Bihar Exit Poll With Newstrack: तीसरे चरण में महामुकाबला, इनको मामूली बढ़त
बिहार विधानसभा चुनाव का तीसरा चरण काफी अहम माना जा रहा है क्योंकि इस चरण में 78 सीटों पर एनडीए और महागठबंधन के बीच आर-पार की जंग दिख रही है। तीसरे चरण में विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी समेत नीतीश सरकार के 12 मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है।
अंशुमान तिवारी
नई दिल्ली। बिहार विधानसभा के पहले दो चरणों की तरह तीसरे चरण में भी मतदाताओं ने उत्साह के साथ मतदान में हिस्सा लिया। आखिरी चरण की 78 विधानसभा सीटों पर एनडीए और महागठबंधन के उम्मीदवारों के बीच कांटे की जंग दिखी। आखिरी चरण की सीटों पर कई कद्दावर नेता भी चुनाव मैदान में उतरे हैं और यही कारण है कि हर किसी की नजर इन सीटों पर लगी हुई है। बिहार के पहले दो चरणों की तरह न्यूजट्रैक आपके लिए तीसरे चरण का पूर्वानुमान भी सबसे पहले लेकर सामने आया है।
एनडीए को 22 सीटें मिलनी तय
ग्राउंड जीरो के निदेशक और सीफोलॉजिस्ट शशिशंकर सिंह के मुताबिक तीसरे चरण के मतदान में एनडीए और विपक्षी महागठबंधन के बीच कांटे का मुकाबला दिख रहा है। यदि तय सीटों की बात की जाए तो एनडीए को महागठबंधन पर मामूली बढ़त मिलती दिख रही है।
एनडीए की 22 सीटों पर विजय तय दिख रही है जबकि महागठबंधन को 19 सीटें मिलती दिख रही हैं मगर एनडीए के उम्मीदवार जहां 32 सीटों पर कांटे के मुकाबले में दिख रहे हैं वहीं महागठबंधन के 37 उम्मीदवार कांटे के मुकाबले में फंसे हुए हैं। यदि तय सीटों की बात की जाए तो तीसरे चरण में जदयू सबसे आगे है और उसकी 11 सीटों पर विजय तय दिख रही है।
कई बड़े नेताओं की किस्मत दांव पर
बिहार विधानसभा चुनाव का तीसरा चरण काफी अहम माना जा रहा है क्योंकि इस चरण में 78 सीटों पर एनडीए और महागठबंधन के बीच आर-पार की जंग दिख रही है। तीसरे चरण में विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी समेत नीतीश सरकार के 12 मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है।
इसके साथ ही वीआईपी के मुखिया मुकेश सहनी, जन अधिकार पार्टी के मुखिया पप्पू यादव, पूर्व सांसद लवली आनंद, राजद के वरिष्ठ नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी और शरद यादव की बेटी सुभाषिनी की किस्मत का फैसला भी तीसरे चरण में ही होना है। तीसरे चरण में ही सीमांचल के इलाके में एआईएमआईएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी और कोसी इलाके में पप्पू यादव की ताकत का भी पता चलेगा।
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पिछले चुनाव में जदयू था सबसे आगे
यदि पिछले विधानसभा चुनाव को देखा जाए तो आखिरी चरण की 78 सीटों में पिछले चुनाव में जदयू ने 30 सीटों पर विजय हासिल की थी। भाजपा और राजद दोनों दलों को बीस-बीस सीटों पर कामयाबी मिली थी जबकि कांग्रेस ने 11 सीटों पर विजय हासिल की थी।
निर्दलीय प्रत्याशियों ने दो सीटों पर बाजी मारी थी जबकि भाकपा माले और रालोसपा को एक-एक सीट पर कामयाबी मिली थी।
इस बार बदल गए हैं समीकरण
वैसे पिछले विधानसभा चुनाव से इस बार समीकरण पूरी तरह बदले हुए हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में जदयू, राजद और कांग्रेस एक ही गठबंधन में थे मगर इस बार जदयू भाजपा के साथ एनडीए गठबंधन में शामिल है। दूसरी ओर राजद, कांग्रेस और वामदल एक खेमे में हैं और एनडीए को चुनौती देते दिख रहे हैं। ऐसे में हर किसी की नजर इस बात पर टिकी है कि बदले हुए समीकरण में मतदाताओं का क्या रुझान दिखता है।
भाजपा के खाते में 10 सीटें
ग्राउंड जीरो के निदेशक शशि शंकर सिंह ने तीसरे चरण के बारे में अनुमान लगाया है कि इस चरण में एनडीए को 22 सीटों पर विजय मिलनी तय है। उनके मुताबिक भाजपा ने आखिरी चरण की 35 सीटों पर अपने प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारे हैं और इनमें से 10 सीटों पर भाजपा की विजय तय दिख रही है जबकि 16 सीटों पर भाजपा के प्रत्याशी कड़े मुकाबले में फंसे हुए हैं।
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जदयू को 11 सीटों पर बढ़त
यदि जदयू का आकलन किया जाए तो तीसरे चरण में जदयू उम्मीदवार 37 विधानसभा सीटों पर चुनाव मैदान में उतरे हैं और इनमें से 11 सीटों पर जदयू की विजय तय दिख रही है। 15 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां जदयू के उम्मीदवार कड़े मुकाबले में फंसे हुए हैं।
वीआईपी ने आखिरी चरण की पांच विधानसभा सीटों पर किस्मत आजमाई है और इनमें से उसे एक ही सीट मिलती दिख रही है। एक सीट पर वीआईपी का प्रत्याशी कड़े मुकाबले में दिख रहा है।
32 सीटों पर एनडीए दे रहा कड़ी चुनौती
पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी हम ने आखिरी चरण की एक विधानसभा सीट पर अपना प्रत्याशी उतारा है मगर वह प्रत्याशी भी मुकाबले में नहीं दिख रहा है। इस तरह एनडीए प्रत्याशियों की आखिरी चरण में 22 सीटों पर विजय तय दिख रही है जबकि 32 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां एनडीए उम्मीदवार अपने विरोधियों को कड़ी चुनौती पेश कर रहे हैं।
महागठबंधन के खाते में 19 सीटें तय
यदि महागठबंधन को देखा जाए तो महागठबंधन को 19 सीटें मिलनी तय दिख रही है जबकि 37 सीटों पर उसके प्रत्याशी कड़े मुकाबले में हैं। महागठबंधन के सबसे प्रमुख दल राजद ने आखिरी चरण की 78 सीटों में से 46 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं और उसे 9 सीटों पर विजय मिलती दिख रही है जबकि 25 सीटों पर राजद उम्मीदवार अपने विरोधियों को कड़ी चुनौती दे रहे हैं।
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कांग्रेस को आठ सीटों पर बढ़त
कांग्रेस ने आखिरी चरण की 25 सीटों पर अपने उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं और इनमें से 8 सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशियों की विजय तय दिख रही है। 10 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां कांग्रेस प्रत्याशी नजदीकी मुकाबला में फंसे हुए हैं।
37 सीटों पर महागठबंधन दे रहा कड़ी चुनौती
भाकपा माले ने आखिरी चरण की पांच विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा है और इनमें से उसकी सिर्फ एक सीट पर विजय तय दिख रही है जबकि एक सीट पर भाकपा माले का प्रत्याशी विरोधी प्रत्याशी को कड़ी चुनौती दे रहा है।
भाकपा ने आखिरी चरण की दो सीटों पर अपना प्रत्याशी लड़ाया है और इनमें से एक सीट पर उसकी विजय तय मानी जा रही है जबकि एक सीट पर भाकपा का प्रत्याशी कड़े मुकाबले में फंसा हुआ है।
इस तरह आखिरी चरण में महागठबंधन को 19 सीटें मिलना तय माना जा रहा है जबकि 37 सीटों पर महागठबंधन के प्रत्याशी विरोधियों को कड़ी चुनौती पेश कर रहे हैं।
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लोजपा और एआईएमआईएम की हालत पतली
आखिरी चरण लोजपा, एआईएमआईएम और जन अधिकार पार्टी के लिए भी काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है मगर इस चरण में इन तीनों की कोई भी सीट तय नहीं मानी जा रही है।
लोजपा उम्मीदवार तीन विधानसभा सीटों पर विरोधियों को कड़ी चुनौती दे रहे हैं जबकि एआईएमआईएम सिर्फ एक विधानसभा सीट पर अपने विरोधियों को कड़ी चुनौती देने में सक्षम दिख रही है। आखिरी चरण में एक निर्दलीय उम्मीदवार की जीत तय मानी जा रही है जबकि एक विधानसभा सीट ऐसी है जहां निर्दलीय उम्मीदवार नजदीकी मुकाबले में दिख रहा है।
ओवैसी की ताकत का लगेगा पता
तीसरे चरण में ही एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी की ताकत का भी पता लगेगा। ओवैसी ने मुस्लिमों की अच्छी खासी आबादी वाले सीमांचल इलाके की कई सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। सीमांचल इलाके में अररिया, किशनगंज, कटिहार और पूर्णिया में मुस्लिमों की आबादी 55 फ़ीसदी से ज्यादा है। इसलिए इन इलाकों में हर किसी की नजर मुस्लिम मतदाताओं के रुझान पर टिकी हुई है।
मुस्लिम मतदाताओं को रिझाने की कोशिश
महागठबंधन के अलावा एनडीए के प्रमुख घटक जदयू ने भी मुस्लिमों का समर्थन पाने के लिए खूब पसीना बहाया है। दूसरी ओर ओवैसी ने लगातार एनआरसी का विरोध करके मुस्लिमों का समर्थन जीतने की कोशिश की है। महागठबंधन के नेताओं ने भी सीमांचल इलाके की जनसभाओं में एनआरसी को न लागू होने देने की बात कही है।
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यादव मतदाताओं का समर्थन पाने की होड़
तीसरे चरण में ही कोसी-सीमांचल क्षेत्र में जन अधिकार पार्टी के मुखिया व पूर्व सांसद पप्पू यादव की ताकत का भी पता चलेगा। इस इलाके में यादव मतदाताओं की संख्या काफी ज्यादा है और पप्पू यादव ने इस क्षेत्र में अपनी ताकत दिखाने के लिए पूरा जोर लगाया है।
दूसरी ओर राजद की ओर से भी यादव मतदाताओं को अपने पक्ष में बनाए रखने के लिए जमकर मेहनत की गई है। अब ऐसे में यह देखने वाली बात होगी कि यादव मतदाताओं का रुझान किस ओर होता है।
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क्या गुल खिलाएगा नीतीश कुमार का एलान
तीसरे चरण में ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आखिरी चुनाव संबंधी एलान का असर भी पता लगेगा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पूर्णिया की धमदाहा सीट पर चुनावी सभा के दौरान एलान किया था कि मौजूदा विधानसभा उनका आखिरी चुनाव है। अंत भला तो सब भला।
नीतीश के इस एलान के बाद उनके सियासी भविष्य को लेकर तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। राजद और कांग्रेस ने नीतीश कुमार पर इस एलान के बाद तीखा हमला बोला है और दोनों दलों का कहना है कि नीतीश कुमार थक चुके हैं। उन्होंने यह बयान मजबूरी में दिया है क्योंकि उन्हें मौजूदा विधानसभा चुनाव में अपनी हार तय दिख रही है। ऐसे में यह देखने वाली बात होगी कि नीतीश के भावनात्मक कार्ड का तीसरे चरण पर कितना असर पड़ता है।
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