मौतों की वजह रैलियां: बंगाल में राजनीतिक पार्टियां कसूरवार, बढ़ते संक्रमण से हाहाकार
पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव का सिलसिला जारी है। इस साल चुनाव आयोग ने फरवरी में आठ चरणों में बंगाल विधानसभा चुनाव की घोषणा की थी।
नई दिल्ली: कोरोना महामारी के इस भयावह दौर में पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव का सिलसिला जारी है। इस साल चुनाव आयोग ने फरवरी में आठ चरणों में बंगाल विधानसभा चुनाव की घोषणा की थी। जिसके बाद से ही यहां सभी राजनीतिक दलों और नेताओं ने बड़े स्तर पर रैलियां और रोड शो करे। लेकिन इऩ सबका नतीजा ये निकल कर आया कि राज्य में एक महीनें के अंदर कोरोना के मामले 1500 प्रतिशत बढ़ गए।
11 मार्च को बंगाल में कोरोना संक्रमण के केस कम होकर 3110 हो गए थे। लेकिन इसके बाद से लगातार मामलों में बढ़ोत्तरी होती जा रही है। वहीं 20 मार्च के बाद से राज्य में सक्रिय कोरोना मामलों की संख्या 53 हजार से ज्यादा हैं। जिस पर ध्यान दिया जाए तो यह आकड़े 1500 प्रतिशत से भी ज्यादा हैं।
यहां पर बड़ी सभाओं को ही कोरोना संक्रमण के बढ़ने का एक मुख्य कारण माना जा सकता है। लेकिन ये आकलन करना मुश्किल है कि कौनसी राजनीतिक सभाएं सुपर स्प्रेडर का कारण हैं। अभी भी रैलियों और रोड-शो का कार्यक्रम जारी है। जनता से वोट की भूख ने राजनीतिक पार्टियों को अंधा कर दिया है। सियासी खेल में जनता को मोहरा बनाया जा रहा है।
जारी है रैलियां और रोड-शो
ऐसे में पुरुलिया की बात करें तो यहां 29.3 लाख से ज्यादा आबादी वाले जिले में दो चरणों में चुनाव हुए थे। इसमें पहले चरण के लिए मतदान सात निर्वाचन क्षेत्रों में 27 मार्च को किया गया और दूसरे चरण के लिए नौ निर्वाचन क्षेत्रों में 1 अप्रैल को मतदान किया गया था।
इसके बाद 18 मार्च तक पुरुलिया में कोरोना के 35 सक्रिय मामले थे। इस दिन ही पीएम नरेंद्र मोदी ने यहां एक रैली को संबोधित किया। इसके बाद चार दिनों के अंदर जिले में मामलों में वृद्धि होने लगी। मात्र एक महीने बाद जिले में सक्रिय मामले 1200 से ज्यादा हैं। एक महीने पहले की तुलना में करीब 34 गुना ज्यादा। यानी केवल एक रैली ने संक्रमण को बढ़ाने में योगदान दिया। 18 और 27 मार्च के बीच जिले में कई सार्वजनिक बैठकें और रैलियां भी की गई थी।
इस समय उत्तर 24 परगना सबसे ज्यादा प्रभावित जिला (कोलकाता को छोड़कर) है। मंगलवार तक जिले में कोरोना के 14,220 सक्रिय मामलों की सूचना है। केवल 22 मार्च को जिले ने इस साल सक्रिय मामलों की न्यूनतम संख्या 3,420 बताई थी, जिसके बाद मामले बढ़ने लगे। लेकिन मामलों में स्पाइक 31 मार्च को जिले में टीएमसी-बीजेपी कार्यकर्ताओं के बीच झड़प के तुरंत बाद आया था। और जिले में मतदान के समय तक सक्रिय मामले 12,526 तक पहुंच गए थे। लगातार मामले बढ़ने का सिलसिला अभी भी जारी है।