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फरार और घोषित अपराधियों को नहीं दी जाए अग्रिम जमानत: हाईकोर्ट
हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने अपने एक फैसला में कहा है कि फरार और घोषित अपराधियों को अग्रिम जमानत का लाभ नहीं दिया जाना चाहिए। कोर्ट ने फैजाबाद रोड पर स्थित होटल ग्रैंड ओरियन की तीसरी मंजिल से गिरकर एक बच्चे की हुई मौत के मामले में अभियुक्त को सत्र न्यायालय से मिले
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लखनऊ: हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने अपने एक फैसला में कहा है कि फरार और घोषित अपराधियों को अग्रिम जमानत का लाभ नहीं दिया जाना चाहिए। कोर्ट ने फैजाबाद रोड पर स्थित होटल ग्रैंड ओरियन की तीसरी मंजिल से गिरकर एक बच्चे की हुई मौत के मामले में अभियुक्त को सत्र न्यायालय से मिले अग्रिम जमानत के आदेश को खारिज करते हुए, यह फैसला दिया।
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यह है पूरा मामला...
यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की बेंच ने अंकुर मिश्रा की याचिका पर दिया, याची का कहना था कि 21 दिसम्बर 2018 को वह पत्नी और बच्चों के साथ होटल ग्रैंड ओरियन में एक पारिवारिक समारोह में भाग लेने गया था।
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बताते चलें कि तीसरी मंजिल की टूटी हुई रेलिंग से गिरकर याची के 11 वर्षीय बच्चे की मृत्यु हो गई। इस मामले में याची ने होटल मालिक व प्रबंधक के खिलाफ एफआईआर लिखाई, बाद में पुलिस द्वारा संतोषजनक कार्रवाई न किये जाने पर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, लखनऊ के समक्ष प्रार्थना पत्र भी दिया।
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प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने अभियुक्त के खिलाफ समय-समय पर न सिर्फ गैर जमानतीय वारंट, फरारी की उद्घोषणा व कुर्की आदेश जारी किया बल्कि पुलिस उच्चाधिकारियों को कई पत्र लिखकर अभियुक्त की गिरफ्तारी सुनिश्चित कराने को कहा। इन सबके बावजूद अभिय्क्त की गिरफ्तारी नहीं हो सकी।
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उधर अभियुक्त के फरार होने के बावजूद 9 अगस्त 2019 को सत्र न्यायालय द्वारा उसकी अग्रिम जमानत अर्जी को मंजूर कर लिया गया।कोर्ट ने मामले पर विस्तृत फैसला दिया, कोर्ट ने शीर्ष अदालत के विभिन्न निर्णयों को उद्धत करते हुए कहा कि फरार और घोषित अपराधियों के अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्रों को नहीं मंजूर किया जाना चाहिए।
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कोर्ट ने कहा...
कोर्ट ने कहा कि इस मामले में आरोपी के विरुद्ध 10 जनवरी 2019 को ही न सिर्फ गैर जमानतीय वारंट जारी किया गया था बल्कि उसके खिलाफ फरारी की उद्घोषणा व कुर्की का आदेश भी हो चुका था।
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कोर्ट ने कहा कि इस मामले में विवेचनाधिकारी की भूमिका व उसके सहभागिता पर तो टिप्पणी करने की आवश्यकता नहीं है, यह उसके आचरण से ही स्पष्ट हो जा रहा है।
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कोर्ट ने कहा कि सत्र न्यायालय ने मामले के इन पहलुओं पर गौर किये बगैर अग्रिम जमानत अर्जी मंजूर कर ली। कोर्ट ने पाया कि मामले में चार्ज शीट दाखिल हो चुकी है, अभियुक्त ट्रायल कोर्ट के समक्ष सरेंडर करे।
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