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चीन का खौफनाक सच सामने: ऑनलाइन पढ़ें इस डायरी को, रोंगटे खड़े हो जाएँगे
कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में कहर मचा दिया है। लाखों के पार हुए आंकड़े कम होने का नाम ही नहीं ले रहे हैं। चीन के वुहान से फैले इस वायरस ने तबाही की कगार पर लाकर खड़ा दिया है।
नई दिल्ली। कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में कहर मचा दिया है। लाखों के पार हुए आंकड़े कम होने का नाम ही नहीं ले रहे हैं। चीन के वुहान से फैले इस वायरस ने तबाही की कगार पर लाकर खड़ा दिया है। लेकिन चीन ने शुरू से ही इसकी जानकारी और सूचना देेने से लेकर सभी में अपनी मनमानी की है। इस स्थिति में यह आरोप लगना बिल्कुल सही है कि चीन की वजह से दुनिया इस तबाही तक पहुंच गई है। इन सभी के बीच चीन के वुहान शहर में हुए लॉकडाउन के दौरान एक महिला ने डायरी में कुछ ऐसा लिखा है जो अब सामने आ गया है।
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चीन के वुहान का सारा सच
चीन के वुहान में जिस समय कोरोना वायरस फैला, उस समय फैंग-फैंग नाम की एक महिला हर रोज डायरी लिखती थी। वो इस डायरी में चीन के वुहान का सारा सच लिखती थी। उसने मौत, मातम और यातना तक के सारे किस्से इसमें लिख डाले।
शुरूआत में चीन के लोग भी उसके दीवाने हुए लेकिन जैसे ही उन्हें पता चला कि पूरी कहानी जर्मन और इंग्लिश में आ रही है तो उन्होंने इस नायिका को खलनायिका बना डाला और फिर फैंग-फैंग को मौत की धमकियां मिलने लगीं।
इस अवॉर्ड विजेता लेखिका फैंग-फैंग को अब जान से मारने की धमकी मिल रही है। लेखिका को ये धमकी खुद चीन की तरफ से ही मिल रही है। इसमें फैंग-फैंग का कसूर केवल ये है कि उन्होंने वो सच बयां किया है जो- जो चीजे चीन में हुई है।
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कब्रिस्तानों में फैले मातम के बारे में
उस महिला ने 76 दिनों के लॉकडाउऩ में इस वुहान वायरस के बारे में लिख दिया है, जो पूरी दुनिया में तबाही मचा रहा है।
लेखिका फैंग-फैंग ने उस समय की वुहान की स्थिति, चीन अथॉरिटी की करतूत, अस्पतालों में मरीजों के साथ बर्बरता, श्मशान और कब्रिस्तानों में फैले मातम के बारे में लिखा। इसके साथ ही नहीं उस महिला ने ये सब लिखा तो लिखा, लेकिन ऑनलाइन भी कर दिया। अब चीन लेखिका के पीछे पड़ गया है।
चीनी लेखिका फैंग-फैंग की ये वुहान डायरी जर्मन और इंग्लिश में छपी है। लेखिका फैंग फैंग ने डायरी के ऑनलाइन वर्जन में कुल 64 पोस्ट डाली हैं। उन्होंने किसी अच्छे रिपोर्टर की तरह जो देखा वो लिखा, जो सुना वो लिखा।
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मुझे ये तस्वीर मेरे एक डॉक्टर मित्र ने भेजी
लेखिका की डायरी के कुछ पन्नों पर नजर डालें तो 13 फरवरी को फैंग-फैंग एक कब्रिस्तान की तस्वीर लगाकर लिखती हैं, 'मुझे ये तस्वीर मेरे एक डॉक्टर मित्र ने भेजी है। यहां चारों तरफ फर्श पर मोबाइल फोन बिखरे पड़े हैं. कभी इन मोबाइल का कोई मालिक भी रहा होगा।'
उस समय जब चीन की सरकार मौतों की संख्या छिपाने में लगी थी, फैंग-फैंग ने सारे चिठ्ठेे खोल है कि कब्रिस्तानों में मोबाइल बिखरे पड़े थे, वो बिखरे मोबाइल संकेत थे कि मौतें किस रफ्तार से हो रही थीं।
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अस्पतालों में जगह नहीं है
इसके बाद 17 फरवरी के पन्ने पर लेखिका फैंग-फैंग ने लिखा, 'अस्पताल कुछ दिनों तक मृत्यु सर्टिफिकेट बांटते रहेंगे और शव वाहनों में कई शव श्मशानों तक पहुंचाए जाते रहेंगे और ये वाहन दिन में कई चक्कर लगाते रहेंगे।'
इस किताब को लिखने के पीछे लेखिका फैंग-फैंग का मकसद सिर्फ मौत की तांडव गाथा लिखने की नहीं थी। उन्होंने अस्पतालों की दुर्दशा के बारे में भी लिखा। अस्पतालों में जगह नहीं है, डॉक्टर मरीजों को देख तक नहीं पा रहे, किसी को किसी की फिक्र ही नहीं है। ये सब भी उन्होंने लिखा। लेकिन उसके बाद से ही चीन लेखिका के पीछे पड़ा हुआ है।
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