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CBI कोर्ट ने सुनाया फैसला, व्यापमं घोटाले में 30 आरोपियों को 7-7 साल की सजा

वहीं इस मामले में मुख्य आरोपी को अदालत ने 10 साल की सजा सुनाया है। आपको बता दें कि इस मामले में अदालत ने पिछले हफ्ते सभी आरोपियों को दोषी माना था। मध्य प्रदेश का व्यापमं घोटाले देश के चर्चित घोटालों में से एक है।

Harsh Pandey
Published on: 25 Nov 2019 12:33 PM GMT
CBI कोर्ट ने सुनाया फैसला, व्यापमं घोटाले में 30 आरोपियों को 7-7 साल की सजा
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नई दिल्ली: व्यापमं घोटाले के पुलिस आरक्षक भर्ती मामले में CBI की विशेष अदालत बड़ा फैसला सुनाया है, खबर है कि अदालत ने 30 आरोपियों को 7- 7 साल की सजा सुनाई है।

वहीं इस मामले में मुख्य आरोपी को अदालत ने 10 साल की सजा सुनाया है। आपको बता दें कि इस मामले में अदालत ने पिछले हफ्ते सभी आरोपियों को दोषी माना था। मध्य प्रदेश का व्यापमं घोटाले देश के चर्चित घोटालों में से एक है।

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सीबीआई की विशेष कोर्ट ने सोमवार को व्यापमं घोटाले में 30 आरोपियों को 7-7 साल की सजा दी गई है। वहीं मुख्य आरोपी प्रदीप त्यागी को 10 साल की सजा दी गई। आरोपियों में 12 परीक्षार्थी, 12 12 फर्जी परीक्षार्थी और 7 दलाल शामिल हैं। सभी को कोर्ट ने जेल भेज दिया।

बता दें कि 21 नवंबर 2019 को, 2013 में मध्यप्रदेश का बहुचर्चित व्यापमं पुलिस भर्ती मामले में हुए घोटाले में स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने सभी 31 आरोपियों को दोषी करार दिया था।

आपको जानकारी के लिए बता दें कि व्यापमं मामले में एसटीएफ की यह पहली एफआईआर थी। राजेंद्र नगर थाने में दर्ज मामले के बाद जांच एसटीएफ को सौंपी गई थी।

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एफआईआर दर्ज होने के कुछ समय बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश के चलते व्यापमं घोटाले की जांच एसटीएफ से हटाकर सीबीआई को सौंप दी गई थी।

सीबीआई ने पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा घोटाले की 2013 परीक्षा घोटाले के मामले में 31 लोगों को आरोपी बनाया था। इस मामले में गवाही 2014 में शुरू हुई थी। गवाही पांच साल चली।

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यह है पूरा मामला…

आपको बता दें कि व्यापमं में गड़बड़ी का बड़ा खुलासा सात जुलाई, 2013 को पहली बार पीएमटी परीक्षा के दौरान तब हुआ, जब एक गिरोह इंदौर की अपराध शाखा की गिरफ्त में आया।

यह गिरोह पीएमटी परीक्षा में फर्जी विद्यार्थियों को बैठाने का काम करता था, मुख्यमंत्री चौहान ने इस मामले को अगस्त 2013 में एसटीएफ को सौंप दिया।

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गठित हुई एसआईटी…

हाई कोर्ट ने मामले का संज्ञान लिया और उसने हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज चंद्रेश भूषण की अध्यक्षता में अप्रैल 2014 में एसआईटी गठित की, जिसकी देखरेख में एसटीएफ जांच करता रही। नौ जुलाई, 2015 को मामला सीबीआई को सौंपने का फैसला हुआ और 15 जुलाई से सीबीआई ने जांच शुरू की।

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सरकार के पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा, उनके ओएसडी रहे ओपी शुक्ला, बीजेपी नेता सुधीर शर्मा, राज्यपाल के ओएसडी रहे धनंजय यादव, व्यापमं के नियंत्रक रहे पंकज त्रिवेदी, कंप्यूटर एनालिस्ट नितिन मोहिद्रा जेल जा चुके हैं।

इस मामले में दो हजार से अधिक लोग जेल जा चुके हैं, और चार सौ से अधिक अब भी फरार हैं. वहीं 50 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।

पहले होती थीं मेडिकल परीक्षाएं…

पहले व्‍यापम का नाम व्‍यावसायिक परीक्षा मंडल था जिसे बाद में प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड कर दिया गया है। व्यापम की शुरुआत जनवरी, 1970 में हुई थी, इसे पहले प्री-मेडिकल टेस्ट बोर्ड के नाम से जाना जाता था।

उस दौरान इसका गठन मेडिकल परीक्षाओं के आयोजन करने के लिए किया गया था, 1981 में गठित प्री-इंजिनियरिंग बोर्ड को प्री-मेडिकल बोर्ड के साथ 1982 में मिला दिया गया।

दोनों को मिलाकर व्‍यावसायिक परीक्षा मंडल का गठन किया गया, यह बोर्ड और भी शैक्षणिक संस्थानों में दाखिले के लिए परीक्षाएं आयोजित करता था।

Harsh Pandey

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