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वुहान में सामान्य जीवन अब भी बहुत दूर

चीन भले ही वुहान में सब कुछ सामान्य होने की बात कहे लेकिन असलियत में ऐसा नहीं है। कोरोना के नए केस अब नहीं आ रहे हैं लेकिन दहशत ज्यों कि त्यों है। सिर्फ वुहान ही नहीं बल्कि राजधानी बीजिंग का भी यही हाल है।

Dharmendra kumar
Published on: 10 April 2020 6:30 PM GMT
वुहान में सामान्य जीवन अब भी बहुत दूर
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नीलमणि लाल

नई दिल्ली: चीन भले ही वुहान में सब कुछ सामान्य होने की बात कहे लेकिन असलियत में ऐसा नहीं है। कोरोना के नए केस अब नहीं आ रहे हैं लेकिन दहशत ज्यों कि त्यों है। सिर्फ वुहान ही नहीं बल्कि राजधानी बीजिंग का भी यही हाल है।

करीब एक करोड़ 15 लाख की आबादी वाले वुहान शहर के भीतर व्यक्तियों और व्यवसायों पर कठोर नियम बरकरार हैं। लोगों से यथासंभव घर पर ही रहने को कहा जा रहा है। स्कूल, कालेज और अन्य शिक्षण संस्थान अब भी बंद हैं।

सख्ती जारी

कोरोना से बचाव के लिए सख्त नियम जारी हैं। लोगों को उनके आवासीय परिसरों से तभी बाहर निकलने दिया जाता है, जब उनके पास उनके नियोक्ता द्वारा जारी किया गया रिटर्न-टू-वर्क पास हो। इसके अलावा उनके सेलफोन पर सरकार द्वारा जारी स्वास्थ्य कोड हरा होना चाहिए। अगर ये कोड नारंगी या लाल हुया तो बाहर निकलने की इजाजत नहीं मिलती। ग्रीन कोड का मतलब है कि वे स्वस्थ हैं और तभी उनको आने-जाने की मंजूरी मिलती है। लोग बताते हैं कि संक्रमण-मुक्त समझे जाने वाले रिहाइशी काम्प्लेक्स को बिना किसी स्पष्टीकरण के नारंगी या लाल कोड में डाल दिया जाता है।

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सार्वजनिक क्षेत्रों में सोशल डिस्टेन्सिंग

वुहान में 72 दिन बाद बाजार, मॉल, मेट्रो ट्रेन आदि चालू हो गई हैं लेकिन सोशल डिस्टेन्सिंग के सख्त पैमाने लागू हैं। मॉल में लोगों को एस्केलेटर पर पांच – पाँच फुट की दूरी पर खड़े होना आवश्यक है। कपड़े की दुकान में जिस ड्रेस को ग्राहकों ने पहन कर ट्राइ किया है उनपर कीटाणुनाशक का छिड़काव किया जाता है। सबवे में यात्रियों को मास्क पहनना और ट्रेन के भीतर दो – दो सीटें छोड़ कर बैठना होता है। मूवी थिएटर और कराओके बार बंद हैं। चीन में विदेशियों के प्रवेश पर प्रतिबंध जारी है।

दरअसल, मीडिया रिपोर्टों ने “साइलेंट स्प्रेडर” यानी बिना लक्षण वाले संक्रमण पर ध्यान केंद्रित किया है और अध्ययनों में पाया गया है कि कोरोना वायरस से संक्रमित एक तिहाई लोगों में कोई लक्षण नहीं दिखा है। यही वजह है कि चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग के प्रवक्ता एम आई फेंग ने कहा है कि, "संक्रमण के एक नए दौर की संभावना अपेक्षाकृत अधिक है।"

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ट्रेन यात्रियों की गहन जांच

वुहान से जब पहली ट्रेन शंघाई पहुंची तो वहां यात्रियों का किसी तरह की गर्मजोशी से स्वागत नहीं किया गया। इसके बजाय, शंघाई स्टेशन पर संक्रमण से बचाव वाले सूट में अधिकारियों का दल मौजूद था। यात्रियों को ट्रेन से उतरते ही स्वास्थ्य परीक्षण के लिए ले जाया गया।

एक अनिश्चित भविष्य

वुहान में सामान्य स्थिति आने में लंबा समय लगेगा। यहाँ के हुआनन सीफ़ूड मार्केट में सब स्टॉल बंद हो गए हैं। इसी मार्केट को वायरस का स्रोत माना जाता है। कुछ टैक्सियाँ शहर की सड़कों पर दिखाई देतीं हैं। सार्वजनिक परिवहन धीरे-धीरे फिर से शुरू हो रहा है। लेकिन बसों में इक्का-दुक्का लोग ही नजर आते हैं। कई व्यवसाय बंद हैं और सख्त आंतरिक यात्रा प्रतिबंध जारी हैं। रिहाइशी काम्प्लेक्सों में जल्दबाजी में लगाई गई घेराबंदी अब भी मौजूद हैं। कई अपार्टमेंट ब्लॉक कम से कम एक और महीने के लिए अपने कर्फ्यू को लागू रखेंगे।

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लोगों का कहना है कि ये कैसे कहा जाये कि वुहान अनलॉक है? अगर लोग अपने अपार्टमेंट की इमारत से बाहर नहीं निकल सकते तो ट्रेन कैसे पकड़ सकते हैं?

दूसरे शहरों में स्वागत नहीं

जो लोग किसी तरह शहर छोड़ने का प्रबंध कर भी लेते हैं उनके सामने एक अलग समस्या है। कहीं उनका स्वागत नहीं है। कई बड़े शहरों में कई अपार्टमेंट इमारतों ने हुबेई से आए "कोरोना नायकों" पर प्रतिबंध लगा दिया है। और देश भर में कुछ सतर्क ग्रामीणों ने ऐसी बाधाएं खड़ी की हैं जिससे हुबेई के लोगों को गुजरने की अनुमति नहीं है। देश के कई हिस्सों में, आवासीय समितियां-पड़ोस की आँखें और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) के कान - अतिरिक्त 14 दिनों के संगरोध पर जोर दे रहे हैं।

लॉकडाउन से पहले 50 लाख लोगों का पलायन

वुहान के पूर्व मेयर के अनुसार लॉकडाउन से पहले कम से कम 50 लाख निवासियों ने शहर छोड़ दिया था। इनमें से ज़्यादातर लोगों ने अनजाने में कोरोना वायरस को दक्षिण कोरिया, जापान, थाईलैंड और चीन में कहीं और फैलाया। अब जो लोग लौटते हैं उन्हें अनिश्चित भविष्य का सामना करना पड़ेगा।

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बीजिंग का भी यही हाल

दैनिक जीवन पर इस तरह के प्रतिबंध बीजिंग में भी पिछले दो महीनों से लगे हुए हैं। कोई भी व्यक्ति अपने अपार्टमेंट की इमारत में या किसी भी दुकान, रेस्तरां, अपने दफ्तर और अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में प्रवेश करता है तो पहले उसका टेम्परेचर चेक किया जाता है। सुरक्षा गार्ड हर अपार्टमेंट बिल्डिंग और यहाँ तक कि गलियों के प्रवेश द्वार पर सबके प्रवेश कार्ड की जांच करते हैं। अब किसी के लिए अपने दोस्तों या मेहमानों को आमंत्रित करना मुश्किल हो गया है। बार और रेस्तरां में लोगों के लिए एकत्र सकना मुश्किल बन गया है। एक मेज पर बैठने वालों की संख्या सीमित कर दी गई है। कि भी आमने-सामने नहीं बैठ सकता है।

माओ का “जन युद्ध”

दो महीने पहले चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने घोषणा की थी कि कोरोना वायरस का प्रकोप एक “जन युद्ध” यानी पीपुल्स वार है। यह शब्द माओ के मूल विचारों में से एक था जिसमें पूरी आबादी को गुरिल्ला युद्धा के माध्यम से किसी हमलावर बल को नष्ट करने का आह्वान की बात थी।

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बदल गया माहौल

कोरोना वायरस ने बीजिंग का माहौल ही बदल डाला। देखते-देखते शहर में एक प्रमुख अभिनेता के पोस्टर लग गए जिसमें वह लोगों से जंगली जीव-जन्तु न खाने को कह रहा था। बेरोजगार पुरुषों को सुरक्षा-गार्ड बना दिया। इनको वर्दी के अलावा बॉडी टेम्परेचर स्कैनर से लैस किया गया था। इन गार्डों को अधिकार दिया गया कि वे बगैर प्रवेश कार्ड वाले किसी भी व्यक्ति को रोक सकते हैं।

कम्यूनिस्ट समाज के निर्माण की आवश्यकता के बारे में घोषणा करने वाले लाल रंग के विशालकाय पोस्टरों की जगह लोगों को हाथ धोने और घर के अंदर रहने का आग्रह करने वाले होर्डिंग लग गए। नुक्कड़ों पर गपशप करने वाले रिटायर लोगों को मास्क लगाने का काम सौंपा गया।

चीन के कम्यूनिस्ट शासन के सिस्टम से लोगों पर निगरानी और नियमों के क्रियान्वयन का काम आसानी से होता चला गया। वैसे भी चीनियों को घर पर रहने की आवश्यकता के बारे में शिक्षित करने के लिए हफ्तों समझने की कोई आवश्यकता नहीं थी। क्योंकि लोगों को 2003 की सार्स महामारी की अच्छी तरह याद थी।

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जनवरी के अंत में, जब देश ने चंद्र नव वर्ष मनाया था, तब भी लोग घर पर रहे। तमाम लोगों ने बताया कि वे छह सप्ताह से अपने अपार्टमेंट से बाहर नहीं निकले हैं। आफ़िसों ने कोटा निर्धारित कर दिया कि कितने लोग काम पर हो सकते हैं।

हर जगह मास्क ही मास्क

वुहान या बीजिंग में मास्क पहने हुए लोग सार्वभौमिक हो गए हैं। आपने किसी सार्वजनिक पार्क में मास्क उतारा नहीं कि लोगों आप पर चीखने लगते हैं। मास्क न पहनना सार्वजनिक रूप से नंगे घूमने के बराबर है। आज मास्क, दस्ताने और चश्मा पहने लोग आम नज़ारा हैं। वुहान में आलम ये है कि ज़्यादातर लोगों को अलग-थलग रखने के बारे में कुछ कहने की जरूरत नहीं है क्योंकि लोगों ने अपनों की मौतों को देखा है और मौत के निकट पहुँचने वाले हालात से वे गुजर चुके हैं।

वुहान निवासी यान हुआई बताते हैं कि उनके दोस्तों और दोस्तों के रिश्तेदारों की मृत्यु हो गई। उनकी आंखों के ठीक सामने, एक-एक करके सब कोरोना के शिकार बन गए।

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कोई ढिलाई नहीं

कोरोना प्रकोप बढ्ने पर चीन के कम्यूनिस्ट शासन ने क्वारंटाइन को बेहद सख्ती से लागू किया था। जनवरी के आखिरी हफ्ते में आवागमन के साधन बंद कर दिये गए थे। प्रवासी मजदूर अपने घर लौट नहीं पाये और आज भी दसियों लाख मजदूर शहरों को लौट नहीं पाये हैं। बीजिंग में प्रवेश करने वाले हर इनसान के लिए 14 दिन का सेल्फ क्वारंटाइन जरूरी था। इस नियम को शासन द्वारा नवनियुक्त सुरक्षा गार्डों ने सख्ती से लागू किया। शहर के बाहर से लौटने वाले हर इनसान के अपार्टमेंट के बाहर एक स्टिकर चिपका दिया गया ताकि अड़ोस-पड़ोस वाले निगरानी कर सकें कि वह व्यक्ति बाहर तो नहीं निकला है।

सबकी निगरानी

सरकार ने लोगों की जबर्दस्त निगरानी की। हर इनसान की ट्रैवल और हेल्थ हिस्ट्री सरकार को पता थी। इसके लिए कैमरों, इन्फ्रारेड सिग्नल और अन्य इलेक्ट्रानिक सर्विलान्स के अलावा जासूसों का इस्तेमाल किया गया। मोहल्लों, अपार्टमेंट कंपाउंड के बाहर शासन के मुखबिर कागज-कलम ले कर लोगों का मूवमेंट रिकार्ड करते रहते थे। ये मुखबिर तंत्र सबसे प्रभावी सिद्ध हुआ।

हम सबके लिए ये समझने की जरूरत है कि चीन ने कोरोना के खिलाफ ‘जन युद्ध’ घर में बंद रह के जीता।

Dharmendra kumar

Dharmendra kumar

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