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बड़े धोखे हैं ऑनलाइन दुनिया में

वॉट्सऐप के पॉलिसी अपडेट से मचे बवाल के बाद सिग्नल और टेलिग्राम को बड़ा फायदा हुआ है। ऐप एनालिटिक्स फर्म सेंसर टावर के डेटा के मुताबिक 6 से 10 जनवरी के बीच दुनिया भर में ऐप स्टोर और गूगल प्लेस्टोर में सिग्नल के 75 लाख के करीब डाउनलोड्स रहे हैं।

Shivani Awasthi
Published on: 19 Jan 2021 9:17 AM IST
बड़े धोखे हैं ऑनलाइन दुनिया में
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योगेश मिश्र

हम सब ने दो दुनिया बना ली है। एक एक्चुअल और दूसरी वर्चुअल । यानी हम सब अपने दैनिक जीवन के 2.4 घंटे तो उस नये वर्चुअल संसार यानी आभासी दुनिया पर तो खर्च करते ही हैं। जबकि स्मार्ट फ़ोन पर 4.3 घंटे रोज़ाना गुज़ारते हैं। बहुत लंबी जद्दोजहद के बाद एक्चुअल संसार में हमने तमाम टूल इस्तेमाल करते हुए गोपनीयता क़ायम कर रखी थी। तमाम लोगों के बारे में उनकी आत्मकथा या उनके निकट के किसी व्यक्ति द्वारा उनके न रहने के बाद लिखी गयी किताब या संस्मरण से पता लगता है। लेकिन जबसे आभासी दुनिया में इंसान ने कदम रखा है तबसे गोपनीयता का ताना बना तार तार होता नज़र आ रहा है। ऑन लाइन दुनिया में गोपनीयता की उम्मीद पर पलीता लगा दिया है।

फ़ेसबुक की नई प्राइवेसी पॉलिसी पर कोहराम

बीते दिनों फ़ेसबुक की नई प्राइवेसी पॉलिसी को लेकर आंभासी दुनिया व एक्चुअल संसार दोनों में कोहराम मचा रहा। वैसे इससे पहले आन लाइन दुनिया में प्राइवेसी का खुलासा करने में जूलियन असांजे ने बहुत नाम कमाया । कई देश इसे लेकर परेशान रहे ।असांजे अभी ब्रिटेन की जेल में हैं।

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वॉट्सऐप के पॉलिसी अपडेट से मचे बवाल के बाद सिग्नल और टेलिग्राम को बड़ा फायदा हुआ है। ऐप एनालिटिक्स फर्म सेंसर टावर के डेटा के मुताबिक 6 से 10 जनवरी के बीच दुनिया भर में ऐप स्टोर और गूगल प्लेस्टोर में सिग्नल के 75 लाख के करीब डाउनलोड्स रहे हैं। इससे पिछले हफ्ते के मुकाबले सिग्नल ऐप के डाउनलोड्स में 4,200 फीसदी का उछाल आया।

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टेलिग्राम के साथ 90 लाख नए यूजर्स जुड़े

वहीं, 6 से 10 जनवरी के बीच टेलिग्राम के साथ 90 लाख नए यूजर्स जुड़े।यह गूगल और ऐपल के ऐप स्टोर्स में अब दूसरे नंबर पर है। सिग्नल और टेलिग्राम दोनों ही ऐप्स के डाउनलोड्स के लिए भारत बड़ा सोर्स रहा है।

सेफ्टी के मामले में सिग्नल और टेलीग्राम काफी चर्चा में हैं। टेलिग्राम रूस में डेवलप किया गया है । जबकि सिग्नल को उन्हीं ने बनाया है जिन्होंने व्हाट्स अप बनाया था। व्हाट्सअप के इन्क्रिप्शन का काम भी सिग्नल कंपनी ही करती है।

सिग्नल और टेलीग्राम काफी चर्चा में

टेलीग्राम एक क्लाउड चैट सर्विस है। इसका मतलब है कि वॉट्सऐप से अलग इसे आप कई डिवाइस (मोबाइल, डेस्क टॉप, टेबलेट, लैपटॉप) में इस्तेमाल कर सकते हैं। आपकी चैट्स हमेशा सभी डिवाइस में सिन्क्रोनाइज्ड होती है। टेलीग्राम ऐप ‘क्लाइंट-टू-सर्वर एनक्रिप्शन’ का इस्तेमाल करता है। इसका मतलब यह हुआ कि आपकी रेगुलर चैट्स एंड-टू-एंड एनक्रिप्टेड नहीं होती हैं। टेलीग्राम के सर्वर्स तक पहुंच रखने वाला कोई भी व्यक्ति आपकी चैट्स पढ़ सकता है। हालांकि, कोई आपकी चैट्स न पढ़े, इसे सुनिश्चित करने का इकलौता तरीका है कि आप टेलिग्राम के ‘सीक्रेट चैट फीचर’ का इस्तेमाल करें। इस फीचर में एंड-टू-एंड एनक्रिप्शन मिलता है। आप सीक्रेट चैट में जो भी भेजते हैं, वह प्रोटेक्टेड होता है।

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टेलीग्राम ने थर्ड पार्टीज और गवर्नमेंट्स के साथ डेटा शेयर नहीं किया

इस बारे में टेलीग्राम का कहना है कि वह अपने मेसेज स्टोरेज और डिस्क्रिप्शन की को इस तरह मैनेज करता है कि किसी भी व्यक्ति को आपके डेटा तक पहुंचने के लिए कई लीगल सिस्टम्स से कोर्ट की अनुमति की जरूरत पड़ेगी। कंपनी का कहना है कि उसने अभी तक थर्ड पार्टीज और गवर्नमेंट्स के साथ तनिक भी डेटा शेयर नहीं किया है।

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टेलिग्राम का एक बेहद खास फीचर यह है कि इसमें लोगों को ऐड करने के लिए आप अपना फोन नंबर देने से बच सकते हैं। इस काम के लिए केवल अपने यूजरनेम का इस्तेमाल कर सकते हैं। कंपनी अपने प्लैटफॉर्म पर आपसे बातचीत करने के लिए बॉट्स को इजाजत देती है। इसमें प्राइवेसी मोड स्वतः इनेबल होता है, जिससे वो आपकी चैट न पढ़ सकें। लेकिन, अगर किसी बॉट को ग्रुप के एडमिन के तौर पर ऐड किया जाता है ।तब यह आपके मेसेज पढ़ लेगा।

सिक्योरिटी में सिग्नल आगे

जब सिक्योरिटी की बात आती है तो सिग्नल कहीं आगे है। एंड-टू-एंड एनक्रिप्शन के लिए सिग्नल ओपन-सोर्स सिग्नल प्रोटोकॉल का इस्तेमाल करता है। जहां वॉट्सऐप यूजर्स के मेसेज और कॉल्स को एनक्रिप्ट करता है, वहीं सिग्नल एक कदम आगे जाकर मेटाडेटा को भी एनक्रिप्ट करता है। मेटाडेटा में वह पूरी जानकारी होती है जो अपने ऑनलाइन इस्तेमाल की है ।

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जैसे कि आप किससे कॉल कर रहे हैं? आप कब तक बात कर रहे हैं? आप नियमित रूप से उनसे कितनी बार बात करते हैं,? आपने कोई फोटो भेजी तो वह कब कहाँ किस कैमरे से खींची गयी थे – ये सब मेटाडेटा है। इस जानकारी तक पहुंच गोपनीयता के बड़े उल्लंघनों का कारण बन सकती है, जिसमें आपके व्यक्तिगत डेटा तक पहुंच शामिल है, जैसे कि आपके पासवर्ड और क्रेडिट कार्ड नंबर।

सिग्नल यूजर्स की प्राइवेसी को ऐसे रखता है सुरक्षित

बहरहाल, यूजर्स की प्राइवेसी को सुरक्षित करने के लिए सिग्नल ने सेंडर और रिसीपिएंट (मेसेज पाने वाले व्यक्ति) के बीच बातचीत के लिए एक नया तरीका निकाला है। इसका नाम सील्ड सेंडर है। सील्ड सेंडर में कोई भी यह नहीं जान पाएगा कि कौन-किसे मेसेज कर रहा है। खुद सिग्नल को भी इसका पता नहीं होगा। यह ऐप, सभी फीचर्स के लिए एंड-टू-एंड एनक्रिप्शन को सपोर्ट करता है।

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मतलब कि कोई आपकी चैट्स नहीं पढ़ सकता है। न ही आपकी कॉल्स सुन सकता है। सिग्नल की प्राइवेसी पॉलिसी बताती है यह केवल रजिस्ट्रेशन के लिए आपके फोन नंबर का इस्तेमाल करता है।इसके बाद इसे आपके अकाउंट के बारे में कुछ पता नहीं होता है। कॉन्टैक्ट्स के नाम या किसी दूसरी इंफॉर्मेशन को न तो ट्रांसमिट किया जाता है और न ही ऐप के सर्वर पर रखा जाता है।

ओपन व्हिस्पर सिस्टम का इस्तेमाल करता है सिग्नल

सिग्नल, ओपन व्हिस्पर सिस्टम का इस्तेमाल करता है। यह आपकी सारे कंवर्सेशन को खुद-ब-खुद एंड-टू-एंड एनक्रिप्ट कर देता है। एनक्रिप्शन की, यूजर के फोन और कंप्यूटर्स पर ही स्टोर होते हैं, जिससे आप निगरानी रखने का रिस्क कम हो जाता है।

यूजर्स, एक-दूसरे को पासकोड के नंबर्स या क्यूआर कोड स्कैन करते हुए वैरिफाई कर सकते हैं। इसका मतलब है कि सिग्नल के पास आपका कोई डेटा नहीं होता है। सिग्नल में टू-फैक्टर अथॉन्टिकेशन, ऐप में स्क्रीनशॉट्स ब्लॉक करने का ऑप्शन दिया गया है। हाल में सिग्नल ने इमेज भेजने से पहले ऑटोमैटिकली फेस ब्लर करने का नया फीचर दिया गया।

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जबकि व्हाट्सअप आपकी डिवाइस आईडी, ऐडवर्टाइजिंग डेटा, परचेज हिस्ट्री, लोकेशन, फोन नंबर, ई-मेल, कॉन्टैक्ट्स, पेमेंट इंफो समेत कई डेटा कलेक्ट करता है। व्हाट्सएप अपने यूजर्स से 16 तरह का डाटा लेता है। वैसे टेलीग्राम आपका फोन नंबर, कॉन्टैक्ट इंफो और यूजर आईडी कलेक्ट करता है।जबकि सिग्नल आपके फोन नंबर के अलावा आपका कोई पर्सनल डेटा कलेक्ट नहीं करता है।

वॉटसएप की नई पॉलिसी

वॉटसएप ने भले ही यह स्पष्ट किया है कि वह अपनी पैरंट कंपनी फेसबुक को अपने यूजर्स का डाटा शेयर नहीं करेंगे लेकिन उसकी नई पॉलिसी के अनुसार फेसबुक को वाट्सएप विभिन्न ई-कॉमर्स कंपनियों का विज्ञापन करने की छूट हासिल रहेगी। ऐसा तभी संभव है जब वाट्सएप अपने यूजर्स का डाटा फेसबुक के साथ साझा करेगा। इसी बीच सिंगापुर से खबर आ रही है कि वहां ट्रेस टूगेदर नाम से तैयार कांटेक्ट ट्रेसिंग सिस्टम का स्थानीय नागरिकों ने विरोध किया है।

WhatsApp Privacy Policy: इससे लोग हुए नाराज, स्टेटस लगाकर दी सफाई (PC: social media)

लोगों का कहना है कि इससे अपराधी घटनाओं की बाढ़ आ सकती है। अपराधी प्रवृति के लोग उनके बारे में सारी जानकारी हासिल कर लेंगे। यह अब भी कुछ उसी तरह से काम करता है जैसे भारत में पिछले दिनों कोरोनावायरस फैलने पर आरोग्य सेतु ऐप लांच हुआ था । जिसमें ब्लूटूथ से मोबाइल फोन धारक को अपने आसपास के मोबाइल फोन यूजर्स की जानकारी मिला करती थी।

लोगों के निजी जीवन से जुड़ी सूचनाओं पर मोबाइल ऐप कंपनियों की नजर

विशेषज्ञों का कहना है कि लोगों के निजी जीवन से जुड़ी सूचनाओं पर मोबाइल ऐप कंपनियां लगातार नजर बनाए हुए हैं । वह दावा भले करते हैं कि इनका कोई दुरुपयोग नहीं होगा । लेकिन मौका मिलते ही वह इसे बाजार में बेच देते हैं । क्योंकि पर्सनल डाटा का बाजार पूरी दुनिया में बड़ी तेजी से बढ़ रहा है । जब लोग अपने मोबाइल फोन में कोई नई एप्लीकेशन डाउनलोड करते हैं, किसी वेबसाइट को देखते हैं , तो उनका यह व्यवहार ही मोबाइल ऐप कंपनियों को बाजार में बेचने के लिए उत्पाद में बदल जाता है । यहां तक कि आपके जीवन की अंतरंग सूचनाएं भी बाजार में अपना मूल्य रखते हैं।

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टेलीकम्युनिकेशन से जुड़ी कंपनियां इनका बड़ा भुगतान करने के लिए हमेशा तैयार बैठी हैं। पर्सनल डाटा को लेकर बेहद सतर्क सिंगापुर में 2012 में पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन एक्ट लागू हो गया । लेकिन आज भी वहां डिजिटल फुटप्रिंट के बाजार में बेचे जाने का खतरा हर मोबाइल यूजर के सामने मंडरा रहा है । यही वजह है कि जब व्हाट्सएप ने अपनी नई पाल्सी का ऐलान किया तो सिंगापुर में बड़े पैमाने पर लोगों ने वाट्सएप को बाय बाय बोल दिया।

साल 2000 में गूगल ने पहली बार विज्ञापन की दुनिया में कदम रखा

अक्टूबर 2000 में गूगल ने पहली बार विज्ञापन की दुनिया में कदम रखा और एड वर्ड्स के नाम से इसकी शुरुआत की । गूगल ने विज्ञापन दाताओं को बताया कि वह उनके विज्ञापन को केवल उन कस्टमर तक पहुंचाएंगे जिनको उसकी जरूरत है । गूगल का यह बिजनेस 2019 में 160.7 बिलियन यूएस डॉलर में तब्दील हो चुका है । यह तब है जबकि गूगल से बहुत सारी सूचनाएं आपको मुफ्त मिल रही है।

इससे भी समझ सकते हैं कि बहुत सारी कंपनी के लिए यह कतई जरूरी नहीं है कि अपने उपभोक्ताओं की अभिरुचि को जानने के लिए वह किसी बड़े सर्वे का सहारा ले या आपसे घर घर आकर पूछे हैं । क्या आप क्या खाना-पीना पहनना चाहते हैं ? यह सब कुछ उन्हें आपके मोबाइल फोन की डिवाइस बताने के लिए तैयार है । यहीं से वह आपके बारे में सभी संभावनाओं का निर्धारण कर लेते हैं।

रिलायंस ने भारत में तेजी से फुटकर बाजार में कदम बढ़ाया

उपभोक्ताओं के बारे में मिलने वाली सटीक जानकारियों के आधार पर ही रिलायंस कंपनी ने भारत में तेजी के साथ फुटकर बाजार में कदम बढ़ा दिए हैं । वाट्सएप के साथ मिलकर जिओ मार्ट ने 400 मिलियन से ज्यादा लोगों को सामान बेचने की तैयारी कर रखी है । बोस्टन कंसलटिंग ग्रुप ने बताया है कि भारत का रिटेल बाजार 2025 में 1.3 ट्रिलियन यूएस डॉलर का हो जाएगा । फेसबुक और रिलायंस दोनों का निशाना यह बड़ा बाजार है। व्हाट्सएप चैट की पूरी सूचना रिलायंस जिओ मार्ट को मिल सकेगी और वह अपने उपभोक्ताओं तक सीधी पहुंच बनाने में कामयाब होगा।

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व्हाट्सअप ने भारी दबाव के चलते अपनी नई प्राइवेसी पॉलिसी को फिलहाल मई तक के लिए टाल दिया है। ऐसे में अगर यूजर व्हाट्सअप की नई प्राइवेसी पॉलिसी को 8,फरवरी तक नहीं मंजूरी देते हैं, तो इसके बावजूद भी अकाउंट बंद नहीं होगा। अब यूजर के पास नई प्राइवेसी पॉलिसी के रिव्यू के लिए 15 मई ,2021 तक का वक्त होगा।

व्हाट्सअप का नया बिजनेस ऑप्शन लॉन्च होगा

इस दिन व्हाट्सअप का नया बिजनेस ऑप्शन लॉन्च होगा। लेकिन व्हाट्सअप ने यह कतई नहीं कहा है कि वह प्राइवेसी पालिसी बदल देगा। लोग ऐसे में व्हाट्सअप की बजाये दूसरे विकल्पों की ओर रुख कर रहे हैं। व्हाट्सअप की नई पालिसी सिर्फ भारत के लिए पेश की गयी है। चूँकि यूरोप में नियम बेहद सख्त हैं सो उसकी हिम्मत वहां ऐसा प्रयोग करने की नहीं है।

दुनिया में दो ही बड़े बाजार हैं – भारत और चीन। चीन सबको ठेंगे पर रखता है । सो वहां न गूगल की एंट्री है और न यूट्यूब, फेसबुक या व्हाट्सअप की। चीन में सिर्फ चीन के लोकल बने ऐप और सोशल मीडिया प्लेटफार्म चलते हैं। ऐसे में सिर्फ भारत पर सभी बड़ी टेक कंपनियों की निगाह है कि किस तरह इस विशाल जनसमुदाय को एक प्रोडक्ट की तरह इस्तेमाल किया जाए। भारत का न अपना स्वदेशी सर्च इंजन है और न यूट्यूब या व्हाट्सऐप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म । सो लोग भी गूगल-फेसबुक की शरण में हैं।

व्हाट्सअप का इरादा ये

दरअसल, व्हाट्सअप का इरादा अपने यूजर्स का डेटा विज्ञापन की कमाई के लिए अन्य कंपनियों के साथ शेयर करने का है। आपका पूरा ब्योरा कम्पनियाँ लेंगी। उसी के हिसाब से आपके मस्तिष्क को कंट्रोल करेंगी। यानी आपके निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित किया जाएगा। फेसबुक, इन्स्टाग्राम और व्हाट्सअप के मालिक मार्क जुकरबर्ग का यह नया पैंतरा विज्ञापन के मामले में गूगल जैसी कमाई करने के लिए है।

गूगल और उसकी यूट्यूब अपने यूज़र्स को टार्गेटेड विज्ञापन देती हैं। इसके लिए यूजर का पूरा डेटा जिसमें फोन नंबर, कॉन्टेक्ट्स लिस्ट, लोकेशन, वेब सर्फिंग का पैटर्न, निजी हैसियत, फलोअर्स की संख्या वगैरह सब जानकारी हासिल कर ली जाती है। यहाँ तक कि यूजर के फोन का कैमरा और माइक्रोफोन को इस्तेमाल करने का अधिकार भी कम्पनी ले लेती है।

यूजर टेक कंपनियों के लिए मात्र एक प्रोडक्ट

ये सब जानकारियाँ कंपनी आपसे पूछ कर लेती है। लोगों के लिए ये जानकारी देना मजबूरी है , क्योंकि यदि शर्तें नहीं मानेंगे तो आप कंपनी की सेवाओं का प्रयोग नहीं कर पाएंगे। ये सब जानकारियां इसलिए ली जातीं हैं ताकि डेटा तमाम तरह की कंपनियों को दिया जा सके।इस डेटा के आधार पर यूजर्स को उसकी जरूरत और हैसियत वाले विज्ञापन दिखाए जाते हैं। विज्ञापन के अलावा यूजर को उसकी विचारधारा, पसंदगी के अनुरूप कंटेट परोसा जाता है। यूजर टेक कंपनियों के लिए मात्र एक प्रोडक्ट बन कर रहा जाता है ।

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विवाद बढ़ने पर व्हाट्सअप ने सफाई दी है कि उसकी नई प्राइवेसी शर्तों से निजी चैट कतई प्रभावित नहीं होंगे। व्हाट्सअप ने कहा है - नए अपडेट से व्हाट्सएप के जरिए शॉपिंग और बिजनेस करना पहले के मुकाबले काफी आसान हो जाएगा। अधिकतर लोग आज व्हाट्सएप का इस्तेमाल चैटिंग के अलावा बिजनेस एप के तौर पर भी कर रहे हैं। हमने अपनी प्राइवेसी पॉलिसी को बिजनेस के लिए एक सुरक्षित होस्टिंग सर्विस के तौर पर अपडेट किया है ताकि छोटे कारोबारियों को व्हाट्सएप के जरिए अपने ग्राहकों तक पहुंचने में आसानी हो। इसके लिए हम अपनी पैरेंट कंपनी फेसबुक की भी मदद लेंगे। व्हाट्सएप के एक प्रवक्ता ने कहा है कि इस अपडेट से यूजर्स की प्राइवेसी भंग नहीं होगी।

व्हाट्सअप नई शर्तों के तहत सभी डेटा बहुत सारी कंपनियों के साथ करेगा शेयर

असलियत यह है कि व्हाट्सअप अब नई शर्तों के तहत सभी डेटा को अपनी बहुत सारी कंपनियों के साथ शेयर करेगा। अभी तक यूजर्स फेसबुक की दूसरी कंपनियों के साथ इन्फॉंर्मेशन शेयर न किया जाए का विकल्प चुन सकते थे। लेकिन अब ऐसा विकल्प नहीं रहेगा। फेसबुक की कंपनियों में फेसबुक पेमेंट्स, व्हाट्सअप, इंस्टाग्राम, फेसबुक टेक्नोलॉजीज, ओनावो और क्राउड टेंगल जैसी कंपनियां शामिल हैं।

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वॉट्सऐप की नई प्राइवेसी पॉलिसी के तहत जानकारी शेयर करने को लेकर डीटेल्स उपलब्ध कराई गई हैं। इसमें बताया गया है कि किसी तरह व्हाट्सअप जानकारी शेयर करता है। यह पहले के वर्जन में नहीं था। थर्ड पार्टी सर्विस प्रोवाइडर्स में अब फेसबुक कंपनियों का नाम भी दर्ज है। अब ग्राहकों को लेन-देन डाटा, सेल गैजेट इंफो, आईपी डील और डाटा शेयर करने के लिए सहमित देनी होगी।

व्हाट्सअप के वैश्विक स्तर पर करीब दो बिलियन यूजर्स

व्हाट्सअप के वैश्विक स्तर पर करीब दो बिलियन यूजर्स । भारत में 40 करोड़ से ज्यादा लोग इस ऐप का इस्तेमाल करते हैं। भारतीय मार्केट में कंपनी ने व्हाट्सअप पेमेंट सर्विस लॉन्च की है। कंपनी ने भारतीय नियामकों से अब तक 20 मिलियन ग्राहकों के साथ रहने की अनुमति प्राप्त की है। व्हाट्सअप ने कहा है कि वह रोबॉटिक तकनीक के इस्तेमाल से यूटीलाइजेशन और लॉग-इन इन्फर्मेशन इकट्ठा करेगा। इसके साथ ही व्हाट्सअप ग्रुप इंफो और प्रोफाइल फोटोग्राफ भी एकत्रित करेगा।

2018 मे यूके के सूचना आयुक्त कार्यालय ने व्हाट्सअप को निर्देश दिया कि वो बताए कि प्राइवेट डाटा को सार्वजनिक रूप से फेसबुक के साथ साझा नहीं करेगी, जब तक कि दोनों कंपनियां जनरल डेटा प्रोटेक्शन रेग्यूलेशन के प्रावधानों के अंतर्गत इसे न कर सकें।

चैट को एंड-टू-एंड एनक्रिप्शन

व्हाट्सअप की खासियत यह रही है कि वह सभी चैट को एंड-टू-एंड एनक्रिप्शन करता है। यानी जब आपकी चैट, फोटो, विडियो भेजते हैं तो वो सर्वर पर जाते ही कोड में बदल जाता है और ये कोड मेसेज प्राप्त करने वाले के पास जा कर ही डीकोड होता है। सीधी सी बात यह है कि कम्युनिकेशन को कोई बीच में पढ़ देख नहीं सकता।

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मतलब कि आप और मेसेज पाने वाला, इकलौते व्यक्ति होते हैं जो कि भेजे गए मेसेज को पढ़ सकते हैं। व्हाट्सअप आपके मेसेज, कॉल्स, फोटो और दूसरी चीजों के कंटेंट को डीक्रिप्ट नहीं कर सकता है, जिससे आपके कंटेंट की सिक्योरिटी और प्राइवेसी सुनिश्चित होती है। लेकिन कंपनी बैकअप्स (क्लाउड और लोकल) को एनक्रिप्ट नहीं करती है। इसके अलावा, वॉट्सऐप मेटाडेटा को भी एनक्रिप्ट नहीं करता है। यह वॉट्सऐप के सिक्योरिटी मॉडल की आलोचना की मुख्य वजह में से एक है। मेटाडेटा किसी को आपके मेसेज पढ़ने की इजाजत नहीं देता है। लेकिन, इसकी मदद से यह पता किया जा सकता है कि आपने किसको और कब मेसेज किया। वाट्सऐप ने 2016 में ऐप पर एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन लागू किया था।

फोन में मौजूद कॉन्टैक्ट्स का ऐक्सेस

जब आप व्हाट्सअप के लिए साइन अप करते है, तो आपके फोन में मौजूद कॉन्टैक्ट्स का ऐक्सेस मांगा जाता है ताकि यह पता लगाया जा सके कि वाट्सऐप के सिस्टम में कौन-कौन से नंबर वेरिफाई किए गए हैं।जिन देशों में आप व्हाट्सअप की मदद से पेमेंट भेज सकते हैं वहां लेन-देन पूरा करने के लिए आपके कार्ड या बैंक की डीटेल्स की जरूरत होती है। सो ये डिटेल भी कंपनी ले लेती है।

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अगर आप व्हाट्सअप पर फेसबुक शॉप इस्तेमाल करते हैं, तो कंपनी आपकी शॉपिंग एक्टिविटी समझ सकती है, जैसे कि आप कौन से प्रोडक्ट देखते और खरीदते हैं। ये जानकारी फेसबुक के साथ शेयर की जाती है क्योंकि ‘शॉप’ फेसबुक का प्रोडक्ट है।आपके फोन नंबर को आपकी व्हाट्सअप यूजर आईडी के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है. वाट्सऐप को यह भी मालूम होता है कि आपका फोन किस आईपी एड्रेस से व्हाट्सअप से कनेक्ट होता है।वाट्सऐप यूजर की डिटेल्स के साथ प्रोफाइल फोटो, ग्रुप के नाम, ग्रुप की प्रोफाइल फोटो और ग्रुप के बारे में जानकारी लेता है।फ़िलहाल फ़ेसबुक पर 2791 मिलियन लोग एक्टिव हैं।जबकि यू ट्यूब व व्हाटसएप पर 2000-2000 मिलियन लोग, फ़ेसबुक मैसेंजर पर 1300 मिलियन लोग, इंस्टाग्राम पर 1158 मिलियन लोग, स्नैपशॉट पर 433 मिलियन, टेलीग्राम पर 400 मिलियन और ट्विटर पर 353 मिलियन लोग एक्टिव हैं। इतने बड़े आभासी संसार में गोपनीयता की उम्मीद बेमानी है।

( लेखक पत्रकार हैं)

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Shivani Awasthi

Shivani Awasthi

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