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वासुदेव नाम तो सुना होगा! पद है चपरासी का, पढ़ाते हैं संस्कृत

दरअसल, कारण यह भी बताया जा रहा है कि मुख्यालय से काफी दूर होने के कारण कोई भी शिक्षक यहां आना ही नहीं चाहता, जिसका प्रभाव यह है कि लगभग पौने दो सौ की छात्रों को पढ़ाने के लिए महज तीन ही शिक्षक ही विद्यालय में उपस्थित होते हैं।

Harsh Pandey
Published on: 6 Jun 2023 3:15 PM IST
वासुदेव नाम तो सुना होगा! पद है चपरासी का, पढ़ाते हैं संस्कृत
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इंदौर: पद है भृत्य (चपरासी) का, काम करते है शिक्षक का, और नाम है वासुदेव पांचाल। वासुदेव पांचाल नाम का यह व्यकित का सरकारी स्कूल में चपरासी का काम करते हैं, झाड़ू-पोंछा लगाने और बच्चों को संस्कृत पढ़ाने का। आपको सुनकर थोड़ा अजीब लगेगा, परन्तु यह बात सच है।

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साथ ही बताते चलें कि वासुदेव पिछले 23 साल से स्कूल में संस्कृत पढ़ाने की अतिरिक्त जिम्मेदारी निभा रहे हैं।

वासुदेव का करते हैं स्कूल का सभी काम...

पूरा मामला इंदौर जिला मुख्यालय से है, जहां लगभग 80 किलोमीटर दूर, देपालपुर विकासखंड का गांव है गिरोता। यहां के सरकारी हाईस्कूल में वासुदेव पंचाल (53) की खास पहचान है। वह माथे पर टीका लगाए हुए और सिर के पिछले हिस्से में चुटिया बांधे देखे जाते हैं।

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बताया जा रहा है कि वासुदेव हर दिन पहले पानी लाते हैं, फिर पूरे स्कूल में झाड़ू लगाते हैं, कमरों और बरामदे के फर्श पर पोंछा मारते हैं। इसके साथ ही वो कक्षाओं में जाकर बच्चों को संस्कृत पढ़ाते हैं।

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रोचक तथ्य यह है कि इस सरकारी विद्यालय में बीते 23 सालों से संस्कृत के शिक्षक की भर्ती नहीं हुई है।

दरअसल, कारण यह भी बताया जा रहा है कि मुख्यालय से काफी दूर होने के कारण कोई भी शिक्षक यहां आना ही नहीं चाहता, जिसका प्रभाव यह है कि लगभग पौने दो सौ की छात्रों को पढ़ाने के लिए महज तीन ही शिक्षक ही विद्यालय में उपस्थित होते हैं।

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वासुदेव ने कहा...

बच्चों के प्रिय वासुदेव बताते हैं कि संस्कृत का कोई शिक्षक न होने के कारण उन्हें ही संस्कृत पढ़ाने की अतिरिक्त जिम्मेदारी मिली हुई है। वे स्कूल में अपने हिस्से के सारे काम पानी भरने, घंटी बजाने, झाड़ू-पोंछा करने के अलावा बच्चों को संस्कृत पढ़ाने की जिम्मेदारी वह वर्ष 1996 से ही निभाते आ रहे हैं।

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यहीं से शिक्षा प्राप्त किये हैं वासुदेव...

इसके साथ ही वासुदेव ने बताया कि वो गिरोता गांव के ही रहने वाले हैं और उन्होंने खुद इसी स्कूल से शिक्षा प्राप्त की है। वह बताते हैं कि उन्हें संस्कृत आती थी, लिहाजा वह बच्चों पढ़ाने भी लगे। नियमित रूप से दो कक्षाओं में छात्रों को संस्कृत पढ़ाते हैं।

विद्यार्थियों ने कहा...

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स्कूल के विद्यार्थियों का कहना है कि वासुदेव बहुत अच्छे तरीके के साथ संस्कृत पढ़ाते हैं। उनकी सभी जिज्ञासाओं पर अच्छे से जवाब देते हैं। छात्रों को संस्कृत शिक्षक की कमी महसूस नहीं होती। बीते साल इस स्कूल का 10वीं का परीक्षा परिणाम शत प्रतिशत रहा है।

स्कूल के प्राचार्य ने कहा...

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स्कूल के प्रभारी प्राचार्य महेश निंगवाल का कहना हैं कि वासुदेव नियमित रूप से बच्चों को संस्कृत पढ़ाते हैं। शिक्षण कार्य को लेकर मुख्यमंत्री उत्कृष्टता पुरस्कार के लिए वासुदेव के नाम का प्रस्ताव शासन को भेजा गया था, पुरस्कार के लिए उनके नाम का चयन भी हो गया है। पिछले सप्ताह उन्हें प्रजेंटेशन के लिए भोपाल बुलाया गया था।



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Harsh Pandey

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