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कोरोना के बीच इस भयानक बीमारी की दस्तक, भारत के बच्चों के लिए बनी काल

इस समय पूरी दुनिया कोरोना वायरस के खिलाफ जंग लड़ रही है। इस बीच एक और संकट ने भारत समेत दुनियाभर में दस्तक दे दी है।

Shreya
Published on: 6 July 2020 6:07 AM GMT
कोरोना के बीच इस भयानक बीमारी की दस्तक, भारत के बच्चों के लिए बनी काल
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नई दिल्ली: इस समय पूरी दुनिया कोरोना वायरस के खिलाफ जंग लड़ रही है। इस बीच एक और संकट ने भारत समेत दुनियाभर में दस्तक दे दी है। दरअसल, कई देशों में कोरोना से प्रभावित बच्चों में कुछ अलग तरीके के लक्षण देखने को मिले हैं और ये लक्षण कावासाकी नाम की बीमारी से मिलते जुलते हैं। जिसने सभी की चिंता बढ़ा दी है। बच्चों में होने वाली कोरोना वायरस से संबंधित कावासाकी नाम की बीमारी ने भारत में भी दस्तक दे दी है। भारत में अलग-अलग इलाकों में मिलते-जुलते मामले दिख रहे हैं।

WHO ने मल्टीसिस्टम इनफ्लेमेटरी डिसऑर्डर दिया नाम

कई बार ऐसा देखने को मिल रहा है कि बच्चे में केवल इस बीमारी के दो या तीन लक्षण ही होते हैं, जो कोरोना जैसे लगते हैं लेकिन असल में वो कोरोना नहीं होता है। बीते महीने की वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) ने कोरोना और कावासाकी के सामान लक्षणों वाले मरीजों पर चिंता जताते हुए इस अवस्था को मल्टीसिस्टम इनफ्लेमेटरी डिसऑर्डर नाम दिया था। तो चलिए आपको बताते हैं इस बीमारी के बारे में।

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क्याा हैं कावासाकी बीमारी के लक्षण?

कावासाकी बीमारी की वजह से बच्चों की रक्त कोशिकाएं फूल जाती हैं और उनके पूरे शरीर पर लाल चकत्ते निकल आते हैं। बच्चों को तेज़ बुखार आता है और उनकी आंखें भी लाल हो जाती हैं। इसके अलावा गले की ग्रथियों में सूजन, होठों का सूखना और फटना भी इस बीमारी के लक्षणों में शामिल है। इसके मरीज की जीभ इतनी लाल हो जाती है कि इसे स्ट्रॉबरी टंग भी कहा जाता है। बच्चे को लगभग पांच दिनों तक तेज बुखार होता है।

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बच्चों को हो सकती हैं गंभीर समस्याएं

वहीं रक्त कोशिकाएं में सूजन आने के चलते ह्रदय पर खराब असर पड़ता है क्योंकि उस तक खून सही से पहुंच नहीं पाता है। ऐसे में हार्ट में परमानेंट खराबी का डर भी बना रहता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये नई बीमारी बड़ी उम्र के बच्चों (14-16 साल) को भी प्रभावित कर रही है। इसकी वजह से कुछ बच्चों को गंभीर समस्याएं भी हो सकती हैं।

सबसे पहले जापान के डॉक्टर ने बीमारी का किया था खुलासा

इस बीमारी का नाम एक जापानी डॉक्टर के नाम पर कावासाकी पर रखा गया। साल 1967 में इस बीमारी के बारे में उन्होंने ही पहली बार बताया था। उन्होंने इस बीमारी के कुछ लक्षण बताए थे, जैसे- बुखार, त्‍वचा पर लाल चकत्‍ते, लाल ऑंखें, गले और मुँह की लाली, हाथों और पैरों में सूजन आदि। पहला मरीज 4 साल का था। इसके बाद से कई मामले उसी साल सामने आए थे।

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अभी तक रहस्यमयी बनी हुई है यह बीमारी

कावासाकी अब तक एक रहस्यमयी बीमारी बनी हुई है। क्योंकि अब तक विशेषज्ञ ये पता लगाने में सफलता हासिल नहीं कर पाए हैं कि ये बीमारी आखिर क्यों होती है। ग्लोबल कार्डियोलॉजी साइंस की एक स्टडी के मुताबिक, भारत में स्थिति इसलिए भी खराब है क्योंकि बड़े स्तर पर इस रोक की पहचान नहीं हो पाती है। वहीं इस रोग की चपेट में लड़कियों की तुलना में ज्यादातर लड़के आते हैं। यह रोग होने का अनुपात भारत में 1.5:1 है।

कोरोना संक्रमित होने के बाद नजर आ रहे हैं लक्षण

माना जा रहा है कि जिन बच्चों का इम्यून सिस्टम कोरोना वायरस पर देर से प्रतिक्रिया दे रहा है, उनमें इस बीमारी की चपेट में आने की संभावना अधिक है। ये बीमारी कावासाकी डिजीज से मिलती जुलती है। यह देखने को मिल रहा है कि कोरोना होने के बाद कुछ मामलों में बच्चों में कावासाकी के भी लक्षण नजर आने लगते हैं। हालांकि ये लक्षण कोरोना संक्रमण होने के दो से तीन हफ्ते बाद नजर आते हैं।

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आमतौर पर 4 से 5 साल के बच्चों को होती है यह बीमारी

भारत में भी बच्चों में कावासाकी और कोरोना के समान लक्षण के मामले सामने आए हैं। लेकिन कोरोना टेस्ट होने पर उनकी रिपोर्ट निगेटिव आई है। वैसे तो कावासाकी बीमारी सामान्य तौर पर पांच साल से कम उम्र के बच्चों को होती है लेकिन कोविड 19 के मामलों में देखा गया है कि इसके लक्षण 10 से 14 के बच्चों में भी मिल रहे हैं। अकेले कावासाकी बीमारी होने पर जहां बच्चे के हार्ट पर असर होता है तो वहीं कोरोना से मिलने पर इसमें ह्रदय पर असर नहीं दिख रहा है।

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भारत में कैसे किया जा रहा है कि इसका इलाज

फिलहाल अब तक इस बीमारी का कोई सटीक इलाज नहीं खोजा जा सका है। भारत में ऐसे मरीजों को स्टेरॉयड दिया जाता है। इस बीमारी के चलते कई बच्चों में ऑर्गन फेल होने के चलते उन्हें आईसीयू में भर्ती करने की भी स्थिति आ सकती है। फिलहाल कावासाकी और कोरोना से मिलते जुलते लक्षण वाले बच्चों को सपोर्टिव थैरेपी ही दी जा रही है, ताकि उनके अंग ठीक से काम शुरू कर सकें और वे आप-ही-आप बेहतर हो जाएं।

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