बाबुल सुप्रियो ने फेसबुक पोस्ट को क्यों किया एडिट, दूसरी पार्टी में न जाने का हिस्सा हटाने पर अटकलें
पिछले दिनों मोदी कैबिनेट में हुए फेरबदल के दौरान बाबुल सुप्रियो से भी मंत्री पद से इस्तीफा लिया गया था। बाबुल इस कदम के बाद से ही नाराज बताए जा रहे थे।
नई दिल्ली: पूर्व केंद्रीय मंत्री और पश्चिम बंगाल (West Bengal) के आसनसोल सीट से भाजपा के सांसद बाबुल सुप्रियो (Babul Supriyo) ने आखिरकार राजनीति से संन्यास लेने का ऐलान कर दिया है। वे पिछले कई दिनों से इस बाबत इशारा कर रहे थे। उन्होंने एक महीने के भीतर सांसद पद से भी इस्तीफा देकर सरकारी आवास छोड़ देने की भी घोषणा की है। पिछले दिनों मोदी कैबिनेट में हुए फेरबदल के दौरान बाबुल सुप्रियो से भी मंत्री पद से इस्तीफा लिया गया था। बाबुल इस कदम के बाद से ही नाराज बताए जा रहे थे। उन्होंने मंत्री पद से हटाए जाने के तरीके को लेकर भी सवाल उठाए थे।
राजनीति से संन्यास लेने की फेसबुक पोस्ट (facebook post) में बाबुल ने यह भी कहा कि वह पार्टी के साथ थे और रहेंगे मगर बाद में उन्होंने अपने पोस्ट को एडिट किया है। करीब एक घंटे बाद एडिट की गई इस पोस्ट से उन्होंने बीजेपी के साथ निष्ठा से जुड़े रहने और दूसरी पार्टी में न जाने का हिस्से को हटा दिया है। बाबुल के इस कदम के बाद यह सियासी अटकलें लगाई जाने लगी हैं कि वे जल्द ही किसी और पार्टी को ज्वाइन कर सकते हैं।
शाह और नड्डा के प्रति आभार जताया
सियासी मैदान में कूदने के पूर्व गायक के रूप में काफी लोकप्रियता हासिल करने वाले बाबुल ने फेसबुक पर लंबा पोस्ट लिखकर अपने फैसले की जानकारी दी। उनका कहना है कि उन्होंने पार्टी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा को राजनीति छोड़ने के फैसले के बारे में जानकारी दे दी थी। उन्होंने दोनों नेताओं के प्रति आभार जताते हुए यह भी कहा कि मैं उनके प्यार को कभी नहीं भूल सकता।
सियासी मैदान में उतरने के बाद बाबुल ने भाजपा के टिकट पर 2014 में पहली बार आसनसोल से लोकसभा का चुनाव जीता था। इसके बाद उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था। बाद में 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में भी बाबुल जीत हासिल करने में कामयाब रहे थे। दूसरी बार सांसद बनने के बाद भी प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें अपनी सरकार में काम करने के लिए चुना था।
मंत्री पद से हटाए जाने से थे नाराज
मोदी कैबिनेट में हाल में हुए फेरबदल के दौरान हटाए जाने के बाद बाबुल सुप्रियो नाराज बताए जा रहे थे। उन्होंने मंत्रिमंडल से हटाए जाने के तरीके पर भी सवाल उठाया था। मंत्री पद से हटाए जाने के बाद उन्होंने एक ट्वीट भी किया था जिसमें उनका कहना था कि वह अपने लिए दुखी हैं। शनिवार को किए गए फेसबुक पोस्ट में भी उन्होंने इस ओर इशारा किया है।
बाबुल के राजनीति से संन्यास लेने के ऐलान पर लोगों को ज्यादा आश्चर्य नहीं हुआ क्योंकि पिछले कुछ दिनों से उनके संबंध में ऐसी ही अटकलें लगाई जा रही थीं। फेसबुक पोस्ट में उनका कहना है कि मैंने कभी सबको खुश करने के लिए राजनीति नहीं की। ऐसा करना मेरे लिए संभव नहीं है और मैंने कभी ऐसा करने का प्रयास भी नहीं किया और यही कारण है कि मैं सबके लिए अच्छा नहीं बन पाया।
एक और पोस्ट में उन्होंने यह भी कहा कि मुझे अच्छा रिस्पांस तभी मिलता है जब मैं राजनीति से हटकर गानों के बारे में पोस्ट करता हूं। कई पोस्ट के जरिए मुझसे राजनीति से दूर रहने की गुजारिश की गई है जो मुझे इस बारे में गहराई से सोचने के लिए मजबूर कर रही है।
भविष्य को लेकर सियासी अटकलें
वैसे राजनीति से संन्यास लेने के बाबुल के ऐलान के बाद उनके भविष्य को लेकर सियासी अटकलों का बाजार भी गरम हो गया है। बाबुल ने शनिवार को शाम साढ़े चार बजे फेसबुक पर पहली पोस्ट लिखी थी और इस पोस्ट में उनका कहना था कि मैं किसी दूसरी पार्टी में नहीं जा रहा हूं। उन्होंने साफ तौर पर लिखा था कि उनका टीएमसी, कांग्रेस, सीपीएम या किसी दूसरी पार्टी में जाने का इरादा नहीं है। उन्होंने कहा कि मैं यह साफ कर देना चाहता हूं कि मुझे किसी भी पार्टी की ओर से किसी भी प्रकार का कोई फोन नहीं आया है। मैं एक टीम का खिलाड़ी हूं और हमेशा एक ही टीम का मैंने समर्थन किया है।
एक घंटे बाद किया पोस्ट में संशोधन
इस पोस्ट को लिखे जाने के करीब एक घंटे बाद बाबुल ने उसमें संशोधन किया है। बाबुल ने अपनी पोस्ट को एडिट कर दिया है। अब उस पोस्ट से वह हिस्सा ही गायब हो गया है जिसमें उन्होंने कांग्रेस, टीएमसी, सीपीएम या किसी दूसरी पार्टी में न जाने की बात कही थी। बाबुल की ओर से यह कदम उठाए जाने के बाद सियासी अटकलों का बाजार गरम हो गया। लोगों के बीच इस तरह की चर्चाएं शुरू हो गईं कि क्या बाबुल किसी और पार्टी की सदस्यता ग्रहण करने वाले हैं।
राज्य नेतृत्व से मतभेद की ओर इशारा
बाबुल की फेसबुक पोस्ट से यह भी साफ है कि राज्य में भाजपा के नेतृत्व से उनके कुछ मतभेद थे क्योंकि उन्होंने फेसबुक पोस्ट में यह भी लिखा है कि चुनाव से पहले राज्य नेतृत्व के साथ कुछ मुद्दे थे। इसे इस बात का इशारा माना जा रहा है कि राज्य नेतृत्व से उनके कुछ मतभेद थे। बाबुल सुप्रियो का यह भी कहना है कि 2014 और 2019 में काफी अंतर है। 2014 में वो बीजेपी के टिकट पर अकेले थे, लेकिन आज बंगाल में बीजेपी मुख्य विपक्षी दल बन चुकी है। पश्चिम बंगाल के सियासी हलकों में अब बाबुल के अगले कदम का इंतजार किया जा रहा है।