Cancer Risk in Shampoo: कहीं आपके पास भी ये शैम्पू तो नहीं, हो जायेगा कैसर, वीडियो में देखें पूरी डिटेल

Cancer Risk in Shampoo: हिंदुस्तान यूनिलीवर ने घोषणा की है कि भारत में न तो कंपनी इन उत्पादों का निर्माण करती है और न बेचती है।अमेरिका, कनाडा में इन उत्पादों का बाजार है।

Written By :  Neel Mani Lal
Written By :  Yogesh Mishra
Update:2022-11-01 20:14 IST

Cancer Risk in Shampoo: ये विदेशी कंपनियां भारतीयों या अल्प विकसित देश के लोगों के साथ कितना और किस तरह का मज़ाक़ करती हैं। यह समझना बहुत मुश्किल है। अभी कुछ दिन पहले जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी  को अपने बहुत से उत्पाद महज़ इसलिए वापस लेने पड़े थे।क्योंकि उसके उत्पाद का उपयोग करने से कैंसर का ख़तरा था। हाल फ़िलहाल एक और बुरी खबर आई है कि दुनिया की जानी मानी कंपनी यूनिलीवर भी एक शैम्पू बनाती है, जिससे कैंसर का खतरा बढ़ता है। कैंसर फैल सकता है। यह कंपनी सौंदर्य प्रसाधन व खाद्य पदार्थों के चार सौ आइटम की मार्केटिंग करती है। पर हैरत की बात यह है कि ये कंपनियां भारतीय बाज़ार से न तो अपने प्रोडक्ट वापस लेती हैं। और न ही भारतीयों को हुए नुकसान का हर्जाना देती हैं।

हाल फ़िलहाल यूनिलीवर कंपनी ने अमेरिकी बाज़ार से अपना एक शैम्पू वापस ले लिया है। क्योंकि इस शैम्पू में बेंजीन होने के नाते इससे कैंसर होने के खतरे का पता चलता है। यूनिलीवर समूह के पास सौंदर्य से लेकर भोजन और घरेलू सामान के 400 से अधिक ब्रांड हैं। भारत में इस कंपनी का नाम हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड (एचयूएल) है।  यूनिलीवर ने जिस शैम्पू को वापस लिया है, वे ड्राई शैम्पू हैं। ड्राई शैम्पू स्प्रे या पाउडर बेस्ड होते हैं। जिनको इंस्टेंट परिणाम के लिए प्रयोग में लाया जाता है। ड्राई शैम्पू का उपयोग बालों को गीला किए बिना उन्हें साफ करने के लिए किया जाता है । ये शैम्पू बाल में लगे तेल और ग्रीस को साफ करते हैं । बालों को घना दिखाते हैं। यह इनकी खूबी होती है। इसीलिए लोग इनका बहुत इस्तेमाल करते  हैं।

कंपनी ने अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) की वेबसाइट पर एक बयान जारी कर घोषणा की है कि डव, नेक्सस, सुवे, टीजीआई (रॉकहोलिक और बेड हेड) और ट्रेस्मी समेत 19 उत्पाद को बेंजीन के संभावित ऊंचे स्तर के कारण वापस लिया जा रहा है। बेंजीन को मानव कार्सिनोजेन भी माना जाता है। यूनीलीवर ने अपने बयान में कहा है कि एक आंतरिक जांच में हमें यह पता चला है कि इन उत्पादों में बेंजीन की मात्रा  है।

एफडीए के अनुसार, मौखिक रूप से या त्वचा के माध्यम से बेंजीन के संपर्क में आने से ल्यूकेमिया, बोन मेरो, रक्त कैंसर और संभावित घातक रक्त विकार हो सकते हैं। एफडीए के अनुसार बेंजीन विषाक्तता के लक्षणों में चक्कर आना, उनींदापन, तेज़ या अनियमित दिल की धड़कन और सिरदर्द शामिल हैं। लेकिन प्रभाव एक्सपोज़र की मात्रा, मार्ग और समय के साथ-साथ उम्र और पहले से मौजूद स्वास्थ्य कारकों पर साइडइफ़ेक्ट ज़्यादा निर्भर करता है।

यूनिलीवर ने उपभोक्ताओं को यह सलाह दी है कि वे उत्पाद वापस कर दें और अपनी प्रतिपूर्ति बाज़ार से ले लें। कंपनी ने रिकॉल में शामिल सभी विशिष्ट उत्पादों की एक सूची भी जारी की है। पिछले दिसंबर में, कई सामानों में बेंजीन के संकेत पाए जाने के बाद, प्रॉक्टर एंड गैंबल ने 30 से अधिक उत्पादों के लिए स्वैच्छिक रिकॉल जारी किया था। वापस बुलाए गए सामानों में एरोसोल ड्राई कंडीशनर , स्प्रे उत्पाद , और पैंटीन, ऑस्ट्रेलियाई, हर्बल एसेंस और वाटर से एरोसोल ड्राई शैम्पू स्प्रे उत्पाद शामिल थे।इसके अलावा ओल्ड स्पाइस और हेयर फ़ूड के एरोसोल ड्राई शैम्पू उत्पाद को भी वापस लिया गया।

कुछ ही महीने पहले, जॉनसन एंड जॉनसन ने बेंजीन के निम्न स्तर के कारण अपने पांच न्यूट्रोजेना और एवीनो एरोसोल सनस्क्रीन उत्पादों को स्वैच्छिक रूप से वापस बुला लिया था।हालाँकि यह दावा जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी का है। परंतु इस कंपनी पर इतने मुकदमे दुनिया भर  में हुए कि इसे यह फ़ैसला लेने पर मजबूर होना पड़ा। सीडीसी की रिपोर्ट है कि बेंजीन उत्पादन मात्रा के लिए शीर्ष 20 रसायनों में सूचीबद्ध है। यह अन्य उत्पादों जैसे गैसोलीन, सिगरेट के साथ-साथ पेंट, गोंद, फर्नीचर, मोम और डिटर्जेंट सहित इनडोर सामानों में पाया जा सकता है।

दिलचस्प यह है कि इस बीच हिंदुस्तान यूनिलीवर ने यह घोषणा की है कि भारत में न तो कंपनी इन उत्पादों का निर्माण करती है और न ही बेचती है। यूनिलीवर के अनुसार सिर्फ अमेरिका व कनाडा में इन उत्पादों का बाजार है। वहीं पर निर्माण होता है। वहीं पर बेचे जाते हैं। इसलिए भारत से उन्हें वापस लेने की जरूरत नहीं है। पर यह जानकर आपको हैरत होगा कि भारत में ऐसे तमाम उत्पाद जो आपके स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाते हैं, उनका उपयोग ये बड़ी कंपनियां करती हैं। इन पर हमारा ध्यान ही नहीं जाता है। एक समय कुरकुरे को लेकर सवाल खड़ा किया गया था। एक समय टू मिनट मैगी को लेकर भी सवाल खड़ा हुआ था कि उसमें शीशे की ज्यादा मात्रा पाई जाती है। एक दौर में कोल्ड ड्रिंक्स को लेकर भी सवाल खड़ा हुआ था और कहा गया था कि इसमें कीटनाशकों की मात्रा ज्यादा मिलाई जाती है, जो नुक़सानदेह है। और निर्धारित मात्रा से ज़्यादे है।

यह दिलचस्प है कि कांग्रेस सरकार में कीटनाशकों की मात्रा कोल्ड ड्रिंक्स में ज्यादा मिलाई जाती है, यह दावा करने वाले वैज्ञानिक और उस समय के कोल्ड ड्रिंक्स की बड़ी कंपनी के सीईओ दोनों को एक साथ पद्म पुरस्कारों से नवाज़ दिया गया था। तो इसलिए आप यह मत सोचें कि आपकी सरकार अमेरिकी सरकार की तर्ज पर मिलावट के उन सामानों को रोकेगी, जिससे आपकी सेहत खराब होती है। आपको खुद चीजें देख के, समझ के, पढ़ के खरीदना होगा। सरकार इस जिम्मेदारी को वहन करने को तैयार नहीं है। 

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