सीरम इंस्टीट्यूट को झटका, यूरोपियन यूनियन ने नहीं दी कोविशील्ड को मान्यता

Corona Vaccine: यूरोपियन यूनियन की तरफ से जिन लोगों को सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया में बनी वैक्सीन 'कोविशील्ड' (Covishield Vaccine) लगी है उनको ग्रीन पास नहीं दिया जाएगा।

Written By :  Neel Mani Lal
Published By :  Shreya
Update: 2021-06-28 04:40 GMT

सीरम इंस्टीट्यूट के सीईओ अदार पूनावाला (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Serum Institute Corona Vaccine: दुनिया के गरीब और कम आय वाले देशों को समान रूप से कोरोना की वैक्सीन (Corona Vaccine) उपलब्ध कराने के ग्लोबल अभियान 'कोवैक्स' को यूरोपियन यूनियन (European Union) ने तगड़ा झटका देते सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (Serum Institute Of India) के प्रति गहरा अविश्वास जाहिर किया है।

यूरोपियन यूनियन (European Union) ने कहा है कि जिन लोगों को वैक्सीनों की फुल डोज़ लग चुकी है उनको 'डिजिटल ग्रीन पास' (Digital Green Pass) दिया जाएगा और वे यूरोपियन यूनियन के देशों में ट्रैवेल कर सकेंगे। लेकिन कहानी में सबसे बड़ा पेंच ये है कि जिन लोगों को सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया में बनी वैक्सीन 'कोविशील्ड' (Covishield Vaccine) लगी है उनको ग्रीन पास नहीं दिया जाएगा। बता दें कि सीरम इंस्टिट्यूट कोई अपनी डेवलप की हुई वैक्सीन बेच नहीं रहा है बल्कि वह सिर्फ आस्ट्रा जेनका से लाइसेंस और अग्रीमेंट के तहत कोविशील्ड बना रहा है।

दिक्कत है सीरम इंस्टीट्यूट से

ऐसे में सवाल उठता है कि क्या यूरोपियन यूनियन को आस्ट्रा जेनका की वैक्सीन से समस्या है? जवाब है - नहीं। यूरोपियन यूनियन को आस्ट्रा जेनका द्वारा यूरोप में बनाई जा रही वैक्सीन 'वैक्सज़ेवरिया' से कोई गुरेज नहीं है। डिजिटल ग्रीन पास व्यवस्था में सिर्फ आस्ट्रा जेनका द्वारा यूरोप में बनाई जा रही वैक्सीन को मान्यता है। भारत में बनी वही वैक्सीन स्वीकार्य नहीं है।

चूंकि सीरम इंस्टीट्यूट द्वारा बनाई गई कोविशील्ड को 'कोवैक्स' के तहत तमाम अल्प व मध्यम आय के देशों में डिस्ट्रीब्यूट किया गया है तो इसका मतलब ये है कि ऐसे देश के लोग ग्रीन पास के हकदार नहीं होंगे और यूरोपियन यूनियन के देशों में नहीं जा सकेंगे।

कोविशील्ड (फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

यूरोपियन यूनियन का ग्रीन पास सिर्फ वैक्सज़ेवरिया को मान्यता देता है जिसका निर्माण यूनाइटेड किंगडम तथा यूरोप में अन्य जगहों पर किया जा रहा है। इसे यूरोपियन मेडिसिन्स एजेंसी (ईएमए) का अप्रूवल मिला हुआ है। डब्लूएचओ प्रायोजित 'कोवैक्स' में 'वैक्सज़ेवरिया' ब्रांड शामिल नहीं है जबकि कोविशील्ड नाम वाली वही वैक्सीन शामिल है।

कोवैक्स के तहत 25 जून तक कुल 8 करोड़ 90 लाख वैक्सीनें 133 देशों को बांटी जा चुकी हैं। ये अल्प और मध्यम आय वर्ग वाले देश हैं और अफरी5, एशिया तथा लैटिन अमेरिका के हैं। इस वृहद वैक्सीन डिस्ट्रीब्यूशन प्रोग्राम को 'गावी द वैक्सीन अलायन्स' संचालित कर रहा है। कोवैक्स का योगदान बेहद कम है क्योंकि जरूरत है ढाई अरब से ज्यादा खुराकों की लेकिन उसका एक अंश अभी तक सप्लाई हो पाया है। फिर भी विश्व के अति गरीब देशों के लिए कोवैक्स ही सहारा है और इसी अभियान के तहत उन्हें सर्वाधिक वैक्सीनें मिली हैं। अफ्रीका के सीडीसी के अनुसार अफ्रीकी देशों में जितनी वैक्सीनें लगी हैं उनमें 90 फीसदी से ज्यादा कोविशील्ड हैं।

यूरोपियन यूनियन के डिजिटल कोविड सर्टिफिकेट सिस्टम के अनुसार, ईएमए ने जिन वैक्सीनों को स्वीकृति दी है उन्हें लगवा चुके लोगों को क्षेत्र में आने जाने की आज़ादी दी जाएगी। इसके अलावा जो लोग कोरोना से संक्रमित हो कर हाल में ठीक हो हुए हैं और जो अब कोरोना नेगेटिव हैं उनको भी ट्रैवेल की आज़ादी रहेगी।

डब्लूएचओ प्रमुख़ डॉ टेड्रोस (फाइल फोटो साभार- सोशल मीडिया)

डब्लूएचओ की आपत्ति

विश्व स्वास्थ्य संगठन को कोविड पासपोर्ट जारी किए जाने की अवधारणा पर ही आपत्ति है। अब संगठन द्वारा स्वीकृत कोविशील्ड और अन्य वैक्सीनों को ग्रीन पासपोर्ट से बाहर किये जाने से एक नया विवाद शुरू हो गया है। 

हेल्थ पालिसी वाच संस्था के अनुसार, ईएमए की वेबसाइट पर वैक्सज़ेवरिया का नाम तो दिया है लेकिन कोविशील्ड का नाम नहीं है।

यूरोपियन और नॉर्वे व स्विट्जरलैंड जैसे अन्य गैर यूरोपियन देशों के 'शेनजेन जोन' से संबंधित यात्रा सूचनाओं के अनुसार इन देशों में उन लोगों को यात्रा की अनुमति होगी जिनको वैक्सीन लग चुकी है भले ही वह यूरोप में बनी हो चाहे किसी तीसरे देशों में। शेनजेन ज़ोन के अधिकारियों ने लेकिन एक बात ये भी लिखी है कि यूरोपियन यूनियन के देश अपने हिसाब से अलग नीति बना सकते हैं।

यूरोपियन मेडिसिन्स ऑथोरिटी ने सिर्फ चार वैक्सीनों को मंजूरी दी हुई है। ये वैक्सीनें हैं - कर्मिरनेटी (फाइजर बायोएनटेक), मॉडर्ना, वैक्सज़ेवरिया (आस्ट्रा जेनका) और जॉनसन एंड जॉनसन।

कोविशील्ड का नाम उन वैक्सीनों की सूची में भी नहीं है जिनके बारे में ईएमए समीक्षा कर रहा है। समीक्षाधीन वैक्सीनें हैं - सीवीएनकोव (क्योरवैक), एनवीएक्स - कोव2373 (नोवोवैक्स), स्पूतनिक (गेमेलिया कोविड वैक), कोविड19 वैक्सीन (वेरोसेल) और कोरोना वैक्सी (सिनोवैक)।

यूरोपियन यूनियन के ग्रीन कोविड कार्ड की व्यवस्था 1 जुलाई से लागू होने जा रही है। ईयू के दस देश जिसमें जर्मनी, ग्रीस और स्पेन शामिल हैं, पहले से ही ग्रीन डिजिटल पास जारी कर रहे हैं।

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