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चीन के नए पैंतरों से एलएसी पर बढ़ा तनाव, ड्रैगन के मंसूबों से भारतीय सेना भी सतर्क

पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव कम करने की कोशिशें कामयाब होती नहीं दिख रही है। चीन के नए पैंतरों से एलएसी पर दोनों पक्षों में तनाव बढ़ रहा है....

Ashiki
Published on: 28 Jun 2020 4:51 AM GMT
चीन के नए पैंतरों से एलएसी पर बढ़ा तनाव, ड्रैगन के मंसूबों से भारतीय सेना भी सतर्क
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अंशुमान तिवारी

नई दिल्ली: पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव कम करने की कोशिशें कामयाब होती नहीं दिख रही है। चीन के नए पैंतरों से एलएसी पर दोनों पक्षों में तनाव बढ़ रहा है। भारतीय सेना भी चीन की चालों को भापकर ड्रैगन की गतिविधियों पर सतर्क नजर रख रही है ताकि उसकी किसी भी साजिश का मुंहतोड़ जवाब दिया जा सके। इसके साथ ही साथ भारत वैश्विक मंचों पर भी चीन की घेराबंदी करने में जुटा हुआ है।

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एलएसी पर चीन की नई चाल

दरअसल चीन एलएसी पर अपनी नई चआलों से भारत को उलझाए रखना चाहता है। सैन्य कमांडरों के बीच हुई बातचीत में चीन ने गलवान घाटी, पैंगोंग झील और हॉट स्प्रिंग से अपने सैनिकों को पीछे हटाने का वादा किया था मगर इसके साथ ही चीन नई चालें भी चल रहा है। सूत्रों के मुताबिक पिछले तीन-चार दिनों के दौरान चीन ने अपने कुछ जवानों को इन तीन जगहों से थोड़ा पीछे तो किया है मगर वह अन्य साजो सामान और निर्माण संबंधी तैयारियां मजबूत करने में लगा हुआ है। चीन की इस नई चाल से भारतीय सेना भी सतर्क हो गई है और चीनी सेना की गतिविधियों पर सतर्क नजर रखी जा रही है।

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चीनी सेना की हरकतों पर भारत की नजर

भारत की ओर से एलएसी के विभिन्न इलाकों में चीनी सेना के बराबर सैन्य कर्मियों की तैनाती की गई है ताकि किसी भी अपरिहार्य स्थिति में भारतीय सेना चीन को उसी की भाषा में जवाब देने में कामयाब हो सके। दिल्ली में भी सेना और सरकार के शीर्ष अधिकारियों की बैठकों में चीनी सेना की गतिविधियों को लेकर लगातार मंथन चल रहा है। भारत और चीन के बीच कमांडर स्तर की बातचीत में 22 जून को सैनिकों को पीछे हटाने पर सहमति बनी थी। इसके बाद भारत की ओर से लगातार चीन की हरकतों पर नजर रखी जा रही है। कूटनीतिक और सैन्य दोनों ही स्तर पर चीन की रणनीति को भारत की ओर से जवाब दिया जा रहा है।

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फिर हो सकती है सैन्य स्तर की बातचीत

जानकारों का कहना है कि अगर अगले दो-तीन दिनों के दौरान चीन की ओर से कोई सकारात्मक ठोस संकेत नहीं मिला तो भारतीय सेना भी अपना रंग दिखा सकती है। हालांकि किसी भी कार्रवाई से पहले दोनों पक्षों के बीच सैन्य स्तर की बातचीत से इनकार नहीं किया जा सकता। भारत की ओर से इसके लिए चीनी समकक्ष को न्योता दिया गया है। जानकारों का कहना है कि भारत रणनीतिक स्तर पर कोई चूक नहीं करना चाहता है ताकि बाद में चीन किसी भी मंच पर उसकी घेराबंदी न कर सके।

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कूटनीतिक स्तर पर भी चीन की घेरेबंदी

सूत्रों का कहना है कि भारत की ओर से डेपसांग ट्राई जंक्शन पर विशेष सतर्कता बरती जा रही है। सामरिक नजरिए से डेपसांग को काफी अहम माना जाता है क्योंकि यहीं से दौलत बेग ओल्डी, काराकोरम रोड और सियाचिन के रास्ते निकलते हैं। भारत इस पॉइंट पर चीनी सेना के किसी भी दुस्साहस का जवाब देने के लिए पूरी तरह तैयार है। जानकारों का कहना कि सैन्य स्तर पर चीन की घेराबंदी के साथ ही भारत कूटनीतिक स्तर पर भी चीन को जवाब देने की कोशिश में जुटा हुआ है। भारत वैश्विक मंचों का भी इस्तेमाल कर चीन को जवाब देने की रणनीति पर काम कर रहा है।

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