इस बीमारी से पीड़ित लाखों लोगों की हो सकती है मौत, इनके लिए कोरोना बना खतरा

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और यूएनएड्स (UNAIDS) द्वारा मॉडलिंग स्ट्डी के मुताबिक, अनुमान लगाया गया है कि अफ्रीका के सब-सहारा इलाके में अगले 6 महीनों में अतिरिक्त 5,00,000 से ज्यादा एड्स मरीजों की जान जा सकती है।

Update:2020-05-14 10:20 IST

नई दिल्ली: चीन से फैले कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में हाहाकार मचा रखा है। दुनियाभर में अब तक दो लाख 92 हजार से ज्यादा लोगों की इस घातक बीमारी के चलते मौत हो चुकी है। वहीं 43 लाख 42 हजार से ज्यादा लोग संक्रमित है। लेकिन अब तक इस बीमारी को रोकने की लिए ना तो कोई सटीक इलाज मिल सका है और ना ही किसी वैक्सीन की खोज हो सकी है। इस बीच एक स्टडी में बताया गयाय है कि कोरोना के चलते एड्स से जूझ रहे करीब 5 लाख मरीजों की मौत हो सकती है।

6 महीनों में हो सकती है 5 लाख एड्स संक्रमितों की मौत

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और यूएनएड्स (UNAIDS) द्वारा मॉडलिंग स्ट्डी के मुताबिक, अनुमान लगाया गया है कि अफ्रीका के सब-सहारा इलाके में अगले 6 महीनों में अतिरिक्त 5,00,000 से ज्यादा एड्स मरीजों की जान जा सकती है। अगर ऐसा होता है तो यह 2008 में एड्स से मरने वालों मरीजों के आंकड़े का रिकॉर्ड तोड़ देगी।

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ARV थेरपी से संक्रमण दर में आई थी कमी, लेकिन...

अफ्रीका में पिछले 10 सालों में (2010-20) में बच्चों में HIV संक्रमण की दर में 43 प्रतिशत की कमी आई थी। ऐसा एंटीरेट्रोवायरल (ARV) थेरपी की वजह से हुआ था, लेकिन अब अगर इन्हें दवा और थेरपी सही समय पर नहीं मिलती है तो आने वाले 6 महीनों में मोजाम्बिक में 37 फीसदी मरीज बढ़ सकते हैं। वहीं मलावी और जिम्बॉब्वे में ये आंकड़ा 78-78 फीसदी जा सकता है और यूगांडा में इन सबसे ज्यादा 104 फीसदी बच्चे HIV संक्रमित हो सकते हैं।

ARV थेरपी से जिंदा हैं 64 फीसदी एड्स मरीज

WHO और UNAIDS की स्टडी में बताया गया है कि साल 2018 में सब-सहारन अफ्रीका में 2.57 करोड़ लोग HIV संक्रमित रहे थे। जिनमें से 64 फीसदी एंटीरेट्रोवायरस (ARV) थेरपी की वजह से जिंदा हैं। लेकिन महामारी फैलने के बाद इन इलाकों में स्वास्थ्य सिस्टम बेहद खराब हो चुका है। HIV क्लीनिक्स पर एंटीरेट्रोवायरस की सप्लाई नहीं हो पा रहे हैं। जिस वजह से एड्स के मरीज अपनी दवा की खुराक को मिस कर दे रहे हैं।

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इन मरीजों के लिए भी खतरनाक है कोरोना वायरस

WHO ने अपनी इस स्टडी में बताया है कि कोरोना वायरस एड्स, टीबी, मलेरिया जैसी बीमारियों के मरीजों के लिए कितना खतरनाक है। ऐसी मरीज भले ही कोरोना संकमित ना हो लेकिन वो किसी न किसी तरीके से ज्यादा परेशानी में आ सकते हैं।

फिर से इतिहास में धकेलेगा ये आंकड़ा

WHO के महानिदेशक डॉ. टड्रोस अधनोम घेब्रेसस ने दुख जाहिर किया कि यह रिपोर्ट एक अजीब सी स्थिति की ओर ले जा रहा है। उन्होंने कहा कि अगर अफ्रीका में एड्स से ग्रसित 5 लाख मरीजों की मौत होती है तो यह हमें फिर से इतिहास में वापस ले जाएगा।

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WHO के महानिदेशक ने की ये अपील

उन्होंने कहा कि हमें जागना होगा। ना केवल कोरोना बल्कि इसकी वजह से अन्य बीमारियों से भी ग्रसित होने वाले मरीजों को बचाना होगा। WHO के महानिदेशक डॉ. टड्रोस अधनोम घेब्रेसस ने पूरी दुनिया की कंपनियों और स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े लोगों को एड्स से संबंधित टेस्टिंग किट्स और दवाओं की मात्रा बढ़ाने को कहा। साथ ही अफ्रीका में लोगों की मदद करने पर भी जोर दिया।

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अफ्रीका में HIV फैलने का खतरा

कंडोम की कमी होने की वजह से भी अफ्रीका में HIV फैलने का खतरा भी बढ़ गया है। इसके अलावा महामारी के इस दौर में एंटीरेट्रोवायरस (ARV) थेरपी, टेस्टिंग किट्स आदि की भी कमी हो गई है। अफ्रीका में एड्स या HIV पीड़ित लोगों को तय समय पर ARV थैरेपी लेनी होती है। क्योंकि वो इसी के सहारे जिंदा हैं।

अगर ARV थेरपी पूरी नहीं होती है तो ऐसे में HIV वायरस की मात्रा दोबारा शरीर में बढ़ने लगती है। इस स्थिति में संक्रमित मरीज किसी भी तरह से किसी दूसरे शख्स को संक्रमित कर सकता है, जिससे एड्स मरीजों की संख्या भी बढ़ जाएगी।

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