सब्जी बेचकर पिता ने बेटे को बनाया इंजीनियर, यूपी सरकार में पहुंचा बेटा
SDO बनने से पहले श्रीराम कई नौकरी छोड़ चुके हैं। इससे पहले भारत सरकार के ECIL विभाग में ऑफिसर थे। श्रीराम की बचपन से पढ़ाई सरकारी स्कूल में हिन्दी मीडियम से हुआ। उसने RDS हाई स्कूल धनगाई से 10वीं की परीक्षा पास किया
बिहार: राज्य के रोहतास जिले के बिक्रमगंज के श्रीराम की स्टोरी काफी प्रेरणा दायक है। जी हां, आपको जानकर हैरानी होगी कि कैसे हिन्दी मीडियम के सरकारी स्कूल में पढ़ने वाला सब्जी बिक्रेता का बेटा बना SDO बना, तो चलिए जानते रियल लाइफ स्टोरी के बारे में...
श्रीराम का जीवन
श्रीराम के पिता का नाम संजय गुप्ता है जो काराकाट लोकसभा क्षेत्र के गाँव मोथा के रहने वाले है। बिक्रमगंज में किराये के मकान में रहते है। बिक्रमगंज के सब्जी मंडी में सब्जी बेचकर बेटे को पढ़ाया और बनाया इंजीनियर। श्रीराम की सफलता में उसके मेहनत के साथ उनके माता-पिता और गुरु आरके श्रीवास्तव का बहुत बड़ा योगदान है। उन दिनो श्रीराम की पारिवारिक स्थिति उतनी बेहतर नही थी। गुरु आरके श्रीवास्तव ने श्रीराम के पढ़ाई में उसे काफी सपोर्ट किया और अपने सानिध्य में 4 वर्ष नि:शुल्क पढाया जब तक वह इंजीनियर नही बन गया। परन्तु समय बदला, परस्थितियां बदली और आज श्रीराम इंजीनियर बन सरकारी इलेक्ट्रिक विभाग में SDO के पद पर कार्यरत है।
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ऐसी रही श्रीराम की शिक्षा
SDO बनने से पहले श्रीराम कई नौकरी छोड़ चुके हैं। इससे पहले भारत सरकार के ECIL विभाग में ऑफिसर थे। श्रीराम की बचपन से पढ़ाई सरकारी स्कूल में हिन्दी मीडियम से हुआ। उसने RDS हाई स्कूल धनगाई से 10वीं की परीक्षा पास किया, उसके बाद AS कॉलेज बिक्रमगंज से 12वीं और वर्ष 2013 में बिहार इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षा में सफलता पाया। सरकारी कॉलेज भागलपुर से इलेक्ट्रिकल ब्रांच से पढकर इंजीनियर बना।
इंजीनियरिंग कॉलेज की फीस 20000 रुपये
आपको बताते चले कि BCECE सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज की ट्यूशन फीस इतना कम होता है कि हर गरीब सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज से पढ़कर इंजीनियर बन सकता है। पुरे 4 वर्ष का इंजीनियरिंग कॉलेज का फी लगभग 20 हजार रुपये लगे, जिसमें लगभग 15 हजार से ऊपर सरकार ने SchoLarship के रूप में वापस कर देते है। यानी सिर्फ 4 से 5 हजार रुपये के ट्यूशन फीस में पूरा पढ़ाई कर स्टूडेंट्स बिहार सरकार के इंजीनियरिंग कॉलेजो से पढ़कर इंजीनियर बन रहे है। यदि आप देखेंगे तो लगभग 80 या 90 रूपया महीने का पड़ा और सरकारी कॉलेज से इंजीनियरिंग का डिग्री आपको मिल गया। इंजीनियरिंग करने के बाद वर्ष 2017,2018,2019 में श्रीराम ने GATE QUALIFY किया।
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Bcece प्रवेश परीक्षा में पहले प्रयास में सफलता
श्रीराम के इंजीनियर बनने के बाद अब परिवार की स्थिति पहले से बेहतर हुआ। श्रीराम बचपन से हिन्दी मीडियम के सरकारी स्कूलों से पढ़ा। श्रीराम अपने गाँव बिक्रमगंज से पढकर इंजीनियर बना। आरके श्रीवास्तव के शैक्षणिक संस्थान में उनके सानिध्य में पढ़कर सफलता पाया। श्रीराम Bcece प्रवेश परीक्षा में पहले प्रयास में सफलता पाकर सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज पहुँचा। श्रीराम का परिवार हमेशा गुरु आरके श्रीवास्तव की प्रशंसा करते नही थकते जिसने उसे इंजीनियर बनने के लिये प्रेरित किया।
संघर्षो के प्रेरणा हैं आरके श्रीवास्तव
आरके श्रीवास्तव भी श्रीराम के संघर्षो को एक प्रेरणा बताते है। आरके श्रीवास्तव ने बताया कि जब श्रीराम से बात हुआ तो उसने बताया कि आपके सानिध्य में बिताया वह 4 वर्ष (क्लास 9th से 12th और वर्तमान समय में उसी वर्ष इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा में सफलता पाने तक) मेरे जीवन के लिये अनमोल था। आपने हमें नि:स्वार्थ भाव से पढ़ाया। श्रीराम ने बताया कि कैसे सर आप पूरी रातभर लगातार हमलोगों को पढ़ाते थे, कब रात से सुबह हो जाता पता ही नहीं चलता था। आज आपके द्वारा कराये गये मेहनत का ही देन है कि हम इस उपलब्धी तक पहूँचे है।
आप जैसे स्टूडेंट्स पर काफी गर्व है- आरके
आरके श्रीवास्तव ने कहा कि आप जैसे स्टूडेंट्स पर काफी गर्व होता है जो अपनी मिट्टी से आज भी जुड़े है। आप देश के उन सभी स्टूडेंटस के लिये रॉल मॉडल जो गाँव में कम सुविधा में रहकर भी इंजीनियर बनने का सपना देखते है और उस सपने को साकार करते है।
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