस्ताव साधारण बहुमत से पास होकर उच्च सदन यानी सीनेट में चला गया है। लेकिन सीनेट में रिपब्लिकन का बहुमत है और यहां प्रस्ताव पारित होने के लिए दो तिहाई मत जरूरी होते हैं। सीनेट में आंकड़े ट्रंप के पक्ष में हैं, मगर जिस तरह से उनकी पार्टी के सांसद उनके खिलाफ हो रहे हैं, उसे देखते हुए प्रस्ताव के पारित होने की संभावना बढ़ गई है। 2019 में ट्रंप के खिलाफ पहले महाभियोग की बात करें तो इस दौरान एक भी रिपब्लिकन ने प्रस्ताव के पक्ष में वोट नहीं दिया था।