सुरक्षित है देश का भविष्य
Path Of Progress: मेरे एक मित्र का एक विश्वविद्यालय में साक्षात्कार है एवं उन्हें उसकी ऐसी तैयारी करनी है कि वो ही उस पद के लिए चुने जाएँ।
Path Of Progress: आजकल मेरे एक मित्र अत्यंत परेशान हैं। उनका एक विश्वविद्यालय में साक्षात्कार है। एवं उन्हें उसकी ऐसी तैयारी करनी है कि वो ही उस पद के लिए चुने जाएँ।
उन्होंने मुझसे पूछा तो मैंने कहा कि ‘भाई सबसे अच्छा तरीका है कि अपने विषय के कुछ अच्छे टापिक चुनो और उन्हें पूरी तरह तैयार कर लो।’
उन्होंने मुझसे कहा ‘मित्र इसीलिए तुम और तुम्हारे जैसे लोग जीवन में कभी तरक्की नहीं कर पाएंगे।’
मैंने कहा कि ‘हाँ भाई मानता हूँ। मैं आज तक पीएचडी नहीं कर पाया। अपने आलस के कारण। इसलिए मैं तो तरक्की कर ही नहीं सकता।’
उन्होंने कहा ‘लो तुम तो और भी मूर्खता पूर्ण बातें करने लगे।’
फिर उन्होंने मुझे चिंता का विषय क्या है ये बताया। ‘कुल ६ लोगों को बुलाया गया है, उनमें से चार तो चिंता का विषय नहीं हैं परन्तु एक अवश्य चिंता का विषय है।’
मैंने पूछा ‘ चार चिंता का विषय नहीं हैं और एक ही क्यों है?’
उन्होंने उत्तर दिया, ‘वीसी मेरी जाति का एवम मेरे शहर का है, और छह में से तीन दूसरी जाति के एवम एक भारत के दूसरे हिस्से से है, इसलिए ये चार तो मेरे लिए चिंता का विषय नहीं हैं। परन्तु ये आखिरी, ये मेरी ही जाति का है, उस पर से उसका गांव वीसी के गांव के ठीक बगल का है। इतना ही नहीं उसके पिताजी ने वीसी के साथ काम किया है। उसके एक और रिश्तेदार वीसी को काफी अच्छी तरह जानते है।ं’
मैंने पूछा, ‘ये दूसरा कौन है?’
उन्होंने मुझे उसका नाम बताया।
मैंने कहा, ‘यार तुम्हारे मुकाबले में ये व्यक्ति अनुभव, ज्ञान, एवम क्षमता में कहीं नहीं ठहरता और तुम इससे डरते हो?’
उन्होंने कहा, ‘बेवक़ूफ़ हो बेवक़ूफ़ ही रहोगे।’
मैंने सर झुका लिया।
‘यार एक बात बताओ अगर उच्च शिक्षा सचिव से जोर लगवाया जाये तो चलेगा?’ उन्होंने पूछा।
‘यदि वीसी में कुछ दम है तो मेरे ख्याल से नहीं, परन्तु मैं इन बातों का विशेषज्ञ नहीं हूँ.’ मैंने कहा।
फिर वो चले गए।
कल उनका फोन आया था। आजकल वो काशी वाले विश्वनाथ बाबा का आशीर्वाद प्राप्त करने गए हैं। साथ ही साथ उन्होंने वीसी के एक मित्र की भी खोज कर ली है। एक पंडित को जब उन्होंने कुंडली दिखाई तो उसने भी बताया कि चन्द्रमा की स्थिति इस समय उनके अनुकूल होने के कारण फैसला उनके पक्ष में हो सकता है।
मैंने पूछा, ‘कुछ तैयारी भी चल रही है?’
उन्होंने कहा, ‘तैयारियों के बारे में ही तो बता रहा था।’
‘नहीं-नहीं मैं पढ़ाई के बारे में पूछ रहा हूँ.’ मैंने कहा।
‘वो भी हो जायेगा जब ट्रेन में सफर कर रहा हूँगा.’ जवाब मिला।
मैं निश्चिन्त हूँ देश का भविष्य मजबूत हाथों में है, और रहेगा। चाहे मेरे मित्र को या उनके प्रतिद्वंदी को जिसको भी वो पद मिलेगा वो अपने छात्रों को इस देश में जीने का एवम तरक्की करने का तरीका तो सिखा ही देगा।
( लेखक स्तंभकार हैं। ये लेखक के निजी विचार हैं।)