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स्पेडेक्स मिशन! ISRO अब अंतरिक्ष में करेगा ऐसा काम, जो अब तक नहीं हुआ 

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भारतीय स्पेस स्टेशन में 15-20 दिन के लिए कुछ अंतरिक्ष यात्रियों के ठहरने की व्यवस्था होगी। अगर इसरो 5 से 7 साल में अपना स्पेस स्टेशन बना लेगा तो वह दुनिया का चौथा देश होगा, जिसका खुद का स्पेस स्टेशन होगा। इससे पहले रूस, अमेरिका और चीन अपना स्पेस स्टेशन बना चुके हैं।

Harsh Pandey
Published on: 3 July 2023 7:38 PM IST (Updated on: 3 July 2023 2:27 PM IST)
स्पेडेक्स मिशन! ISRO अब अंतरिक्ष में करेगा ऐसा काम, जो अब तक नहीं हुआ 
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इसरो: भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो के दूसरे मून मिशन, चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर की सॉफ्ट लैडिंग में मिली संतोषजनक सफलता के बाद भी वैज्ञानिकों के कदम थमें नहीं है, इसरो का अपने नये मिशन के मद्देनजर लगातार अनेकानेक प्रयास जारी है।

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इसरो का नया मिशन...

दरअसल, इसरो का नया मिशन कुछ ऐसा है, जो उसने आज तक नहीं किया, बता दें कि इसरो चीफ डॉ. के. सिवन ने कुछ महीने पहले बताया था कि भारत अपना स्पेस स्टेशन बनाएगा।

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बहरहाल, स्पेस स्टेशन बनाने के लिए सबसे जरूरी है दो अंतरिक्षयानों या उपग्रहों को आपस में जोड़ना, इसके लिए अत्यधिक निपुणता की आवश्यकता होती है, बताया जा रहा है कि यह मिशन बेहद जटिल है।

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इसरो चीफ ने कहा...

इसरो चीफ डॉ. के. सिवन ने इस संदंर्भ में कहा है कि ये वैसा ही है जैसे किसी इमारत को बनाने के लिए हम एक ईंट से दूसरी ईंट को जोड़ते हैं, जब दो छोटी-छोटी चीजें जुड़ती है, तब वो बड़ा आकार बनाती हैं।

स्पेडेक्स..

इसके साथ ही उन्होंने बताया कि इस मिशन का नाम है स्पेडेक्स, अर्थात "स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट" अभी इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने के लिए सरकार से 10 करोड़ रुपए मिले हैं, इसके लिए दो प्रायोगिक उपग्रहों को पीएसएलवी रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा।

साथ ही उन्हें अंतरिक्ष में जोड़ा जाएगा, इस मिशन में सबसे बड़ी जटिलता ये है कि दो सैटेलाइट्स की गति कम करके उन्हें अंतरिक्ष में जोड़ना, अगर गति सही मात्रा में कम नहीं हुई तो ये आपस में टकरा जाएंगे।

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गगनयान के बाद ही स्पेस स्टेशन मिशन...

इसका साथ ही स्पेस मिशन के संदंर्भ में इसरो चीफ डॉ. के. सिवन ने कहा कि इस मिशन को करने का मतलब ये नहीं कि इसरो के स्पेस स्टेशन मिशन की शुरुआत हो चुकी है, क्योंकि यह एक प्रायोगिक मिशन है, क्योंकि स्पेस स्टेशन का मिशन दिसंबर 2021 के गगनयान अभियान के बाद ही शुरू किया जाएगा।

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष में इंसानों को भेजने और डॉकिंग में महारत हासिल करने के बाद ही स्पेस स्टेशन मिशन की शुरूआत की जा सकेगी।

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डॉकिंग प्रयोग से यह होगा फायदा...

इसरो चीफ डॉ. के. सिवन ने कहा कि इसरो वैज्ञानिकों को यह पता चलेगा कि वे अपने स्पेस स्टेशन में ईंधन, अंतरिक्ष यात्रियों और अन्य जरूरी वस्तुएं पहुंचा पाएंगे या नहीं।

स्पेडेक्स मिशन का 2025...

उन्होंने कहा कि पहले स्पेडेक्स मिशन को 2025 तक पीएसएलवी रॉकेट से छोड़ने की तैयारी थी। इस प्रयोग में रोबोटिक आर्म एक्सपेरीमेंट भी शामिल होगा। इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) को पांच देशों की अंतरिक्ष एजेंसियों ने मिलकर बनाया है। जिसमें अमेरिका (NASA), रूस (ROSCOSMOS), जापान (JAXA), यूरोप (ESA) और कनाडा (CSA)।

बताते चलें कि ISS को बनाने में 13 साल लगे थे, इसमें भी डॉकिंग टेक्नोलॉजी का उपयोग किया गया था, ISS को बनाने में 40 बार डॉकिंग की गई थी।

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स्पेस स्टेशन मिशन...

इसरो चीफ डॉ. के. सिवन ने कहा कि भारतीय स्पेस स्टेशन का वजन 20 टन होगा, इसकी बदौलत हम विभिन्न प्रकार के प्रयोग कर पाएंगे, साथ ही माइक्रोग्रैविटी का अध्ययन कर पाएंगे।

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भारतीय स्पेस स्टेशन में 15-20 दिन के लिए कुछ अंतरिक्ष यात्रियों के ठहरने की व्यवस्था होगी। अगर इसरो 5 से 7 साल में अपना स्पेस स्टेशन बना लेगा तो वह दुनिया का चौथा देश होगा, जिसका खुद का स्पेस स्टेशन होगा। इससे पहले रूस, अमेरिका और चीन अपना स्पेस स्टेशन बना चुके हैं।

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गौरतलब है कि भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो के दूसरे मून मिशन, चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर की सॉफ्ट लैडिंग में मिली संतोषजनक सफलता के बाद भी वैज्ञानिकों के कदम थमें नहीं है, इसरो का अपने नये मिशन के मद्देनजर लगातार अनेकानेक प्रयास जारी है।



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Harsh Pandey

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