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मिसाल बने ये DM: इस जिले को कर दिया कोरोना मुक्त, देश का था पहला हॉटस्पॉट
केरल के जिले पतनमथित्ता में मार्च में कोरोना वायरस के संक्रमण का पहला केस सामने आया। यहां पर इटली से वापस आए एक परिवार की वजह से संक्रमण फैलना शुरू हुआ था।
पतनमथित्ता: केरल के जिले पतनमथित्ता में मार्च में कोरोना वायरस के संक्रमण का पहला केस सामने आया। यहां पर इटली से वापस आए एक परिवार की वजह से संक्रमण फैलना शुरू हुआ था। जिसके बाद इसे जिले को देश का पहला हॉटस्पॉट एरिया करार कर दिया गया। लेकिन जिले के कलेक्टर 2012 बैच के आईएएस अधिकारी पीबी नूह के मेहनत के चलते यहां पर महज 8 केस ही पॉजिटिव बचे हैं। उनकी मेहनत का ही नतीजा है कि हॉटस्पॉट घोषित किए गए इस जिले को इस कैटेगरी से हटा दिया गया है। पीबी नूह ने कुछ ही हफ्तों में पूरे पासे को पलट कर रख दिया है। तो चलिए जानते हैं कि आखिर कैसे उन्होंने इस पर जीत हासिल की।
इस तरह कोरोना मुक्त हुआ ये जिला
सबले पहले उनकी टीम ने कोरोना पॉजिटिव मरीज के संपर्क में आए करीब 1200 लोगों को ढूंढ निकाला। उसके बाद इन सभी को आइसोलेट कर दिया गया। इसके अलावा लक्षणों की जानकारी इकट्ठी करने के लिए आइसोलेशन क्वेश्नायर तैयार किया गया। साथ ही क्वारनटीन में रखे गए लोगों की निगरानी करने के लिए कॉल सेंटर को भी स्थापित किया गया। उसके बाद कोरोना वायरस को कंट्रोल करने के लिए टेस्टिंग अभियान को बड़े स्तर पर चलाया गया। इन कदमों का ही परिणाम है कि जिले में आज केवल 8 पॉजिटिव मामले बचे हैं।
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पीबी के फैंस ने बनाया फेसबुक पेज 'Nooh Bro's Ark'
पेरंबदूर में पले-बढे 40 वर्षीय क्लेकटर पीबी नूह की पत्नी एक मेडिकल स्टूडेंट हैं। वहीं नूह ने कर्नाटक के बेंगलुरु में यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर साइंस से ग्रेजुएट किया है। उनके बडे भाई पीबी सलीम पश्चिम बंगाल कैडर के अधिकारी हैं। बता दें कि पीबी नूह ने न केवल इस महामारी में बल्कि इससे पहले में भी अपने राज्य के लिए सराहनीय काम कर चुके हैं। उन्होंने केरल में लगी भीषण आग से 1.5 लाख लोगों को निकालकर सुरक्षित जगह पहुंचाया था, जिसके बाद से उनके फैंस ने एक फेसबुक पेज तैयार किया था, जिसका नाम है 'Nooh Bro's Ark'।
कलेक्टर पीबी नूह का कहना है कि ये सभी हालात शायद मुझे इस महामारी से निपटने के लिए तैयार कर रहे थे। उन्होंने संक्रमण के रोकथान का श्रेय 1 हजार स्वयंसेवकों और साथ ही स्वास्थ्य कर्मचारियों, डॉक्टरों और नर्सों को दिया। नूह के मुताबिक, इस संकट की घड़ी में इन सभी ने दिन रात एक योद्धा की तरह काम किया।
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7 मार्च को 5 पॉजिटिव केस आए सामने
कलेक्टर पीबी नूह बताते हैं कि जिले में 7 मार्च को 5 पॉजिटिव केस सामने आए थे। भारत में और केरल में 30 जनवरी को ही पहले तीन मामले आ चुके थे। ये तीनों मामले वुहान से लौटे छात्रों से संबंधित थे। इसके बाद से राज्य सरकार ने हर जिले में अधिकारियों की एक टीम तैयार करके चार देशों की यात्रा करके वापस आए लोगों की निगरी के निर्देश दिए थे। हमने भी निर्देशों का पालन किया।
उन्होंने बताया कि पहले पॉजिटिव पाए गए तीनों लोग एक महीने के अंदर ही रिकवर हो गए थे। उन्होंने बताया कि जब देश में किसी भी एक जगह ज्यादा मामले सामने नहीं आए थे, तब अचानक 7 मार्च को पतनमथित्ता में 5 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए। इसके बाद फिर से 6 नए मामले सामने आए। उन्होंने बताय कि केवल पतनमथित्ता ही 11 पॉजिटिव केस मिले थे।
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रिपोर्ट सामने आने के बाद अधिकारियों के साथ बैठक
7 मार्च को कोरोना टेस्ट का रिजल्ट मिलने के बाद हमारी सचिव, डायरेक्टर और शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक हुई। उसके बाद हमने कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग पर अमल करने का निर्णय किया। हमने तय किया कि संक्रमित मरीजों के संपर्क में आए लोगों को ट्रेस करने के लिए हर तरीका अपनाया जाए। इसके बाद 8 मार्रच को 7 टीमें बनाई गईं। हर टीम में 2 डॉक्टरों और 2 पैरामेडिक शामिल थे। सातों टीमों ने मरीजों और उनके संपर्क में आए लोगों की जानकारियां इकट्ठी कीं और इन्हें ढूंढने के लिए मोबाइल टावर लोकेशन सेल लेकर गूगल मैप की मदद ली।
घटना क्रम का तैयार किया फ्लो चार्ट
उन्होंने बताया कि हमने जिले में 29 फरवरी को इटली से लौटे परिवार के आने के बाद जिले में हुए घटनाक्रम का फ्लोचार्ट बनाया था। उन्होंने बताया कि 6 मार्च को इटली के परिवार के एक रिश्तेदार में कोरोना के शुरुआती लक्षण नजर आए थे। जिसके बाद हमने व्यक्ति की ट्रैवल हिस्ट्री निकाली तो मालूम हुआ कि वह इटली से लौटे परिवार के संपर्क में आया था। हमने मरीज का नाम लिखे बिना फ्लो चार्ट बनाया, जिसे बाद में सार्वजनिक कर दिया। साथ ही लोगों से आग्रह किया कि वो खुद सामने आए। साथ ही दो नंबर भी जारी किए।
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परिवार के संपर्क में आए 1254 लोगों का लगाया पता
अगले 4 दिनों में इटली के परिवार के संपर्क में आए 1254 लोगों का पता चल गया था। साथ ही यह भी सुनिश्चित कर रहे थे कि ये लोग सख्ती के साथ क्वारनटीन का पालन करें। हमने तेजी से बिगड़ते हालातों के बीच दो दिशाओं में एकसाथ काम करना शुरु किया। आक्रामक जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को होम क्वारंटीन की अहमियत समझाई। आइसोलेशन में रखे गए लोगों की मदद के लिए कॉल सेंटर बनाया। मेरे ऑफिस में 200 लोगों को बैठाया गया। जो आइसोलेट किए गए लोगों के परिवारों से संपर्क कर सभी तरह की जानकारी ले रहे थे। बाद में इसे बाद में हमने इसे इंटरेक्टिव वायस रेस्पांस सिस्टम (IVR) में बदल दिया।
इसके अलावा त्रिवेंद्रम मेडिकल कॉलेज की तरफ से एक आइसोलेशन सर्वे क्वेश्नायर तैयार किया गया। इसे हमारे कॉल सेंटर के लोगों ने आइसोलेशन में रह रहे लोगों से बात करके फिल किया। अगर उन्हें ऐसा लगता था कि कोई व्यक्ति क्वारंटीन नियमों का उल्लंघन कर रहा है तो कानूनी कार्रवाई के लिए जानकारी पुलिस विभाग को दे दी जाती थी। द न्यूजमिनट की रिपोर्ट के मुताबिक, कॉल सेंटर की मदद से सुनिश्चित किया जाता है कि ऐसे लोग घर पर ही रहें।
7 मार्च से शुरु कर दी थी यात्रा करने वालों की जांच
इसके बाद 24 मार्च को देशव्यापी लॉकडाउन घोषित कर दिया गया। जिस समय ये लागू किया गयी उस वक्त जिले में 4 हजार से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय यात्री थे। कलेक्टर बताते हैं कि हमने 7 मार्च से ही शहर में बस, ट्रेन या फ्लाइट से आने वाले हर व्यक्ति की जांच करनी शुरु कर दी थी। लॉकडाउन के दिन जिले में दूसरे राज्यों के लगभग 3 हजार लोग मौजूद थे।
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लॉकडाउन के कारण जिले में लगभग 16 हजार मजदूर फंस गए थे। हर तालुका के लिए 6 टीम बनाई गईं, जिनमें एक डॉक्टर, एक पैरामेडिक, एक मेडिकल स्टूडेंट, पुलिसकर्मी और कुछ अन्य लोगों को शामिल किया गया। अब तक ये टीमें दो बार इन 16 हजार मजदूरों की स्क्रीनिंग कर चुकी हैं। साथ ही हमने हर अंतरराष्ट्रीय यात्रा करने वाले व्यक्ति का सैंपल लेकर कोरोना की जांच के लिए भेजा। इस दौरान अमेरिका और इटली से लौटे लोगों पर सबसे अधिक फोकस किया गया। इसके बाद देश में लगातार यात्राएं करने वालों, दूसरे जिलों से लौटे और अंत में प्रवासियों पर ध्यान दिया गया।
आखिरी में विदेश और राज्य में यात्राएं करने वाले स्वास्थ्यकर्मियों पर ध्यान दिया गया। हमने लोगों की जरुरतों की हर चीज उनके घरों में ही पहुंचवाई ताकि उन्हें घर के बाहर कदम रखने की जरूरत ही न पड़ें।
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