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मन की बात: आत्मनिर्भर भारत पर जोर, पीएम मोदी ने की ये विशेष अपील
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को 68वीं बार मन की बात कार्यक्रम के जरिए देश के लोगों के सामने अपने विचार रखे। कोरोना संकट काल में प्रधानमंत्री का विशेष फोकस आत्मनिर्भर भारत और लोकल के लिए वोकल बनने पर रहा।
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को 68वीं बार मन की बात कार्यक्रम के जरिए देश के लोगों के सामने अपने विचार रखे। कोरोना संकट काल में प्रधानमंत्री का विशेष फोकस आत्मनिर्भर भारत और लोकल के लिए वोकल बनने पर रहा। उन्होंने आत्मनिर्भर भारत के लिए देशवासियों से विशेष प्रयास करने की अपील की। उन्होंने असहयोग आंदोलन की याद दिलाते हुए कहा कि उस समय राष्ट्रपिता बापू ने कहा था कि यह भारतीयों में आत्मविश्वास जगाने का आंदोलन है। अब हमें समझना होगा कि आत्मनिर्भर भारत आंदोलन के साथ भी वही बात है।
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पीएम मोदी( फोटो- सोशल मीडिया)
आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ें
अपने संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री ने देश से जुड़े विभिन्न मुद्दों का जिक्र किया मगर उनका विशेष जोर देश को आत्मनिर्भर बनाने पर ही रहा। उन्होंने कहा कि देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए हमें पूरे आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ना है और देश को हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए कोई कसर बाकी नहीं छोड़नी है। अगर हम पूरे विश्वास के साथ देश को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में आगे बढ़ेंगे तो निश्चित रूप से अपना लक्ष्य हासिल करने में कामयाब होंगे।
असहयोग आंदोलन की याद दिलाई
पीएम मोदी ने लोगों को असहयोग आंदोलन की याद दिलाई। उन्होंने कहा कि असहयोग आंदोलन के रूप में जो बीज बोया गया था, उसे आत्मनिर्भर भारत के वट वृक्ष के रूप में बदलना होगा और यह सभी देशवासियों का सबसे बड़ा दायित्व है।
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लोकल के लिए वोकल बनें
पीएम ने कहा कि ग्लोबल टॉय इंडस्ट्री सात लाख करोड़ रुपए की है मगर भारत की इसमें हिस्सेदारी काफी कम है। उन्होंने देश के उद्यमियों से खिलौने बनाने के क्षेत्र में उतरने की अपील भी की। पीएम ने कहा कि आप सभी के लिए लोकल खिलौनों के लिए वोकल होने का समय आ गया है। उन्होंने कहा कि देश में कई प्रतिभाशाली और कुशल कारीगर हैं जो अच्छे खिलौने बनाने में माहिर हैं।
देश के कुछ क्षेत्र खिलौनों के केंद्र के रूप में विकसित भी हो रहे हैं। हमें इस दिशा में और प्रयास करना होगा। उन्होंने कहा कि खिलौने एक्टिविटी को बढ़ाने के साथ ही हमारी आकांक्षाओं को भी उड़ान देते हैं। खिलौने केवल मन ही नहीं बहलाते बल्कि मकसद पूरा करने वाले भी होते हैं।
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पर्यावरण और पर्वों का नाता
पर्यावरण (फोटो-सोशल मीडिया)
प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर हम बारीकी से देखें तो पाएंगे कि हमारे पर्वों और पर्यावरण के बीच काफी गहरा नाता है। हमारे पर्व में पर्यावरण और प्रकृति के साथ सहजीवन का संदेश छिपा होता है। यहां तक कि कई पर्व तो प्रकृति की रक्षा के लिए ही मनाए जाते हैं।
लोगों ने दिखाया अनुशासन
मौजूदा समय उत्सव का है जब जगह-जगह मेले लगते हैं और धार्मिक पूजा पाठ किए जाते हैं। कोरोना संकट काल में भी लोगों के मन में उमंग और उत्साह दिख रहा है और इसके साथ ही ऐसा अनुशासन भी जो मन को छू लेने वाला है। सही बात तो यह है कि देश के लोगों को अपने दायित्वों का बखूबी एहसास भी है। रोजमर्रा के काम में लोग अपना ही नहीं बल्कि दूसरों का भी पूरा ख्याल रख रहे हैं।
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नई शिक्षा नीति लाएगी बदलाव
अपने संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का भी जिक्र किया। मोदी ने कहा कि आज देश में हर जगह कुछ ना कुछ इनोवेशन जरूर हो रहा है। शिक्षक और छात्र मिलकर भी कुछ नया करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के जरिए देश में एक बड़ा बदलाव आएगा और शिक्षक छात्रों तक इसका लाभ पहुंचाने में अहम भूमिका निभाएंगे।
किसानों ने दिखाई ताकत
किसान(फोटो-सोशल मीडिया)
प्रधानमंत्री ने किसानों की शक्ति का भी जिक्र किया और कहा कि हमारा जीवन और हमारा समाज किसानों की शक्ति से ही चलता है। किसानों के परिश्रम से ही हमारे पर्व रंग-बिरंगे बनते हैं। उन्होंने किसानों की मेहनत का जिक्र करते हुए कहा कि इस बार देश में खरीफ की फसल पिछले साल के मुकाबले सास फीसदी ज्यादा हुई है और इस कारण हमारे देश के किसान बधाई के पात्र हैं।
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उन्होंने ओणम का जिक्र करते हुए कहा कि इसकी धूम दूर-सुदूर विदेशों तक भी पहुंच गई है। विदेशों में भी आपको ओणम का उल्लास हर कहीं मिलेगा और अब यह अंतरराष्ट्रीय पर्व बनता जा रहा है।
युवाओं से आगे आने की अपील
प्रधानमंत्री ने कहा कि मौजूदा दौर में कंप्यूटर गेम्स का बहुत ही ट्रेंड चल रहा है। लेकिन हम देखते हैं कि जितने भी गेम होते हैं, उनकी थीम्स प्रायः बाहर की होती है। उन्होंने कहा कि हमारे देश में इतने आइडिया और कंसेप्ट हैं। इसलिए युवाओं को इस क्षेत्र में आगे आगे आना चाहिए। मैं देश के युवाओं से कहना चाहता हूं कि भारत में और भारत के भी गेम्स बनाए जाने चाहिए।
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