Happy Teacher's Day: मिलिए भारत के Real हीरो से, हिन्दुस्तान को विश्व गुरू बनाने में दे रहे योगदान
Teachers' Day 2021: हर व्यक्ति जन्म के साथ एक कुम्हार के कच्चे घड़े के समान ही होता है, लेकिन व्यक्ति के जीवन को मूल्यवान बनाने में अहम भूमिका निभाता है एक गुरु।
Teachers' Day 2021: हर व्यक्ति जन्म के साथ एक कुम्हार के कच्चे घड़े के समान ही होता है, लेकिन व्यक्ति को जीवन को मूल्यवान बनाने में अहम भूमिका निभाता है एक गुरु। हर इंसान की पहली गुरु उसकी मां होती है और उसके बाद शिक्षा ग्रहण के दौरान एक शिक्षक ही मनुष्य को सफलता की बुलंदियों पर पहुंचाता है। हर साल 5 सितंबर का दिन शिक्षक दिवस (Teacher's Day) के रूप में मनाया जाता है। शिक्षक विद्यार्थियों के जीवन के वास्तविक कुम्हार होते हैं जो न सिर्फ हमारे जीवन को आकार देते हैं बल्कि हमें इस काबिल बनाते हैं कि हम पूरी दुनिया में अंधकार होने के बाद भी प्रकाश की तरह जलते रहें। इस वजह से हमारा राष्ट्र ढेर सारे प्रकाश के साथ प्रबुद्ध हो सकता है।
भारत के द्वितीय राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस और उनकी स्मृति के उपलक्ष्य में मनाया जाने वाला 'शिक्षक दिवस' एक पर्व की तरह है, जो शिक्षक समुदाय के मान-सम्मान को बढ़ाता है। आज हम भारत के ऐसे युवा TEACHERS की कहानी से आपको रुबरु करेंगे, जिन्होने शिक्षा में लाया क्रांतिकारी बदलाव
रंजीत सिंह डिस्ले
लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए भारत के एक प्राइमरी स्कूल टीचर रंजीत सिंह डिस्ले को 1 मिलियन US डॉलर यानि 7 करोड़ भारतीय रुपए के ईनाम के ग्लोबल टीचर प्राइज अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है। महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के परितेवाडी गांव के 32 वर्षीय रंजीत सिंह अंतरराष्ट्रीय मंच पर देश का गौरव बढ़ाने वाले की कहानी हर किसी के लिए प्रेरणादायक है। रंजीत सिंह एक IT इंजीनियर बनना चाहते थे, लेकिन इंजीनियरिंग कॉलेज पहुंचने के बाद उन्हें एहसास हुआ कि शायद वे गलत रास्ते पर हैं। उनके पिता ने उन्हें टीचिंग ट्रेनिंग करने का सुझाव दिया। रंजीत संकोच के साथ, शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय गए और वहां पहुंचकर उनके जीवन को नई दिशा मिली। उन्होंने देखा कि शिक्षक दुनिया में वास्तविक बदलाव लाते हैं, और उन्होंने स्वयं एक टीचर बनने का फैसला कर लिया।
जिस स्कूल में उन्होंने शुरूआत में पढ़ाया, वह मवेशियों के शेड और एक गोदाम के बीच बनी जर्जर इमारत में था। वहां पढ़ने वाली अधिकांश लड़कियां आदिवासी समुदायों से थीं। समाज के उस हिस्से में लड़कियों की शिक्षा को प्राथमिकता नहीं दी जाती थी और बाल विवाह एक आम प्रथा थी। इसके अतिरिक्त, छात्रों की पढ़ाई की प्राथमिक भाषा कनड़ नहीं थी, जिसका अर्थ था कि कई छात्र पढ़ने में असहज थे। काफी प्रयास के बाद, रंजीत ने स्वयं कनड़ सीखी और छात्रों के लिए ग्रेड 1-4 तक की सभी किताबों को फिर से डिज़ाइन किया। इन किताबों को उन्होंने यूनीक QR कोड के साथ डिज़ाइन किया जिससे ऑडियो कविताओं, वीडियो लेक्चर, कहानियों और असाइनमेंट्स को एम्बेड किया जा सके। इन क्यूआर कोडेड किताबों की मदद से कई लड़कियों ने ऐसे समय में पढ़ाई जारी रखी जब एक आतंकवादी हमले के कारण स्कूल दो महीने के लिए बंद कर दिए गए थे।
उनके प्रयासों के फलस्वरूप, 2016 में उनके स्कूल को जिले के सर्वश्रेष्ठ स्कूल से तौर पर सम्मानित किया गया जहां 98 प्रतिशत छात्रों ने स्कूल का सेशन पूरा करने से पहले ही अपनी लर्निंग पूरी कर ली थी। माइक्रोसॉफ्ट के CEO, सत्य नडेला ने रंजीत सिंह के काम को उनकी पुस्तक 'हिट रिफ्रेश' में भारत की तीन सर्वश्रेष्ठ कहानियों में से एक के रूप में चुना। केंद्र सरकार ने रंजीत सिंह को '2016 इनोवेटिव रिसर्चर ऑफ द ईयर' का सम्मान दिया और उन्होंने 2018 में नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन के 'इनोवेटर ऑफ द ईयर' का पुरस्कार भी जीता। रंजीत सिंह ने शैक्षणिक विषयों पर 500 से अधिक अखबार लेख और ब्लॉग लिखकर, टेलीविजन चर्चाओं में भाग लेकर अपने तरीकों को साझा किया।
# सुपर 30 वाले अभयानंद और आनंद कुमार
अभयानंद और आनंद कुमार ने शिक्षा में ऐसी लकीर खींच दी जिससे आज पूरी दुनिया उन्हें सलाम कर रहा। एक पर बनी फिल्म परीक्षा तो दूसरे पर सुपर 30. अभयानंद बताते हैं कि उनके अभयानंद, रहमानी, मगध सुपर थर्टी और देश के बाहर सीएसआर के तहत चल रहे संस्थानों से 2000 से अधिक स्टूडेंट्स ने आइआइटी क्रैक किया है। वह कहते हैं कि मेरी यह धारणा बन रही है कि अब हर समाज के लोग यह कोशिश कर रहे हैं बच्चे पढ़ें। उन्हें यह समझ में आ गया है कि यह सरकार के बूते की बात नहीं। समाज की मदद से ही आंकड़ा बढ़ रहा है, यह अच्छा है।
बिहार के पटना जिले में रहने वाले शिक्षक आनंद कुमार न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया के इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स के बीच चर्चित नाम हैं। इनका 'सुपर 30' प्रोग्राम विश्व प्रसिद्ध है। इसके तहत वे आईआईटी-जेईई के लिए ऐसे 30 मेहनती छात्रों को चुनते हैं, जो बेहद गरीब परिवार से हों। 2018 तक उनके पढ़ाए 480 छात्रों में से 422 अबतक आईआईटियन बन चुके हैं। आनंद कुमार की लोकप्रियता का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि डिस्कवरी चैनल भी उनपर डॉक्युमेंट्री बना चुका है। उन्हें विश्व प्रसिद्ध यूनिवर्सिटी से भी व्याख्यान का न्योता मिल चुका है।
# सिर्फ एक रुपया गुरुदक्षिणा वाले आरके श्रीवास्तव
श्री आरके श्रीवास्तव ( रजनी कांत श्रीवास्तव) बिहार के जाने-माने शिक्षक एवं विद्वान हैं। मैथमेटिक्स गुरु के नाम से मशहूर आरके श्रीवास्तव का जन्म बिहार राज्य के रोहतास जिले के बिक्रमगंज गांव में हुआ। अपने शुरुआती क्लासेज आरके श्रीवास्तव ने अपने मातृभूमि बिक्रमगंज से पढ़ाना प्रारम्भ किया।आरके श्रीवास्तव ने अपने गांव के असहाय निर्धन सैकड़ो स्टूडेंट्स को निशुल्क शिक्षा देकर आईआईटी, एनआईटी , बीसीईसीई में सफलता दिलाया। आज ये सैकड़ो निर्धन स्टूडेंट्स अपने गरीबी को काफी पीछे छोड़ अपने सपने को पंख लगा रहे।
रोहतास जिला के बिक्रमगंज के रहने वाले गुरुजी कुछ अन्य गुरुओं से अलग हैं। इनके यहां तामझाम नहीं बल्कि पढ़ाई के बल पर सपना देखने वाले छात्र ही आते हैं। पढ़ाई के बीच कोई शुल्क नहीं बल्कि पूरा होने के बाद बिना गुरुदक्षिणा लिए ये किसी को नहीं छोड़ते। गुरुदक्षिणा भी सिर्फ एक रुपया। नाम है रजनी कांत श्रीवास्तव उर्फ मैथेमेटिक्स गुरु आरके श्रीवास्तव। अबतक 540 निर्धन परिवार के छात्र इंजीनियर व अन्य सरकारी सेवक बन सपने को साकार कर चुके हैं। खेल-खेल में जादुई तरीके से गणित पढ़ाने का उनका तरीका लाजवाब है। कबाड़ की जुगाड़ से प्रैक्टिकल कर गणित सिखाते हैं। इनके द्वारा चलाया जा रहा नाइट क्लासेज छात्रों को भी रास आती है। गुगल ब्वाय कौटिल्य के भी ये गुरु रह चुके हैं। कई रिकार्ड इनके नाम पर दर्ज है।
कमजोर छात्राें को भी पढ़ाते
बिक्रमगंज में अपने पुस्तैनी छोटे से मकान में आरके श्रीवास्तव रहते हैं। इस मकान से अब गरीब छात्रों को उम्मीद की पंख लगती है। कई अति साधारण व कमजोर छात्रों के लिए उम्मीद की एक किरण भी यहीं दिखती है। महान गणितज्ञ रामानुजम और वशिष्ठ नारायण सिंह को अपना आदर्श मानने वाले रजनीकांत श्रीवास्तव कहते हैं कि मेधावी छात्रों की परीक्षा के माध्यम से चयनित कर कोई इंजीनियर डाकटर बना सकता है। गुरू की अग्निपरीक्षा तो तब होती है जब अति साधारण व कमजोर छात्रों में शिक्षा की भूख जगा उसे मुकाम तक पहुंचाए। अबतक 540 गरीब तथा विपरीत परिस्थितियों से लडऩे वाले छात्र यहां से इंजीनियर व अधिकारी बनकर निकले हैं संघर्ष के बूते,
खुद टीबी बीमारी के कारण नहीं बने थे इंजीनियर
बचपन में पिता पारसनाथ लाल की मौत के बाद घर की तंगहाली के बीच वे टीबी से ग्रसित हो गए। बड़े भाई शिवकुमार श्रीवास्तव का सपना था कि वे इंजीनियर बनें लेकिन बीमारी के कारण आइआइटी की प्रवेश परीक्षा नहीं दे पाए। इंजीनियर बनने का सपना चकनाचूर हो गया। बाद में बड़े भाई की मौत ने भी उन्हें झकझोर कर रख दिया। मन में टीस थी कि वे इंजीनियर बन नाम और पैसा कमाते लेकिन मां-भाभी का संबल मिला और अपने जैसे मजबूर बच्चों को आगे बढ़ाने का विचार आया। माध्यम बना गणित। गरीब बच्चों की फी चुकता करने की मजबूरी खुद से जानते थे। वे यह भी जानते थे कि बच्चे महंगी फी देने में मजबूर हैं लेकिन बिना फी दिए पढ़ेंगे भी नहीं। लिहाजा गुरु दक्षिणा रखा एक रुपये। यह गुरु दक्षिणा सफल होने पर हर हाल में जमा करना अनिवार्य बनाया। रजनीकांत श्रीवास्तव कहते हैं कि अपने जैसे उन बच्चों को पढ़ा-लिखा कर काफी संतुष्टि मिलती है, जो मार्गदर्शन नहीं मिलने से प्राय: पिछड़ जाते हैं। मैं रास्ता बताने वाला हूं, गुरु नहीं। यह तो विद्यार्थियों का प्रेम है, जो मेरा इतना सम्मान कर मैथमेटिक्स गुरू बना दिए हैं। कई गरीब छात्रों को मिला आइआइटी व एनआइटी में दाखिला ,सफल छात्रों की है लंबी फेहरिस्त।
एक रुपया गुरुदक्षिणा देना है आवश्यक
आरके श्रीवास्तव बताते हैं कि अबतक उनसे पढ़ाई कर 540 स्टूडेंट्स सफल हुए हैं। सभी ने आकर एक रुपया गुरुदक्षिणा दिया है। गुरु की महिमा और महत्व छात्रों की सफलता से ही है। जब छात्र उन्हें गुरुदक्षिणा देते हैं तो उनका मन सम्मान से भर जाता है।
अब तक मिल चुके हैं कई अवार्ड
रजनीकांत को पाइथागोरस प्रमेय को बिना रुके 52 अलग-अलग तरीके से सिद्ध करने के लिए वर्ल्ड बुक आफ रिकार्ड लंदन में नाम दर्ज है। लगभग 12 घंटे 450 से अधिक बार नाइट क्लास में पढ़ाने के लिए गोल्डन बुक आफ वर्ल्ड रिकार्ड में नाम दर्ज है। इन्हें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, पूर्व सांसद शत्रुघ्न सिन्हा, राज्यसभा के पूर्व सदस्य आरके सिन्हा, योग गुरु बाबा रामदेव, उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत व हरिश रावत समेत कई लोगों से पुरस्कार प्राप्त हुआ है। देश के कई सेलिब्रिटी उनके शैक्षणिक कार्यशैली की प्रशंसा कर चुके है, रेसलर द ग्रेट खली, ओलंपिक पदक विजेता रवि दहिया, योगेश्वर दत्त सहित, दीपक पुनिया , हॉकी के प्रसिद्ध मिडफील्डर सुमित वाल्मिकी सहित अनेको सेलिब्रिटी आरके श्रीवास्तव के शैक्षणिक कार्यशैली के मुरीद है। उन्होनें गेस्ट फैकल्टी के रूप में भी कई संस्थानों में गणित विषय को पढ़ाया हैं। गूगल ब्वाय कौटिल्य के भी ये गुरु रह चुके हैं।