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नेपाल की राजनीति में दखल देना पड़ा भारी, चीनी राजदूत का हुआ ये हाल

नेपाल में सियासी उठापठक के बीच चीनी राजदूत होउ यॉन्की काफी सक्रिय हैं, जो हैरान करने वाला है। यॉन्की बीते कुछ दिनों में पार्टी के शीर्ष नेताओं और नेपाल के कई सरकारी अधिकारियों से मुलाकात भी कर चुकी हैं।

Shreya
Published on: 7 July 2020 6:10 AM GMT
नेपाल की राजनीति में दखल देना पड़ा भारी, चीनी राजदूत का हुआ ये हाल
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नई दिल्ली: नेपाल में बीते कई दिनों से सियासी माहौल काफी गरमाया हुआ है। भारत विरोधी फैसलों से नेपाल के पीएम केपी ओली शर्मा की सत्ता पर खतरा मंडराने लगा। दरअसल, नेपाल ने अपने नए नक्शे में भारत के तीन क्षेत्रों को शामिल कर लिया। ये नक्शा जारी करने के लिए भारतीय सेना प्रमुख एमएम नरवणे ने अपने एक बयान में कहा था कि नेपाल ये किसी और के इशारे पर कर रहा है। सेना प्रमुख का सीधा इशारा चीन की तरफ था। हालांकि आर्मी चीफ के इस बयान को लेकर काफी हंगामा भी हुआ। हाल ही में जब इस पर नेपाल की चीनी राजदूत से सवाल किया गया तो उन्होंने इसे गलत ठहराते हुए खारिज कर दिया।

आखिरी चीनी राजदूत क्यों दे रही हैं इतनी दखल?

नेपाल की चीनी राजदूत होई यान्की ने कहा था कि नेपाल-चीन के रिश्ते की गरिमा को कम करने के लिए ऐसा कहा जा रहा है। हालांकि अब जब नेपास में सियासी माहौल गरम हो चला है तो होई यान्की खुले तौर पर दखल देती हुई दिखाई दे रही हैं। ओली को सियासी संकट से बाहर निकालने के लिए नेपाल में चीन के राजदूत होऊ यांगी भी काफी प्रयास कर रही हैं। हालांकि अब इसे लेकर भी नेपाल में सवाल खड़े होने लगे हैं कि एक राजदूत घरेलू राजनीति में इतनी दखल क्यों दे रही हैं?

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पार्टी के कई शीर्ष और सरकारी अधिकारियों से की मुलाकात

नेपाल में सियासी उठापठक के बीच चीनी राजदूत होउ यॉन्की काफी सक्रिय हैं, जो हैरान करने वाला है। यॉन्की बीते कुछ दिनों में पार्टी के शीर्ष नेताओं और नेपाल के कई सरकारी अधिकारियों से मुलाकात भी कर चुकी हैं। बीते हफ्ते उन्होंने राष्ट्रपति बिद्या भंडारी और नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता माधव कुमार नेपाल से भी मुलाकात की थी। इसे केवल एक शिष्टाचार मुलाकात का नाम दिया गया। लेकिन राष्ट्रपति की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। दरअसल, गुरुवार को ओली ने राष्ट्रपति बिद्या भंडारी से मुलाकात के बाद ही संसद को रद्द किया था।

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राष्ट्रपति और राजदूत की मुलाकात में आचार संहिता का उल्लंघन

नेपाल के विदेश मंत्रालय के कुछ अधिकारियों ने कहा कि चीनी राजदूत से मुलाकात में राष्ट्रपति कार्यालय राजनयिक आचार संहिता का भी उल्लंघन कर रहा है। विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि राष्ट्रपति भवन में मंत्रालय के एक अधिकारी की तैनाती होती है, जो विदेश राजनयिकों और प्रतिनिधियों से मुलाकात के बारे में ब्रीफ करता है, लेकिन राष्ट्रपति और चीनी राजदूत के बीच हुई मुलाकात के बाद में मंत्रालय के अधिकारी को सूचना नहीं दी गई। जो कि आचार संहिता का उल्लंघन है। आचार संहिता के मुताबिक इस तरह की मुलाकात में विदेश मंत्रालय के अधिकारी का मौजूद रहना अनिवार्य है।

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घरेलु राजनीति में चल रहे घमासान को लेकर की चर्चा

चीनी राजदूत होउ ने रविवार की शाम पार्टी के वरिष्ठ नेता माधव नेपाल से भी मुलाकात की। सूत्रों का कहना है कि माधव और होउ के बीच पार्टी के अंदर चल रहे सियासी विवाद को लेकर चर्चा हुई थी। होउ का कहना है कि सभी पक्षों को संयम से काम लेना चाहिए। यहीं नहीं चीनी राजदूत ने सोमवार को केपी ओली के विरोधी दल के एक और नेता झाला नाथ खनल से मुलाकात की थी। बताया जा रहा है कि इस बैठक में झाला और होउ के बीच घरेलु राजनीति में चल रहे घमासान को लेकर चर्चा हुई।

पार्टी के नेताओं को एकजुट रहने की सलाह

सूत्रों का कहना है कि चीनी राजदूत होई यान्की को नेपाल में राजनीतिक उथल पुथल को लेकर चिंता सता रही है, इसलिए वो पार्टी के नेताओं को एकजुट रहने की सलाह दे रही हैं। लेकिन नेपाल के अंदर इसे लेकर सवाल खड़ा किया जा रहा है कि आखिरी चीनी राजदूत नेपाल की घरेलु राजनीति में दखल क्यों दे रही हैं और वो इतनी मशक्कत क्यों कर रही हैं? आखिर चीन क्या चाहता है? नेपाल के रणनीतिकारों को चीनी राजदूत की ये दखलंदाजी खटक रही है, खासकर तब जब पार्टी ऐसे मुश्किल दौर से गुजर रही है।

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नेपाल को खटक रही चीनी राजदूत की ये दखलअंदाजी

इस पर नेपाल के पूर्व राजदूत लोकराज बराल ने कहा कि मैं अपने ही नेताओं को घरेलू राजनीति में विदेशी दखल को आमंत्रित करने के लिए दोषी मानूंगा। पहले दूसरे देशों के नेता हमारे आंतरिक मामले में शामिल होते थे और अब चीनी दखल देने लगे हैं। वहीं चीनी दूतावास के प्रवक्ता झांग सी ने कहा था कि चीन नहीं चाहता कि नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी किसी मुश्किल में फंसे, इसलिए वो पार्टी के नेताओं को एकजुट रखने और उनके बीच मतभेद को सुलझाने की कोशिश कर रहा है।

नेपाल के राजनीतिक मामलों के विश्लेषकों का कहना है कि विदेशी राजदूतों के कहने से पार्टी में कब तक एकता बनी रह पाएगी। राजनीतिक पार्टियां अपने संस्थागत ढांचे के तहत कोई फैसला क्यों नहीं कर रही हैं। ये विवाद फिलहाल किसी लेन-देन से शांत हो सकता है, लेकिन इस बात की गारंटी कौन देगा कि भविष्य में ऐसी परिस्थितियां नहीं बनेंगी?

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भारत-नेपाल के बीच रिश्ते खराब करने के पीछे होउ का हाथ

गौरतलब है कि नेपाल को हमेशा से भारत का परंपरागत मित्र माना जाता रहा है मगर मौजूदा दौर में दोनों देशों के रिश्ते बेहद खराब दौर में पहुंच गए हैं। भारतीय हिस्सों को नेपाल के नक्शे में शामिल दिखाए जाने के बाद दोनों देशों के रिश्ते में खटास पैदा हो गई है। नेपाल के भारत विरोधी इस कदम के पीछे चीनी राजदूत का ही दिमाग़ बताया जा रहा है। जानकारों का कहना है कि नेपाल में चीन की राजपूत होऊ यांगी ने नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली को यह विवादित कदम उठाने के लिए तैयार किया। इस नक्शे की वजह से ही नेपाल और भारत के रिश्ते में खटास पैदा हुई है।

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