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ईद 2020 पर मौलाना की ये सलाह, बताया- कैसे मनाएं इस बार त्यौहार
ईदगाह के इमाम मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि एक ओर जहां पूरी दुनिया में कोरोना संक्रमण फैला हुआ है। वहीं, दूसरी ओर रमजान के
लखनऊ: ईदगाह के इमाम मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि एक ओर जहां पूरी दुनिया में कोरोना संक्रमण फैला हुआ है। वहीं, दूसरी ओर रमजान के पाक महीने में घरों में रोजेदार इबादत कर प्रशासन के बताए नियमों का पालन कर शारीरिक दूरी बनाकर अल्लाह की इबादत कर रहे हैं।
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नए कपड़े की जगह साफ-पुराने कपड़े पहनें
उन्होंने कहा कि कोरोना से बचने के लिए हुकूमत के बनाए नियमों का पालन करते हुए ईद की खुशियां भी घर वालों के साथ मनाएं। ईद पर या उसके बाद आपको अवाई वतन आने का मौका मिले तो आप ऐसी सूरत में भीड़ से दूर रहेंगे और 21 दिनों तक खुद को घर के सदस्यों से दूर रखेंगे। मौलाना ने कहा कि ईद पर गले मिलने और मुसाफा से खुद को अलग रखें। 25 मई को होने वाली ईद से पहले मौलाना ने ईद पर नए कपड़े खरीदने से परहेज करने और पुराने अच्छे साफ कपड़े को पहन कर ईद मनाने की गुजारिश की है।
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बाजार में भीड़ न लगाने की गुजारिश
मौलाना ने गैर जरूरी सामानों को न खरीदने और बाजार में भीड़ न बढ़ाने की भी अपील रोजेदारों और मुस्लिम समाज के लोगों से की है। मौलाना ने कहा कि रमजान का महीना कुरान पाक का महीना है। दिन में रोजा रखें और रात को पूरे माह बीस रकआत तरावीह पढ़ें। तहज्जुद, अशराक, चाश्त, अव्वाबीन और अन्य नफलें पढ़ें। मौलाना ने कहा कि इस मुकद्दस माह में जकात, सदका और खैरात अदा करने का विशेष एहतिमाम किया जाए।
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इस महीने इबादत का 70 प्रतिशत ज्यादा प्रभाव
गरीबों, जरूरतमंदों, मोहताजों और परेशान लोगों की खूब मदद की जाए। अपने आप को, अपने बच्चों और घरों को गुनाहों से बचाएं। शब-ए-कद्र और आखिर की दूसरी ताक रातों और जुमअतुलविदा और ईद-उल-फित्र की नमाज भी घरों में ही अदा करें। इदारा ए शरइया फरंगी महली अध्यक्ष व शहर-ए-काजी मौलाना मुफ्ती इरफान मियां फरंगी महली ने कहा कि इस्लाम मजहब के पांच आधार में एक जकात है। रमजान जकात देने के लिए बेहतर महीना है। क्योंकि रमजा़न तमाम महीनों का सरदार है। इस महीने में जो भी इबादत की जाती है उसका सवाब 70 फीसद ज्यादा बढ़ जाता है।
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समझाया जकात का मतलब
इसी तरह इस महीने अदा की जाने वाली जकात का भी सवाब बढ़ जाता है। जो शख्स अमीर (साहब ए निसाब) होकर जकात से जी चुराता है वो अल्लाह की नाराजगी हासिल करता है। इसलिए हर हैसियतमंद इंसान को जकात देना चाहिए। जकात की अहमियत इस बात से पता चलती है कि कुरआन में अल्लाह पाक ने जकात का बयान 32 जगहों पर किया है। इस्लाम के पांच बुनियादी चीजों में जकात तीसरे स्थान पर है। आज मुसलमानों में जो गरीबी है वो इस तरफ इशारा कर रही है कि जकात की अदायगी ठीक तरह से नहीं हो रही है। सभी लोग जकात अदा करें तो इसे एकत्र कर मुसलमानों की गरीबी को दूर किया जा सकता है। जकात की तकसीम के कानून खुद अल्लाह ने तय कर दिए हैं। इसलिए ये जरूरी है कि हम जकात देने से पहले ये परख लें कि जिसे हम जकात दे रहे हैं वे कुरआन और हदीस की रोशनी में इसके पात्र हैं या नहीं। दरअसल जकात का मकसद ही है कि गरीब और लाचार लोगों की जरूरत को पूरा किया जाए।
रिपोर्ट: मनीष श्रीवास्तव
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