आरके श्रीवास्तव के छात्र इंजीनियर ही नहीं, भारतीय सेना में भी जाकर कर रहे देश की सेवा

आरके श्रीवास्तव के स्टूडेंट्स सिर्फ 1 रूपया में पढ़कर इंजीनियर ही नहीं बन रहे बल्कि आर्मी, नेवी, एयरफोर्स, स्टेट पुलिस में जाकर देश सेवा भी कर रहे।

Newstrack Network :  Network
Published By :  Dharmendra Singh
Update:2021-05-18 00:34 IST
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के साथ आरके श्रीवास्तव (फाइल फोटो: सोशल मीडिया)

पटना: खेतो में हल चलाने वाले किसान के बेटे -बेटियों को आरके श्रीवास्तव के शैक्षणिक आंगन से पढकर इंजीनियर बनते तो पुरे देश ने देखा और सुना होगा। परन्तु आज हम उनके कुछ ऐसे स्टूडेंट्स से रुबरु करा रहे हैं जो सेना में जाकर देश सेवा कर रहे तो कोई स्टेट पुलिस में ऑफिसर बन अपनी सेवाये दे रहा। यह सभी स्टूडेंट्स खेतों में हल चलाने वाले किसान के बेटे हैं।

आरके श्रीवास्तव के स्टूडेंट्स सिर्फ 1 रूपया में पढ़कर इंजीनियर ही नहीं बन रहे बल्कि आर्मी, नेवी, एयरफोर्स, स्टेट पुलिस में जाकर देश सेवा भी कर रहे। यग सभी स्टूडेंट्स बिहार राज्य के रोहतास जिले के रहने वाले हैं। हर उस गुरू को खुशी मिलती है जब उसका पढ़ाया बच्चा सफल होता है। परंतु वह खुशी तब कई गुना और बढ़ जाती है जब वह सफल बच्चा ग्रमीण परिवेश में पल बढ़कर सफलता पाता है।

किसान सत्येन्द्र सिंह का बेटा विवेक और अमन

जब भी आसमान में किसी लड़ाकू विमान को देखता हूं तो ऐसा लगता है कि जैसे मेरा बेटा इस विमान को उड़ा रहा है। यह कहना है उस पिता का जो खुद तो खेत में हल चलाते हैं, लेकिन आज उनके दो बेटे NDA में सफलता पाकर ऑफिसर बन चुके हैं। बेटे के इस सफलता को देख माता-पिता तथा बिहार के मैथेमैटिक्स गुरू आरके श्रीवास्तव जहां खुशी से झूम उठते हैं। वहीं भारत मां के इन दोनो लाल पर गर्व हो रहा है।
रोहतास के सूर्यपुरा प्रखंड में पड़रिया नामक एक गांव है और इस गांव के एक मध्यमवर्गीय किसान हैं सत्येंद्र सिंह और माता पूनम देवी एक गृहणी है। उनका बेटे विवेक और अमन NDA में सफलता पाकर देश के बड़े पदो पर ऑफिसर बन चुके हैं। विवेक बन चूका है फ्लाइट लेफ्टिनेंट तो अमन बन चूका है लेफ्टिनेंट ऑफिसर। वर्तमान में विवेक पश्चिम बंगाल के हासीमारा में फ्लाइट लेफ्टिनेंट के पद पर कार्यरत है। विवेक ने वर्ष 2013 में NDA प्रवेश परीक्षा में सफलता पाया था, उसका ऑल इंडिया रैंक 21 था। वही अमन वर्ष 2018 में NDA प्रवेश परीक्षा में सफलता पाया। अभी अमन पुणे के खडगवासला में लेफ्टिनेंट के पद पर कार्यरत है।
विवेक और अमन बचपन से काफी मेधावी छात्र थे। शिक्षक आरके श्रीवास्तव बताते हैं सिर्फ 2 महीने में 11th, 12th के गणित को कम्पलीट करने की क्षमता इन दोनो में थी। सुबह से शाम तक दिन भर क्लास में बैठकर पढते थे। इनमें काबिलियत ऐसी थी की लगातार 10 घंटे भी इन्हें पढ़ाया जाये तो यह थक नहीं सकते थे।
आरके श्रीवास्तव ने बताया कि इनके सफलता का श्रेय इनके मेहनत के साथ इनके माता पिता को जाता है। पिता सत्येन्द्र सिंह और माता पूनम देवी की जितनी प्रशंसा की जाये वह कम है, विवेक और अमन के माता पिता समाज के लिये रोल मॉडल हैं। आरके श्रीवास्तव ने विवेक और अमन के माता-पिता को उनके घर पहुंच सम्मानित किया और कहा कि आप जैसे माता-पिता राष्ट्र गौरव हैं। ग्रमीण परिवेश के किसान के दोनों बेटे देश के प्रतिष्ठित पदों पर पहुंचकर देश सेवा कर रहे हैं। यह हम सभी और बिहार के लिये गौरव की बात है। बेटे की सफलता पर पिता सत्येन्द्र सिंह और माता पूनम देवी ने उनके गुरु आरके श्रीवास्तव को 1 रूपया गुरु दक्षिणा भी दिया।
आरके श्रीवास्तव बताते हैं कि कुछ वर्ष पहले ट्रेनिग के बाद जब विवेक घर आया था तो अपने पिता के साथ शैक्षणिक संस्थान बिक्रमगंज आया था। उस समय उसका छोटा भाई अमन क्लास में ही पढ़ रहा था, विवेक ने आते ही पहले हमें मिठाई खिलाया और पुराने दिनों को याद करने लगा कि सर इसी क्लास रुम में बैठकर दिनभर मैं और श्रीराम NDA और आईआईटी की मैथ पढ़ा करते थे। आपको बताते चलें कि श्रीराम बिक्रमगंज के सब्जी विक्रेता संजय गुप्ता का बेटा है जो अब UP सरकार में SDO बन चुका है। समय बदला प्रस्थितियां बदली तो अब किसान का बेटा विवेक और अमन बड़ो पदों पर पहुंचकर देश सेवा कर रहे हैं।

गरीब किसान के बेटे बने अधिकारी

बिहार राज्य के रोहतास जिले के बिक्रमगंज के रुपेश और निकेश की स्टोरी प्रेरणा दायक हैं। उनके पिता का नाम जितेंद्र बहादुर स्वरुप है जिनका गांव क्वाथ के पास मझौली है। पैसे के आभाव में जितेंद्र बहादुर के बेटे गांव के हिन्दी मीडियम स्कूल से पढ़कर 10 वी की परीक्षा पास किये। 10 वीं की परीक्षा पास करने के बाद वे गांव से बिक्रमगंज 11वीं,12वीं की शिक्षा ग्रहण करने आये। महंगी कोचिंग की फीस के बारे में जब इन्हें पता चला तो ऐसे लगा की आगे की अब पढ़ाई करना मुश्किल होगा। नये दौर की शिक्षा तो हकीकत में काफी महंगी हो गई है। उसी समय किसी ने इन स्टूडेंट्स को आरके श्रीवास्तव के बारे में बताया और बोला कि आपलोग उनसे मिलिये वे गरीब स्टूडेंट्स को शिक्षा में मदद कर रहे हैं।
आरके श्रीवास्तव बताते हैं कि रुपेश स्वरुप, निकेश स्वरुप मेरे संघर्ष के दिनों के प्रारंभिक बैच के स्टूडेंट हैं, जब टीबी की बिमारी के चलते इलाज के दौरान डॉक्टर ने मुझे घर पर रहकर आराम करने का सलाह दी थी जब घर पर रहते रहते बोर होने लगा तो स्टूडेंट्स को नि:शुल्क पढ़ाना चालू किया। अब रुपेश और निकेश एयर फोर्स में ऑफिसर बन देश की सेवा कर रहे हैं।
इसके अलावा रोहतास जिले के काराकाट लोकसभा क्षेत्र के रहने वाले प्रीती केशरी, राजू सिंह, दीपक सिंह, शहेन्द्र सिंह, उत्तम तिवारी भी राष्ट्र सेवा में अपना योगदान दे रहे। जहां प्रीती केशरी झारखंड पुलिस में इंस्पेक्टर हैं वही राजू सिंह और उत्तम तिवारी ऐयर फोर्स में तो दीपक सिंह और शहेन्द्र थल सेना में नौकरी कर राष्ट्र की सेवा कर रहे हैं। यह सभी ने साबित कर दिया की आभाव में भी पढ़कर सफलता पाया जा सकता है।



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