केंद्र ने साफ कहा, अभी नहीं खोल सकते निजामुद्दीन मरकज

Nizamuddin Markaz: निजामुद्दीन मरकज को खोलने की अनुमति देने से केंद्र सरकार ने इनकार कर दिया है। मार्च 2020 में कोरोना महामारी के बीच निजामुद्दीन मरकज में तब्लीगी जमात का आयोजन किया गया था और तब से यह बंद है।

Written By :  Neel Mani Lal
Published By :  Deepak Kumar
Update: 2022-03-04 12:46 GMT

निजामुद्दीन मरकज। (Photo- Social Media) 

New Delhi: कोरोना (corona) की पहली लहर में वर्ष 2020 में बंद किये गए निजामुद्दीन मरकज (Nizamuddin Markaz) को खोलने की अनुमति देने से केंद्र सरकार (Central Government) ने इनकार कर दिया है। मार्च 2020 में कोरोना महामारी के बीच निजामुद्दीन मरकज (Nizamuddin Markaz) में तब्लीगी जमात का आयोजन किया गया था और तब से यह बंद है।

मरकज के ताले खोलने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट में मामला चल रहा है। अदालत में केंद्र ने निज़ामुद्दीन मरकज़ (Nizamuddin Markaz) को पूरी तरह से फिर से खोलने का विरोध करते हुए कहा है कि सिर्फ आगामी धार्मिक अवसर शब-ए-बरात में कुछ लोगों को नमाज अदा करने की अनुमति दी जा सकती है।

याचिकाकर्ता बोर्ड के पास इसे फिर से खोलने का कोई स्वतः अधिकार नहीं: न्यायमूर्ति

दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) में सरकारी वकील रजत नायर (Advocate Rajat Nair) ने मार्च और अप्रैल में शब-ए-बारात और रमजान के मद्देनजर मस्जिद को खोलने के लिए दिल्ली वक्फ बोर्ड (Delhi Waqf Board) की याचिका पर सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति मनोज कुमार ओहरी (Justice Manoj Kumar Ohri) से कहा कि मस्जिद एक विचाराधीन मामले की संपत्ति है और याचिकाकर्ता बोर्ड के पास इसे फिर से खोलने का कोई स्वतः अधिकार नहीं है।

कुछ लोगों को शर्तों के साथ नमाज अदा करने की छूट दी जाती थी: नायर

नायर (Advocate Rajat Nair) ने कहा कि पहले के मौकों पर कुछ लोगों को शर्तों के साथ नमाज अदा करने की छूट दी जाती थी और इस बार भी इस तरह की व्यवस्था के संबंध में कोई आपत्ति नहीं है। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि दिल्ली पुलिस (Delhi Police) के ताले में बंद मस्जिद को खोला जाना चाहिए, क्योंकि दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (Delhi Disaster Management Authority) ने अब महामारी के कारण लगाए गए सभी प्रतिबंधों को हटा दिया है। न्यायाधीश ने सुनवाई के बाद मामले को अगले सप्ताह के लिए सूचीबद्ध किया है और याचिकाकर्ता से डीडीएमए के आदेश को रिकॉर्ड में लाने को कहा है। महामारी रोग अधिनियम, आपदा प्रबंधन अधिनियम, विदेशी अधिनियम और दंड संहिता के विभिन्न प्रावधानों के तहत निजामुद्दीन मरकज में आयोजित तब्लीगी जमात कार्यक्रम और उसके बाद विदेशियों के पिछले प्रवास के दौरान कोरोना लॉकडाउन के दौरान कई प्राथमिकी दर्ज की गईं थीं।

याचिकाकर्ता ने अधिवक्ता वकीह शफीक (Advocate Wakih Shafiq) के माध्यम से दायर अपने आवेदन में कहा है कि पिछले साल इन दो मौकों-शब-ए-बारात और रमजान के दौरान उच्च न्यायालय ने मस्जिद में नमाज अदा करने की अनुमति दी थी। आवेदन में कहा गया है कि कोरोना का वर्तमान ओमिक्रॉन वेरियंट, डेल्टा जितना गंभीर और घातक नहीं है और जैसे-जैसे स्थितियों में सुधार हुआ है, सभी अदालतों की भौतिक सुनवाई फिर से शुरू हो गई है, स्कूल, क्लब, बार और बाजार भी फिर से खुल गए हैं, इसलिए इस वक्फ संपत्ति को सीधे फिर से खोलने में कोई बाधा नहीं है।

अनलॉक -1 दिशानिर्देशों के बाद भी धार्मिक स्थलों को खोलने की दी गई थी अनुमति

याचिका में तर्क दिया गया कि अनलॉक -1 दिशानिर्देशों के बाद भी धार्मिक स्थलों को खोलने की अनुमति दी गई थी। जिसमें मस्जिद चूड़ी वाली, मदरसा काशिफ-उल-उलूम शामिल हैं। लेकिन संलग्न छात्रावास में ताला लगा हुआ है। इसमें कहा गया है कि भले ही परिसर किसी आपराधिक जांच या मुकदमे का हिस्सा था, लेकिन इसे बाध्य क्षेत्र से बाहर के रूप में बंद रखना जांच प्रक्रिया का एक पुरातन तरीका है। पिछले साल अदालत ने केंद्र से सवाल किया था कि निजामुद्दीन मरकज को कब तक बंद रखने का इरादा है। कोर्ट ने कहा था कि इसे हमेशा के लिए बंद नहीं रखा जा सकता। पुलिस उपायुक्त (अपराध) द्वारा पुष्टि किये गए अपने हलफनामे में केंद्र ने अदालत से कहा है कि मरकज़ अपराधिक मामले की संपत्ति को संरक्षित करने के लिए आवश्यक और अवलंबी था क्योंकि कोरोना प्रोटोकॉल के उल्लंघन के लिए दर्ज मामले में जांच में सीमाओं के पार के लोग और अन्य देशों के साथ राष्ट्र के राजनयिक संबंध शामिल हैं।

15 अप्रैल, 2021 को अदालत ने रमजान के दौरान निजामुद्दीन मरकज (Nizamuddin Markaz) में 50 लोगों को दिन में पांच बार नमाज अदा करने की अनुमति देते हुए कहा था कि डीडीएमए अधिसूचना में पूजा स्थलों को बंद करने का कोई निर्देश नहीं है। इसके पहले वाली सुनवाई में केंद्र ने कहा था कि निजामुद्दीन मरकज (Nizamuddin Markaz) में मस्जिद खोलने का फैसला दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) द्वारा पारित आदेश के अनुसार करना होगा।

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