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कोरोना संकट में भी सियासी तंज के तीर, आखिर क्या है सोनिया की चिट्ठी का मतलब

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन दिनों कोरोना वायरस की चुनौतियों से निपटने में दिन-रात व्यस्त हैं। इस जंग को जीतने के लिए वे सभी सियासी दलों को विश्वास में लेने की कोशिश कर रहे हैं। अपनी इसी मुहिम के तहत उन्होंने पिछले दिनों विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं से फोन पर बातचीत की थी।

Shivani Awasthi
Published on: 7 April 2020 5:11 PM GMT
कोरोना संकट में भी सियासी तंज के तीर, आखिर क्या है सोनिया की चिट्ठी का मतलब
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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन दिनों कोरोना वायरस की चुनौतियों से निपटने में दिन-रात व्यस्त हैं। इस जंग को जीतने के लिए वे सभी सियासी दलों को विश्वास में लेने की कोशिश कर रहे हैं। अपनी इसी मुहिम के तहत उन्होंने पिछले दिनों विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं से फोन पर बातचीत की थी। मोदी विपक्ष के उन आरोपों की धार को कुंद कर देना चाहते हैं जिनमें उन पर मनमाने फैसले लेने और इस संकट से निपटने के लिए समय से कदम न उठाने की बातें कहीं जा रहीे हैं। दूसरी ओर कांग्रेस कोरोना संकट के समय भी मोदी पर हमले का कोई मौका नहीं चूक रही है। मंगलवार को कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहने को तो पीएम मोदी को पांच सुझाव भेजे मगर सियासी जानकारों के मुताबिक असलियत में इन सुझावों के बहाने मोदी और उनकी सरकार पर तंज ही कसा गया है।

सरकारी विज्ञापन रोकने पर जोर

पीएम मोदी को लिखी अपनी चिट्ठी में सोनिया गांधी ने एक महत्वपूर्ण सुझाव दिया है कि कोरोना से जुड़े विज्ञापनों को छोड़कर सभी प्रकार के सरकारी मीडिया विज्ञापनों पर दो साल तक रोक लगा दी जाए। उनका कहना है कि सरकार हर साल ऐसे विज्ञापनों पर 1250 करोड़ रुपए खर्च करती है और इस तरह ढाई हजार करोड़ रुपए बचाए जा सकते हैं।

एक तीर से दो निशाने की कोशिश

यदि सोनिया के इस सुझाव की तह में जाया जाए तो आसानी से समझा जा सकता है कि सोनिया ने यह सुझाव क्यों दिया है। कांग्रेस हमेशा मोदी सरकार पर विज्ञापनों के जरिए अपना प्रचार करने और मोदी की छवि बनाने के लिए सरकारी पैसे के दुरुपयोग का आरोप लगाती रही है। ऐसा सुझाव देकर सोनिया गांधी एक तीर से दो निशाने करना चाहती हैं। यदि सरकार ने उनका यह सुझाव मान लिया तो तो भाजपा सरकारी खर्चे पर अपनी उपलब्धियों का प्रचार नहीं कर पाएगी और यदि नहीं माना तो कांग्रेश को आरोप लगाने का बड़ा मौका मिलेगा कि संकट के इन दिनों में भी सरकारी पैसे का दुरुपयोग कर मोदी सरकार अपनी छवि बनाने में जुटी हुई है।

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विदेश यात्राओं का मुद्दा उठाया

इसी तरह सोनिया की चिट्ठी में एक महत्वपूर्ण सुझाव महत्वपूर्ण हस्तियों की विदेश यात्राओं पर रोक लगाने का भी है। सोनिया गांधी का कहना है कि पैसा बचाने के लिए राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, केंद्रीय मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों, राज्यों के मंत्रियों समेत सभी अधिकारियों की विदेश यात्राओं पर तत्काल रोक लगाई जानी चाहिए। मजे की बात यह है कि उन्होंने इस दायरे में प्रधानमंत्री तक को शामिल कर लिया है।

इस बहाने पीएम को घेरा

प्रधानमंत्री को कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर देश का प्रतिनिधित्व करना होता है और ऐसे में सोनिया के इस सुझाव का मतलब आसानी से समझा जा सकता है। कांग्रेस हमेशा यह आरोप लगाती रही है कि मोदी सरकारी खर्चे पर विदेशों में अपनी छवि चमकाने की कोशिश करते हैं।

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अमेरिका में जब हाउडी मोदी का आयोजन किया गया था तो उस कार्यक्रम को विश्व मीडिया में व्यापक कवरेज मिली थी, लेकिन कांग्रेस ने उस मौके पर भी मोदी पर तंज कसते हुए कहा था कि उन्होंने अपनी छवि बनाने के लिए यह सबकुछ किया है। हालांकि भाजपा की ओर से हर मौके पर कांग्रेस को जवाब दिया जाता रहा है,लेकिन यही सच्चाई है कि कांग्रेस मोदी की विदेश यात्राओं पर हमेशा सवाल खड़े करती रही है।

पीएम केयर्स फंड पर उठाए सवाल

सोनिया का प्रधानमंत्री केयर्स फंड को लेकर दिया गया सुझाव भी एक बड़ा तंज ही माना जा रहा है। कांग्रेस के कई नेता पहले भी कह चुके हैं कि प्रधानमंत्री राहत कोष के रहते हुए प्रधानमंत्री केयर्स फंड बनाने का कोई मतलब नहीं है। अब सोनिया ने भी इस फंड को बनाने पर सवाल खड़ा किया है। उन्होंने यह सुझाव दिया है कि प्रधानमंत्री केयर्स फंड में जितनी भी राशि मदद के रूप में आई है उसे प्रधानमंत्री राहत कोष में ट्रांसफर कर दिया जाए।

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ऐसा करने से आएगी पारदर्शिता

उनका कहना है कि इससे पारदर्शिता आएगी और पैसे के सही इस्तेमाल के बारे में जानकारी भी हो पाएगी क्योंकि इसका ऑडिट होगा। पीएम राहत कोष में पहले से ही 38 सौ करोड़ की राशि पड़ी है। ऐसे में दोनों फंड मिलाकर उसे कोरोना से जंग में खर्च किया जा सकता है।

इस पैसे से बढ़ाएं सुविधाएं

इन तीन सुझावों के अलावा सोनिया ने दो और सुझाव भी दिए हैं। उनका कहना है कि सरकारी बिल्डिंग के कंस्ट्रक्शन के लिए जो 20000 करोड रुपए आवंटित किए गए हैं, उसे भी रोक दिया जाना चाहिए क्योंकि संसद की मौजूदा बिल्डिंग से ही काम चलाया जा सकता है। इस राशि का उपयोग अस्पतालों की व्यवस्था में सुधार, वेंटिलेटर और पीपीई जैसी सुविधाओं पर खर्च करने के लिए किया जा सकता है।

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किसानों और मजदूरों का मुद्दा उठाया

कांग्रेस मजदूरों, किसानों और छोटे कारोबारियों का मुद्दा हमेशा उठाती रही है। सोनिया का कहना है कि सांसदों की पेंशन और सैलरी में से जो 30 फ़ीसदी की कटौती की जाए, उसे इन वर्गों को आर्थिक मदद देने में खर्च किया जाए।

अधूरी तैयारी से किया लॉकडाउन

इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष ने इस महीने की शुरुआत में लॉकडाउन को बगैर किसी तैयारी के उठाया गया कदम बताया था। उनका कहना था कि यदि सरकार ने पूरी तैयारी से कदम उठाया होता तो उन लोगों को कष्ट नहीं होता जो अपने घरों से दूर के इलाकों में फंस गए थे। उनका यह भी कहना था कि टेस्ट करने से ही इस बीमारी से पार पाया जा सकता है मगर अभी तक देश में इस सुविधा का अभाव है।

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राहुल भी हमला करने से नहीं चूक रहे

सोनिया गांधी के अलावा कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी समय-समय पर पीएम मोदी पर हमला करने से नहीं चूक रहे हैं। उनका भी कहना है कि ताली और थाली बजवाने और दीए जलाने से देश के मौजूदा संकट का समाधान नहीं होगा। राहुल ने दुनिया के कई प्रमुख देशों और भारत में कोरोना की जांच के आंकड़े से जुड़ा एक ग्राफ साझा करते हुए कहा कि भारत कोरोना से लड़ने के लिए पर्याप्त जांच नहीं कर रहा है। राहुल के मुताबिक यहां की सरकार जिस तरह यह जंग जीतना चाहती है वैसे इस जंग को नहीं जीता जा सकता।

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