IIIT ALLAHABAD पहुँचा किसान का बेटा अनुपम राज, गुरु आरके श्रीवास्तव ने दिया आशीर्वाद
अनुपम की सफलता में उसके मेहनत के साथ उसके माता- पिता का बहुत बड़ा योगदान है...
IIIT ALLAHABAD : हर उस गुरू को खुशी मिलती है जब उसका पढाया बच्चा सफल होता है। परंतु वह खुशी तब कई गुणा और बढ जाती है जब वह सफल बच्चा ग्रमीण परिवेश में पल बढकर IIIT ALLAHABAD में दाखिला लेता है। प्रतिष्ठित कॉलेजों में दाखिला लेकर इंजीनियर बनने का सपना हर स्टूडेंट्स को होता है। लेकिन जब यह सपना किसी ग्रमीण परिवेश से पले बढ़े स्टूडेंट्स का पुरा होता है तो खुशी कई गुणा अधिक बढ जाती है। आज हम आपको बिहार राज्य के रोहतास जिले के बिक्रमगंज के पास अलीगंज गाँव के अनुपम राज की प्रेरणादायक स्टोरी बताने जा रहे हैं।
कौन हैं Anupam Raj
अनुपम के पिता एक किसान हैं। वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड होल्डर आरके श्रीवास्तव बताते हैं कि अनुपम पढने में बचपन से ही काफी इंटेलीजेंट था। अनुपम की सफलता में उसके मेहनत के साथ उसके माता- पिता का बहुत बड़ा योगदान है।आरके श्रीवास्तव (Mathematics guru Rk srivastava) बताते हैं की जब अनुपम मेरा नाम सुनकर मेरे पास अपने पिता के साथ कोचिंग आया था तो मै उसके टैलेन्ट से प्रभावित होकर उसे पढाना शुरु किया। जब भी मै टेस्ट एग्ज़ाम लेता था तो उसमें वह काफी अच्छा मार्क्स लाता था। वह अपने वर्ग से हमेशा आगे के प्रश्नो को हल करता था। अनुपम (Anupam Raj Reached IIT ALLAHABAD) ने सोशल मीडिया पर एक संदेश लिखकर आरके श्रीवास्तव का शुक्रिया अदा किया है। अनुपम ने लिखा है की सर आप वास्तव में हम सभी सफल दोस्तो के पढाई में बेसिक से टॉप लेवल तक का बदलाव लाया, यदि जब बेस बेहतर होंगे तभी सफलता कदम चूमेगी।
आरके श्रीवास्तव ने कुछ फोटो सोशल साइट पर शेयर किया है एक जब अनुपम आरके श्रीवास्तव के शैक्षणिक आँगन में पढता था और दुसरा जब वह IIIT ALLAHABAD में पहुँचा। आरके श्रीवास्तव ने बताया की अच्छा लगता है जब बीज नन्हा सा पौधा का रूप धारण करता है और जब हम बड़े जतन से उसमें खाद पानी डालते हैं, कीटनाशक छिड़क कर उसे बचते हैं और वह अहसास तो सच में कमाल का होता है जब हमारे सामने मीठे फलों से लदा हुआ वृक्ष होता है। ऐसा ही अहसास मुझे हुआ जब गाँव के हमारे स्टूडेंटस सफल होकर इंजीनियर बनते है।
कौन है आरके श्रीवास्तव
सैकड़ों गरीबों को आईआईटी, एनआईटी, बीसीईसीई, एनडीए सहित देश के प्रतिष्ठित संस्थानो में दाखिला दिलाकर उनके सपने को पंख लगाया है। संसाधन की कमी के बाबजूद आर के श्रीवास्तव ने पढाना आरंभ कर आज जो मुकाम हासिल किया है और जिस तेजी से उस पथ पर अग्रसर होते हुए, गरीब स्टूडेंट्स को इंजीनियर बना रहे है उसकी जितनी भी प्रशंसा की जाए वह कम है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी आर के श्रीवास्तव के शैक्षणिक कार्यशैली से काफ़ी प्रभावित हो, प्रशंसा कर चुके हैं।