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अर्थव्यवस्था को उबारने में जुटी सरकार, एक और बड़े राहत पैकेज का एलान जल्द
कोरोना से लगे झटके से अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए शीर्ष स्तर पर इन दिनों गंभीर कोशिशें चल रही हैं। जानकार सूत्रों का कहना है कि पीएमओ और वित्त मंत्रालय में चल रहे मंथन से साफ है कि केंद्र सरकार जल्द ही एक और बड़े राहत पैकेज का ऐलान कर सकती है।
नई दिल्ली: कोरोना से लगे झटके से अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए शीर्ष स्तर पर इन दिनों गंभीर कोशिशें चल रही हैं। जानकार सूत्रों का कहना है कि पीएमओ और वित्त मंत्रालय में चल रहे मंथन से साफ है कि केंद्र सरकार जल्द ही एक और बड़े राहत पैकेज का ऐलान कर सकती है। सरकार का ध्यान उन क्षेत्रों पर ज्यादा है जिन्हें इतने लंबे लॉकडाउन ने जबर्दस्त चोट पहुंचाई है। सरकार ने पिछले दिनों की देश के गरीब और वंचित वर्ग के लोगों के लिए एक लाख सत्तर हजार करोड़ के पैकेज का एलान किया था और माना जा रहा है कि यह दूसरा पैकेज इस पैकेज से भी बड़ा होगा।
अभी लॉकडाउन खत्म होने के आसार नहीं
देश में कोरोना का संक्रमण रोकने के लिए 24 मार्च से ही लॉकडडाउन चल रहा है। पीएम नरेंद्र मोदी ने 21 दिनों के जिस लॉकडाउन का एलान किया था उसकी अवधि 14 अप्रैल को समाप्त होने वाली है। वैसे देश में कोरोना से संक्रमित होने वाले केसों की संख्या बढ़ने के बाद माना जा रहा है कि यह लॉकडाउन शायद 14 अप्रैल को भी खत्म नहीं हो पाएगा। विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं और राज्य सरकारों ने भी केंद्र से लॉकडाउन की अवधि बढ़ाने की मांग की है ताकि कोरोना पर काबू पाया जा सके।
लॉकडाउन से चौपट हुई अर्थव्यवस्था
लॉकडाउन ने अर्थव्यवस्था को जबर्दस्त चोट पहुंचाई है और विविध क्षेत्रों में काम पूरी तरह ठप हो गया है। सरकार अर्थव्यवस्था की इन दिक्कतों को दूर करने के लिए तेजी से जुट गई है। जानकार सूत्रों का कहना है कि सरकार की इन कोशिशों से साफ संकेत मिला है कि लॉकडाउन से प्रभावित अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए केंद्र सरकार की ओर से जल्द ही एक और बड़े राहत पैकेज का एलान हो सकता है।
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उद्योगों को मिलेगी विशेष राहत
सूत्रों का कहना है कि इस पैकेज का एलान लॉकडाउन की अवधि खत्म होने से पहले ही कर दिया जाएगा। इस पैकेज के तहत सरकार की ओर से उद्योगों को विशेष रूप से राहत दी जा सकती है। सरकार का ध्यान लॉकडाउन की सर्वाधिक मार झेलने वाले क्षेत्रों मसलन होटल उद्योग, पर्यटन, टूर एंड ट्रेवल, विमानन और खुदरा व्यापार के साथ ही छोटे व मझोले उद्योगों पर टिका हुआ है। सरकार इन क्षेत्रों से जुड़े हुए लोगों की दिक्कतों को दूर करना चाहती है और पैकेज में इनके लिए कुछ बड़े कदम उठाए जा सकते हैं।
औद्योगिक संगठनों की पैकेज की मांग
कई राजनीतिक दलों और विभिन्न औद्योगिक संगठनों ने सरकार से मांग की है कि ऐसे कदम उठाए जाएं ताकि उद्योगों को पुनर्जीवित किया जा सके। इन सभी का कहना है कि सरकार को एक बड़े पैकेज के साथ सामने आना चाहिए ताकि पूरी तरह ठप पड़ गए उद्योगों में नई जान डाली जा सके।
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कोरोना ने छीन ली रफ्तार
सीआईआई और एसोचैम की ओर से उद्योगों को पुनर्जीवित करने के लिए सरकार से बड़े पैकेज की मांग की गई है। इन दोनों संगठनों का कहना है कि कोरोना के कारण घोषित लॉकडाउन ने उद्योगों की रफ्तार छीन ली है। अब सरकार को उद्योगों के लिए राहत पैकेज का बूस्टर देना चाहिए ताकि इन्हें फिर से जिंदा किया जा सके।
इतनी बड़ी रकम की जरुरत
सीआईआई से जुड़ी मुख्य अर्थशास्त्री विदिशा गांगुली का कहना है कि देश की अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने के लिए कम से कम आठ लाख करोड़ रुपए की जरूरत होगी। उनका कहना है कि यह छोटी मोटी रकम नहीं है और इसके लिए सरकार को विभिन्न कदम उठाने होंगे। दूसरी ओर एसोचैम नेइस से भी बड़े राहत पैकेज की मांग की है। एसोचैम का कहना है कि अर्थव्यवस्था को फिर से सुचारू रूप से चलाने के लिए 15 से 20 लाख करोड़ के पैकेज का ऐलान किया जाना चाहिए।
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रिजर्व बैंक से लेना पड़ेगा कर्ज
जानकार सूत्रों का कहना है कि पैकेज के लिए केंद्र सरकार को रिजर्व बैंक से कर्ज लेना पड़ सकता है। पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने भी पिछले दिनों ऐसे संकेत दिए थे कि सरकार को आरबीआई से करीब पांच लाख करोड़ रुपए तक का कर्ज लेना पड़ सकता है। आरबीआई से कर्ज लेने की स्थिति में सरकार को वित्तीय घाटा बढ़ाना होगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2020-21 के लिए बजट में साढ़े तीन फ़ीसदी घाटे का अनुमान लगाया था, लेकिन आरबीआई से कर्ज लेने के लिए इसे 3 से 4 फ़ीसदी और बढ़ाया जा सकता है। हर एक फीसदी घाटा बढ़ाने से सरकार को करीब सवा दो लाख करोड़ रुपए मिलेंगे।
शीर्ष समिति कर रही मंथन
अर्थव्यवस्था की दिक्कतों को दूर करने के लिए प्रधानमंत्री के स्तर पर गंभीर प्रयास किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में पिछले हफ्ते आर्थिक मामलों के सचिव अतनु चक्रवर्ती के अध्यक्षता में नौकरशाहों की एक शीर्ष समिति का गठन किया गया था। इस समिति का मकसद उद्योगों को हुए नुकसान और बेरोजगार हुए लोगों की स्थिति का अध्ययन करना है। इस समिति के गठन के बाद ही इससे जुड़े सदस्य नुकसान के आकलन में जुटे हुए हैं और माना जा रहा है कि इसी आधार पर राहत पैकेज तैयार किया जा रहा है।
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पहले भी घोषित हो चुका है पैकेज
इसके पहले भी मोदी सरकार गरीबों और समाज के वंचित तबकों के लिए एक बड़े पैकेज का एलान कर चुकी है। सरकार ने इन वर्गों की दिक्कतें दूर करने के लिए मुफ्त खाद्यान्न और खातों में पैसे ट्रांसफर करने के लिए एक लाख सत्तर हजार करोड़ रुपए के राहत पैकेज का एलान किया था। लॉकडाउन से पहले भी सरकार उद्योगों के लिए तीन लाख करोड़ का पैकेज दे चुकी है, लेकिन लॉकडाउन ने स्थितियां पूरी तरह बदल दी हैं। लॉकडाउन ने उद्योगों की कमर ही तोड़ दी है और इसलिए फिर एक और राहत पैकेज की तैयारी है।
इसलिए जरूरी है यह पैकेज
एसबीआई के अर्थशास्त्रियों का कहना है कि पहले से दबाव में चल रही विकास दर अब 2020- 21 में 2 फ़ीसदी तक जा सकती है। इस दौरान श्रम और पूंजीगत आय में 3.6 लाख करोड़ के घाटे का अनुमान लगाया गया है। इसे पूरा करने के लिए कम से कम तीन लाख करोड़ रुपए का एक और पैकेज देना होगा। इन अर्थशास्त्रियों का कहना है कि होटल कारोबार, शिक्षा, पेट्रोलियम और कृषि क्षेत्र के अलावा स्वरोजगार करने वालों को लॉकडाउन ने जबर्दस्त झटका दिया है। इनका जीडीपी में 30 फ़ीसदी योगदान होता है और इन सभी क्षेत्रों को दिक्कतों से उबारने के लिए राहत पैकेज का एलान जरूरी है।
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विभिन्न वर्गों की मांग पर शुरू हुई कोशिशें
केंद्र सरकार कोरोना संकट और लॉकडाउन से अर्थव्यवस्था के लिए पैदा हुई दिक्कतों को दूर करने में दिन-रात जुटी हुई है। विभिन्न वर्गों से उठ रही मांग के बाद सरकार की गंभीर कोशिशों को देखते हुए अब यह तय हो गया है कि जल्द ही सरकार की ओर से एक और बड़े राहत पैकेज का एलान किया जा सकता है।