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OK से रहें सावधान: एक झटके में चली जाएगी नौकरी, जानिए क्या है इसके पीछे का राज
अमेरिका में अश्वेत मूल के जॉर्ज फ्लॉयड की पुलिस हिरासत में मौत हो जाने के बाद वहां पर नस्लवाद के खिलाफ जमकर आवाजें उठ रही हैं। इसकी वजह से ऐसे कई लोगों को बी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है, जो अनजाने में ओके का संकेत बना रहे हैं।
वॉशिंगटन: अक्सर लोगों को अपने उंगलियों से ओके (OK) का संकेत बनाकर किसी चीज की तारीफ करते हुए तो आपने बहुत बार देखा होगा। लेकिन कभी आपने ऐसा देखा या सुना है कि ओके का संकेत बनाने के चलते किसी व्यक्ति की नौकरी चली गई हो। ऐसी ही एक घटना सामने आई है अमेरिका से, जहां पर ओके का संकेत बनाने के कारण एक व्यक्ति की नौकरी चली गई और व्यक्ति पर नस्लभेद का आरोप लगा है।
हाथों से ओके का संकेत बनाना नस्लभेद से जुड़ा
बता दें कि अमेरिका में अश्वेत मूल के जॉर्ज फ्लॉयड की पुलिस हिरासत में मौत हो जाने के बाद वहां पर नस्लवाद के खिलाफ जमकर आवाजें उठ रही हैं। इसकी वजह से ऐसे कई लोगों को बी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है, जो अनजाने में ओके का संकेत बना रहे हैं। जिन्हें नस्लभेद से जोड़ा जाता है। हाथों से ओके का संकेत बनाना भी ऐसा ही एक प्रतीक है।
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क्या है पूरा मामला?
ये घटना जून की है। जब इमैनुएल कैफर्टी सैन डिएगो में बिजली और गैस का काम करके घर लौट रहे थे। उन्होंने गाड़ी की खिड़की के बाहर अपना एक हाथ निकाला हुआ था। वो कथित तौर पर अपनी उंगलियां चटका रहे थे। इसी दौरान उनका और तर्जनी भी मिल गए, जिससे ओके का साइन बन गया। इसी दौरान सड़क से गुजरते किसी शख्स ने इस साइन का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया।
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कैफर्टी का कहना है कि वो इस बात से बेखबर थे
ट्विटर में कैफर्टी के हाथों को दिखाते हुए उनपर रेसिस्ट होने का आरोप लगा था। इस घटना के कुछ घंटे बाद उनकी नौकरी भी चली गई। वहीं इस घटना पर मैक्सिकन मूल के कैफर्टी का कहना है कि उन्हें नहीं पता था कि हाथों को इस तरह से करना भी रेसिज्म में आता है।
कहां से हुई इसकी शुरुआत?
अब आप सोच रहे होंगे कि ओके का साइन बनाकर तो बहुत से देशों में किसी चीज की तारीफ करते हैं, तो यह नस्लवाद का प्रतीक कैसे बना? दरअसल, इसकी शुरुआत साल 2017 से हुई थी। उस समय 4chan नाम के एक ऑनलाइन मैसेज बोर्ड के कुछ लोगों ने बदमाशी तौर पर इस तरह के अफवाह की शुरुआत की थी।
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चूंकि इस बोर्ड के सदस्य अनाम रहते हुए लिख सकते हैं, इसलिए उन्होंने ओके के साइन को रंगभेद के संकेत के तौर पर धड़ल्ले से फैलाना शुरू कर दिया। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस ग्रुप के एक सदस्य ने पोस्ट किया कि हमें ट्विटर और दूसरे सोशल मीडिया पर हल्ला मचा देना है कि ये साइन गलत है।
ओके के साइन को गलत तौर पर फैलाना हुआ शुरू
इसके बाद इस ग्रुप के कई सदस्यों ने फेक अकाउंट बनाकर ये शोर मचाना शुरु कर दिया कि ये साइन गलत है। जिसका परिणाम ये हुआ कि बहुत से लोग जो वाकई में रेसिस्ट थे, उन्होंने अश्वेतों को जलील करने के लिए सार्वजनिक जगहों पर ऐसा संकेत बनाना शुरू कर दिया। सोशल मीडिया पर शुरू हुए इस फेक अभियान से अमेरिका के नामी लोग भी जुड़ने लगे।
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अश्वेतों को जलील करने के लिए OK का बनाए जाने लगा साइन
अभियान से जुड़े लोग इस संकेत को नस्लभेद बताते हुए इससे बचने की बात कहने लगे। वहीं इसके बाद बहुत से रंगभेदी भी सामने आने लगे, जो जान बूझकर अश्वेतों को जलील करने और खुद को ऊंचा बताने के लिए ओके का संकेत बनाते थे। इसके बाद से ही इस साइन के मायने बदल गए। कई लोग जिन्होंने अनजाने में ऐसे संकेत बनाए उन्हें भी सजा मिली।
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इसके बाद साल 2018 में अमेरिकी कोस्ट गार्ड ने एक अफसर को सिर्फ इसलिए नौकरी से निकाल दिया, क्योंकि उन्होंने एमएसएन से बात करते हुए किसी प्रसंग में ओके का संकेत बना दिया था। इसके बाद अफसर ने सफाई भी दी कि उनका नस्लभेद का कोई ईरादा नहीं था, लेकिन इसके बाद भी उनकी सजा वापस नहीं ली गई।
इसके बाद साल 2019 में भी अल्बामा में 4 पुलिस अफसरों को ये संकेत बनाकर फोटो खिंचवाने के लिए सस्पेड कर दिया गया। इन अफसरों ने भी ये तर्क दिया था कि वे बचपन से इसे ओके या बढ़िया के तौर पर जानते थे और उन्हें अंदाजा नहीं था कि इसका इतना खराब मतलब है और ये नस्लभेद से जुड़ा हुआ है।
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