Kolkata Rape-Murder Case : पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष ने नार्को और अभिजीत मंडल ने पालीग्राफ टेस्ट से किया इनकार

Kolkata Rape-Murder Case : कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में एंड हॉस्पिटल में महिला ट्रेनी चिकित्सक की हत्या और रेप मामले में जेल में बंद पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष ने नार्को टेस्ट कराने से इनकार कर दिया है।

Newstrack :  Network
Update:2024-10-18 18:40 IST

Kolkata Rape-Murder Case :  कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में एंड हॉस्पिटल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष ने नार्को टेस्ट और निलंबित पुलिस अफसर अभिजीत मंडल ने शुक्रवार को भी पॉलीग्राफ टेस्ट से इनकार कर दिया है। नार्को और पालीग्राफ टेस्ट के लिए उनसे अनुमति मांगी गई थी, लेकिन सहमति देने से मना कर दिया है। बता दें कि आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल की ट्रेनी महिला डॉक्टर के साथ रेप और हत्या की वारदात की जांच सीबीआई कर रही है। सीबीआई ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार किया है।

आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुई हैवानियत मामले में सीबीआई जांच कर रही है और इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही है। सीबीआई ने पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष को गिरफ्तार किया है, इन पर करोड़ों रुपए के कथित घोटाले का आरोप है। इस मामले में सीबीआई की नजर दो और चिकित्सकों - डॉ. सुजाता घोष और डॉ. देबाशीष सोम पर है, क्योंकि ये दोनों पूर्व प्रिंसिपल के काफी करीबी बताए जा रहे हैं। वित्तीय अनियमितता और भ्रष्टाचार मामले में उनकी संलिप्तता की भी जांच की जा रही है। सीबीआई ने डॉ. देबाशीष सोम के घर पर छापेमारी भी कर चुकी है। सीबीआई ने पूछताछ के लिए कई बार कोलकाता स्थित सीबीआई कार्यालय भी बुलाया है। वहीं, डॉ. सुजाता घोष से भी सीबीआई ने कई बार पूछताछ की है।

सबूतों से छेड़छाड़ का आरोप

वहीं, कोलकाता के ताला पुलिस थाने के प्रभारी अभिजीत मंडल को सीबीआई ने 14 सितंबर को गिरफ्तार किया था। इसके बाद उन्हें निलंबित कर दिया था। उन पर महिला चिकित्सक से दुष्कर्म और हत्या के मामले में सबूतों से छेड़छाड़ करने का आरोप है। 

बता दें कि कोलकाता के आरजी कर मेडकिल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में बीते 9 अगस्त को एक ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप के बाद हत्या कर दी जाती है। इसे लेकर लोगों में इस कदर आक्रोश फैल गया कि बंगाल सहित पूरे देश में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। देश के चिकित्सकों की सुरक्षा की मांग को लेकर बंगाल के जूनियर डाक्टरों ने काम करना बंद कर दिया था, जिस के बाद राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई थी।

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