गौतम अडानी: आप अद्वितीय संस्था के हिस्से हैं, निकलेगा एक और वर्गीस कुरियन

अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी का आईआईआरएम के छात्रों के साथ एक वर्चुअल उद्बोधन हुआ। उन्होंने कहा आप एक ऐसी अद्वितीय संस्था के हिस्से हैं जो यह सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है कि अब कोई भी किसान फिर से आत्महत्या न करे - आपको इस पर जरूरविश्वास करना चाहिए।

Update:2020-08-14 12:13 IST
गौतम अडानी: आप अद्वितीय संस्था के हिस्से हैं, निकलेगा एक और वर्गीस कुरियन

लखनऊ: अडाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी का आईआईआरएम के छात्रों के साथ कल एक वर्चुअल उद्बोधन हुआ। प्रस्तुत हैं उनके सारगर्भित उद्बोधन का सारांश।

प्रिय विद्यार्थियों

अब आप एक ऐसी अद्वितीय संस्था के हिस्से हैं जिसकी विरासत की बराबरी करने का दावा दुनिया की कुछ ही संस्थाएएं कर सकती हैं। आपको इस पर जरूर विश्वास करना चाहिए। अब आप एक ऐसे अद्वितीय संस्था के हिस्से हैं जो यह सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है कि अब कोई भी किसान फिर से आत्महत्या न करे - आपको इस पर जरूरविश्वास करना चाहिए। अब आप एक ऐसी अद्वितीय संस्था के हिस्से हैं जहाँ आप में से प्रत्येक को डॉ। वर्गीस कुरियन की महान सोच के अनुसार चलना होगा - आपको इस पर जरूर विश्वास करना चाहिए।

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यहाँ मौजूद हैं:

विश्व के सबसे बड़े डेयरी विकास कार्यक्रम का निर्माण करने वाले व्यक्ति, विश्व का सबसे बड़ा ग्रामीण रोजगार संगठन बनाने वाले व्यक्ति,

भारत को विश्व का सबसे बड़ा दूध उत्पादक बनाने वाले व्यक्ति, वह व्यक्ति जो इस सोच पर चलता रहा कि ‘जनता द्वारा किये गये उत्पा दन को मास-प्रॉडक्श न से आगे रहना चाहिए’।

हमारे देश ने वास्तव में दुनिया को ऐसे विचारवान लीडर दिये हैं, जिनकी सोच वैश्वि क रही। डॉ. वर्गीज कुरियन हमारे देश की श्वेत क्रांति के जनक रहे और वे निसंदेह हमारे वैश्विरक लीडरों में से एक हैं।

इसलिए मेरे प्रिय विद्यार्थियों,आने वाले कल के लिए, आपके पास अनुसरण करने के लिए डॉ। कुरियन के बनाये उल्ले खनीय रास्तेा हैंऔर आज आपने उस प्रेरक दिशा में पहला कदम उठाया है।

संभावनाओं पर चर्चा

आज मेरा इरादा आपकी सोच को प्रोत्साहित करना हैऔर मैं आपको कुछ संभावनाओं के बारे में बताऊंगा।

अब तक हम सभी यह समझ चुके हैं कि वैश्विक महामारी कोविड-19 ने दुनिया के कुछ पहलुओं को स्थायी रूप से बदल दिया है। हालांकि, इन सभी

परिवर्तनों के साथ ही, यह महामारी कुछ मुख्य सिद्धांतों की याद भी दिलाती है, जिनको लेकर हमारी उम्मीद बनी रहनी चाहिए।

जिस तरह से हमारे समाज जीवन जीते हैं और उपभोग करते हैं, इस वैश्वि9क महामारी ने उनके मूलभूत दोषों को उजागर कर दिया है। अब आगे की जिन्द गी में

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निम्नशलिखित बातें साकार होने जा रही हैं:

भूमंडलीकरण और व्यापार अलग तरह के होंगे,राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय नीतियां अलग तरह की होंगी,

स्वास्थ्य की देखभाल अलग तरह से होगी,औरआपूर्ति श्रृंखला भी अलग तरह की होगी।

फिर भी,जिसमें बदलाव नहीं होगा वह यह है कि भारत 2030 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने को अपनी यात्रा जारी रखेगा,

जिसमे बदलाव नहीं होगा - वह यह है कि भारत की ताकत उसकी युवा आबादी होगी जो आप सभी का प्रतिनिधित्व करती है, औरजिसमें बदलाव नहीं होगा वह महात्मा गांधी की यह धारणा है कि भारत कीआत्मा इसके गांवों में बसती है'।कोविड से प्रभावित इस दुनिया में, गांधीजी के शब्द पहले की अपेक्षा अधिक जोर से प्रातिध्वनित हो रहे हैं।

अपनी छवियों को न भूलें

प्रिय विद्यार्थियों,मुझे यकीन है कि आप सभी को लाखों प्रवासी मज़दूरों की हाल ही में आई छवियां बखूबी याद होंगी, जो कोविड-19 संकट के कारण अपने गाँव लौटने की कोशिश में निकल पड़े थे।

मेरा आपसे आग्रह है कि ‘ग्रामीण क्षेत्रों के न्या योचित सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा देने’ के आईआरएमए के दृष्टि कोण के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझने के लिए इन छवियों को आप कभी नही भूलें।

दुख के साथ ही सही, लेकिन हमें यह स्वीकार करना होगा कि इस सोच को पूरा करने में सामूहिक रूप से हमारी कमियां रही हैं।भारत में प्रवासी श्रमिकों की कुल संख्या 10 करोड़ से अधिक है। भारत में चार श्रमिकों में से एक श्रमिक प्रवासी है। हालांकि कुछ प्रवास फायदेमंद होते हैं। लेकिन जब तक हम गावों से शहरों की तरफ होने वाले प्रवास में वृद्धि के मुद्दे से नहीं निपटेंगे, भारत के विकास में बाधाएं आती रहेंगी।

हमें असंतुलन पर ध्यान देना होगा

यह असंतुलन बताता है कि हमारे कमजोर इलाके कितने संवेदनशील हैं। यह अवसरों की 'गैर-बराबरी'को दर्शाता है, जिन पर हमें घ्या न देने की जरूरत है।

पहले से कहीं अधिक ध्यानपूर्वक, आज हमें ग्रामीण अर्थव्यवस्था का एक मॉडल विकसित करना चाहिए जिसमें स्थानीय आबादी को स्थानीय स्तर पर रोजगार प्रदान किया जा सके। इसका मतलब यह होगा कि हमें इस बात पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है कि हमारी स्थानीय अर्थव्यवस्थाएं कैसे बनी है और कैसे समूहबद्ध हुई हैं।

मैंने इसे इज़राइल में, जिस देश की जनसंख्या 9 मिलियन से कम है, इसे व्यक्तिगत रूप से देखा है। इजरायल ने ग्रामीण किबुत्ज़ आधारित संस्कृति से मिली सीख का आधुनिक तकनीक के साथ शानदार विलय किया है और आत्मनिर्भरता को एक अचूक मंत्र बना दिया है। कोविड-19 संकट ने हमें ग्रामीण विकास मॉडल पर पुनर्विचार करने का मौका दिया है। यह वह अवसर है,जो आपकी प्रतीक्षा कर रहा है।

आत्मनिर्भर कृषि

यह समय अच्छा है। इस वर्ष की शुरुआत में, हमारे माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्रभाई मोदी ने ‘आत्मनिर्भर कृषि’ के बारे में अपना दृष्टिकोण बताया था। उन्होंने भारत को लेकर अपनी सोच को रेखांकित किया, जिस पर चलकर भारत कृषि के हर पहलू में आत्मनिर्भर होगा।

प्रधान मंत्री ने अपनी इच्छा को जाहिर करते हुए कहा कि भारत को अपने किसानों को उद्यमियों में बदलना चाहिए और यह दृष्टिकोण भारत को विश्व का भोजन भंडार बना सकता है।

सबसे बड़ा उत्पादक

भारत पहले से ही दूध, दाल, केला, आम और पपीता उत्पा दन के मामले में विश्व का सबसे बड़ा उत्पादक देश है, और चावल, गेहूँ, गन्ना, मूंगफली, सब्जी, फल और कपास उत्पादन में विश्व का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। यह एक बेहतरीन लॉन्च पैड है।

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इसके साथ ही, हमें चार अंतर्निहित चुनौतियों को पहचानना चाहिए:

1.अति-खेती, अति-चराई, शहरीकरण और रासायनिकों के अति प्रयोग के परिणामस्वरूप कृषि योग्य भूमि का सिकुड़ते जाना

2.जलवायु परिवर्तन, पानी की उपलब्धता और उत्पादन पर असर के कारण अप्रत्याशित माहौल होना

3.उत्पादकता का अभाव और आपूर्ति श्रृंखला की अक्षमताएं

4.संख्या, पैमाने और स्थानों के संदर्भ में मूल्या वर्धन करने वाली प्रोसेसिंग यूनिट्स की कमी

कृषि में सफलता कैसे

आम राय है कि कृषि में सफलता बड़े पैमाने पर खेती करने पर ही मिल सकती है। हालांकि यह आम तौर पर सच है, फिर भी स्मार्ट नीति निर्माण और सामान्य सार्वजनिक जागरूकता के साथ डिजिटलीकरण, बीज की गुणवत्ता और मौसम की भविष्यवाणी जैसे मामलों में हाल में हुई प्रगति, कृषि क्षेत्र में कई तरीकों से संभावनाएं उपलब्धी कराती है।

आइए इन कुछ पहलुओं पर एक नज़र डालें जो अगले कई दशकों में कृषि परिदृश्य को परिभाषित करेंगे और ग्रामीण भारत का चेहरा बदलने में मदद कर सकेंगे।

पहली बात

इसमें पहली बात तो यह है कि यह अहसास बढ़ रहा है कि क्लस्टरिंग और कृषि दक्षता की अवधारणा साथ-साथ चलती है। भारत में 700 से अधिक जिले हैं और प्रत्येक जिला एक सशक्तध आत्मनिर्भर माइक्रो क्लस्टर है। क्लस्टर आपस में जुड़े व्यवसायों और संस्थानों वाली भौगोलिक संरचना है जो प्रतिस्पर्धी संस्थाओं का एक समूह बनाता है।

क्लस्टर नीतियां छोटे किसानों और कृषि व्यवसाय के लिए महत्वपूर्ण हैं। यह उन्हें उच्च उत्पादकता, उच्च मूल्य वर्धित उत्पादन हासिल करने और लॉजिस्टिलक, भंडारण, अपव्ययकी लागत और बिचौलिये के हस्तक्षेप को कम करने में सक्षम बनाता है।

इसलिए, कृषि आधारित क्लस्टर स्थानीय किसानों, कृषि व्यवसाय और संस्थानों का एक समूह होगा जो एक ही कृषि या कृषि-औद्योगिक उप-क्षेत्र में सक्रिय हैं, और मूल्य नेटवर्क बनाने के लिए साथ मिलकर काम करते हैं।

यह दृष्टिकोण श्यामा प्रसाद मुखर्जी रुर्बन मिशन द्वारा निर्धारित सिद्धांतों से अपनाया जा सकता है। यह मिशन 30-40 लाख की आबादी वाले 15 से 20 समीपवर्ती गांवों के लक्षित समूहों के विकास पर केंद्रित है।

भरुच पर चर्चा

इस तरह की क्लस्टरिंग की संभावना का एक बड़ा उदाहरण भरूच है, जो यहां से से बहुत दूर नहीं है। भरूच जिले में हर साल 1 मिलियन मीट्रिक टन से अधिक केले का उत्पादन होता है।

यदि भरूच के किसान एकसाथ मिलकर काम करते हैं और उनको मानकीकृत वृक्षारोपण, विकसित तकनीकों, कटाई और सर्वोत्तम प्रथाओं को संभालने के मामले में उचित समर्थन दिया जाता है, तो यह जिला दुनिया में केले और केले से संबंधित उत्पादों के सबसे बड़े एकीकृत क्लस्टर में बदल सकता है।

दूसरी बात है -

खाद्य प्रसंस्करण (फूड प्रोसेसिंग) महत्वपूर्ण है। भारत में असंगठित खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में लगभग 25 लाख इकाइयाँ हैं, जिनमें से 66% ग्रामीण क्षेत्रों में हैं। ये इकाइयाँ इस क्षेत्र में 74% रोजगार प्रदान करती हैं।

भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा खाद्य उत्पादक देश है, लेकिन कुल उत्पादन का 10% से भी कम मूल्य वर्धित उत्पादों में प्रोसेस्डू होता है। तुलनात्माक रूप से देखें तो अमेरिका 65% प्रोसेसिंग करता है। फिलीपींस, और ब्राज़ील जैसे विकासशील देश अपनी उपज का 75% हिस्सा प्रोसेस करते हैं। भारत में कम खाद्य प्रसंस्करण होने के प्राथमिक कारणों में से एक, सही स्थानों पर प्रोसेसिंग सुविधाओं की कमी होना है। इसका भंडारण, अपव्यय और मूल्यप्राप्तिर पर व्यापक प्रभाव पड़ता है।

मॉड्यूलर और कॉम्पैक्ट

इस संदर्भ में, मॉड्यूलर और कॉम्पैक्ट फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स को आम जगह के रूप में विकसित करना होगा। खेतों के निकट कॉम्पैक्ट और रैपिड-बिल्ड प्रोसेसिंग यूनिट्स अधिक कुशल और छोटी आपूर्ति श्रृंखलाओं को संभव बनाती हैं।

इसी तरह से मॉड्यूलर प्रोसेसिंग प्लां ट का जल्दी से निर्माण किया जा सकता है, स्थानांतरित किया जा सकता और स्थापित किया जा सकता है। यह एक ऐसा समाधान है जो भारत जैसे लॉजिस्टिाक संबंधी चुनौतियों वाले देशों के लिए सबसे अधिक कारगर है।

इसलिए, 'पीएम फॉर्मलाइज़ेशन माइक्रो फूड प्रोसेसिंग एंटरप्राइजेज स्कीम' की हाल में हुई घोषणा बिल्कुल समय पर हुई है जिसमें 'एक जिला, एक उत्पाद'क्लस्टर का दृष्टिकोण अपनाया जा रहा है।

यह 2 लाख माइक्रो प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित करने के लिए सब्सिडी प्रदान करता है। यह किसानों की उपज के मूल्यि वर्धन के जरिये से गेम चेंजर बनने के लिए तैयार है।

तीसर बात है -

कृषि तेजी से बढ़ रही है और इनडोर खेती का चलन बढ़ रहा है। हालांकि जिन कृषि फसलों को 'इनडोर' उगाया जा सकता है, उनकी कुछ सीमाएं हो सकती हैं, लेकिन आज इस रोमांचक रुझान को लेकर कोई संदेह नहीं किया जा सकता है।

ग्रीन हाउस, हाइड्रो-पॉनिक्स, एयरो-पॉनिक्स, एक्वा-पॉनिक्स और वर्टिकल फार्मिंग अभी परिपक्वता के विभिन्न चरणों में हैं, लेकिन ये सभी आकर्षित करती हैं और उत्पादकता को 100 से 500 गुना बढ़ाने की असाधारण संभावनाओं को पेश करती हैं और ये कृषि मूल्य श्रृंखला को भी कई मायनों में बदल सकती हैं।

इनडोर का दायरा

सूक्ष्म कृषि का भविष्य इनडोर के दायरे में है। यह डिस्ट्रि ब्यू्टेड, इंटीग्रेटेड, ऑर्गेनिक, डिजिटल है, जो अक्षय ऊर्जा द्वारा संचालित होती है...और जलवायु परिस्थितियों से स्वतंत्र होती है।

एलईडी लाइट्स के अंतर्गत 24x7 फोटो-संश्लेषण, पौधों की जड़ों में 24x7 एयरेशन, 99% पानी का पुनर्उपयोग, शून्य कीटनाशक, शून्य कवकनाशक, और शून्य खरपतवार नाशक का वातावरण अत्यधिक आर्गेनिक, टिकाऊ और अनुमानित उत्पादन को संभव बनाता है जो बदले में आगे की उत्पादकता और बेहतर मूल्य को संचालित करता है।

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हालांकि इन परिवर्तनों को पूरा होने में कुछ समय लगेगा, लेकिन वे घटित हो रहे हैं। एक हालिया सिमुलेशन ने कृत्रिम प्रकाश और अनुकूलित तापमान और कार्बन डाइऑक्सायइड स्तरों के साथ स्थापित एक 10 परतों वाले वर्टिकल गेहूँ के खेत का अध्ययन किया।

अध्ययन में यह पाया गया कि 3।2 हेक्टेयर मीट्रिक टन प्रति हेक्टेयर सामान्य पैदावार की तुलना में प्रति हेक्टेअर ग्राउंड एरिया में प्रति वर्ष गेहूँ की उपज 1,900 मीट्रिक टन तक पहुंच गई। यह उत्पादकता लगभग 600 गुना अधिक है।

चुनौती पर काबू पाना होगा

इसमें कोई शक नहीं कि इसमें चुनौतियां, विशेष रूप से इनडोर खेती के लिए आवश्क ऊर्जा की चुनौती भी, शामिल हैं जिन पर काबू पाना होगा। बहरहाल, सहायक सरकारी नीति, ऊर्जा की लागत में लगातार गिरावट, और उत्पादकता में तेज वृद्धि संयुक्ति रूप से काफी संभावना पेश करती हैं।

अब ऐसे मॉड्यूलर कृषि पार्कों के भविष्य की कल्पना करना संभव है, जो ग्रामीण जिलों में किसान सहकारी समितियों के स्वामित्व में हों या शहरों के करीब हों और इनपुट सामग्रियों की आपूर्ति के लिए एक समान बुनियादी ढाँचा साझा करें। यह एक वास्तविक और सार्थक परिवर्तन है जिसे आपकी पीढ़ी हासिल कर सकती है।

और अंत में -

अन्य सभी क्षेत्रों की तरह कृषि भी डिजिटलीकरण के जरिये लाभान्वित हो रही है। जैसे कि एक डॉक्टर आज एक मरीज के महत्वपूर्ण मापदंडों को दूर बैठे-बैठे पढ़ सकता है, सेंसर टेक्नोकलॉजी, सैटेलाइट इमेजिंग, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, सेलुलर नेटवर्क और मशीन लर्निंग एल्गोरिदम में प्रगति ने दूर बैठकर खेतों को प्रबंधित करना, किसी एक पौधे के स्वास्थ्य का विश्लेषण करना, और उचित निर्णय लेने के लिए पोषक तत्वों की जरूरत की पहचान करना संभव बना दिया है।

प्रगति दो रास्ते खोलती है:

पहला रास्ता है - स्थानीय खेतों की निगरानी करने और किसानों को अधिक वैज्ञानिक तरीके से सेवाएं प्रदान करने में सक्षम होना।

दूसरा रास्ता है, भारतीय कृषि स्नातकों के बड़े पूल का उपयोग करने के लिए “कृषि आधारित बीपीओ जैसी सेवाएँ” स्थापित करना जो दुनिया भर के खेतों से जुड़ी हों और दूर बैठ कर ही पानी देने और निषेचन चक्रों को प्रबंधित करने सहित विशेषज्ञ सेवाएं प्रदान करती हों।

हम पहले से ही इजराइल में विशेषज्ञों की एक टीम के जरिये कैलिफोर्निया में अंगूर के खेतों का प्रबंधन करना देख चुके हैं। उचित रूप से कार्यान्विएत किया जाये तो इस क्षेत्र में भारत की मौजूदा ताकत घरेलू कृषि के साथ ही वैश्विक कृषि प्रथाओं को फिर से परिभाषित करने में मदद कर सकती है। यह अपने किस्मा की सर्वोत्तम उद्यमशीलता होगी।

उद्यमिता एक यात्रा

प्रिय विद्यार्थियों,उद्यमिता एक यात्रा है। मैंने यह यात्रा सिर्फ 16 साल की उम्र में शुरू की थी। मैंने पढ़ा था कि दो बिंदुओं के बीच की सबसे छोटी दूरी एक सीधी रेखा होती है, लेकिन उद्यमिता की किसी भी यात्रा में इस सीधी रेखा का अनुसरण करना दुर्लभ है।

उद्यमिता कभी-कभी कुछ खो देना है है, कभी-कभी हार जाना है - लेकिन हर बार जब मैं कुछ खोया - हर बार जब मैं हारा- तब भी अपना रास्ता खोजने में सक्षम था - मैं तब भी उठ कर खड़े होने में सक्षम था - और वापस अपने पैरों पर खड़े होने की यह इच्छा है... जो एक उद्यमी को परिभाषित करती है।

इसलिए मैं आपको चार सिद्धांत बताऊंगा जिनमें मैंने हमेशा भरोसा रखा है:

पहला सिद्धांत - विफलता का डर या अच्छी तरह तैयार रास्ते से भटकना आपकी सबसे बड़ी सीमा होगी - दुनिया अविश्वसनीय अवसरों से भरी हुई है और आपकी उम्र में आपकेे लिए जरूरी नहीं है कि आप इसे सुरक्षित होकर ही खेलें …… जो यात्रा आप चुनते हैं, उसमें भरोसा रखें और आपको नए रास्ते मिलेते रहेंगे।

दूसरा सिद्धांत – जहां उपलब्धियां महत्वपूर्ण हैं, वहीं अगर आपने केवल उपलब्धियों पर ही ध्यान केंद्रित किया तो आप नई चीजों को सीखने से चूक जाएंगे - उपलब्धि एक ऐसा परिणाम है जो सीखने से प्राप्तस होताहै और यह उल्टास नहीं होता है यानी उपलब्धिए पाने से सीख नहीं मिलती हैसीखने के प्रति उत्सुंकता बनाये रखें।

तीसरा सिद्धांत - आप अपने ऊपर जबरन शेड्यूल का बोझ डाल कर स्वहयं को इतना थका देते हैं कि आप सोच-विचार करने की अपनी क्षमता को ही शक्तिहीनबना दें और अंततः एक बड़ी कीमत चुकायें। सोच-विचार करने के लिए समय निकालें।

और अंतिम सिद्धांत -

आपका उद्देश्य आपका मार्गदर्शक सितारा है जो आपको आपका रास्ता दिखाएगा और आपको रास्तेक पर टिकाये रखेगा। जैसे ही आप इस रास्ते पर चलते हैं, तो आप नई चीजें सीखेंगे और आपके पास सोच।विचार करने का समय होगा। अपने उद्देश्य के प्रति अपना आकर्षण बनाये रखें।

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इसलिए, अंत में, मैं कहना चाहूँगा कि भारतीय खेती के आने वाले सर्वोत्तम दिनों में मेरा भरोसा है। हम आने वाले वर्षों में शहरी/ग्रामीण अवसरों के बीच के फर्क को बेहतर ढंग से दूर करने में सक्षम होंगे और एक दिन हम सारी दुनिया के लिए भोजन का उत्पाअदन करेंगे। मेरी उम्मीपद मेरी इस सोच पर आधारित है कि आपकी पीढ़ी किसी भी पिछली पीढ़ी की तुलना में अधिक स्मार्ट और उद्यमशील है। भारत में पहले से ही 450 से अधिक एग्री टेक स्टार्ट-अप हैं। यह उस परिवर्तन कासंकेत है जिससे भारतीय कृषि गुजर रही है।

प्रत्येक विद्यार्थी सौ लोगों का प्रेरणास्रोत बने

यह सबसे अच्छा संकेत है कि आपकी उद्यमी पीढ़ी कृषि और संबंधित उद्योगों से जुड़े अवसर को पहचानती है। इसलिए, आप जब अपने सपनों को पूरा करने के लिए दुनिया में कदम रखते हैं तो:

मुझे विश्वास है कि आप में से प्रत्येक विद्यार्थी अन्य एक सौ लोगों के लिए प्रेरणास्रोत बनेगा, जो यहाँ आईआरएमए में आपका अनुसरण करेंगे, मुझे विश्वास है कि आप उन लाखों भारतीय किसानों के लिए जगमगाती हुई रोशनी बनेंगे, जिनकी उम्मीादें आप पर टिकी हुई हैं,

और मुझे विश्वास है कि आप में से एक और डॉ। वर्गीस कुरियन निकल कर सामने आयेंगे।

आपके पास एक रोमांचक अवसर है। मैं आपकी हर सफलता की कामना करता हूँ।

आप ग्रामीण भारत की सबसे बड़ी आशा हैं

धन्यवाद, जय हिंद।

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